सहमति से विवाह विच्छेद में आवेदन के पूर्व सहमति के शपथ पत्र या एमओयू का निष्पादन महत्वपूर्ण नहीं।
|समस्या-
मुम्बई, महाराष्ट्र से उपेश सेठ ने पूछा है-
मेरी पत्नी ने आपसी सहमति से विवाह विच्छेद हेतु आवेदन प्रस्तुत करने के लिए सहमति दे दी है। हमारा वकील एक ही है। परिवार न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत करने के पूर्व मुझे क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए? क्या मैं अपनी पत्नी से वकील को एक शपथ पत्र नोटेरी से तस्दीक करवा कर देने को कह सकता हूँ जिस में सारी शर्तें अंकित हों? या फिर शपथ पत्र के स्थान पर एक मेमोरेण्डम ऑफ अण्डरस्टेंडिंग ठीक रहेगा? कृपया मुझे सुझाव दें।
समाधान-
आपसी सहमति से विवाह विच्छेद हेतु एक संयुक्त आवेदन देना होता है इस कारण से एक ही वकील का होना पर्याप्त है। वैसे भी वकील का यह कर्तव्य है कि वह दोनों पक्षों से समानता का बर्ताव करे। इस कारण से दो अलग अलग वकील करने का कोई अर्थ नहीं है।
आप को यह शंका हो सकती है कि कहीं पत्नी बाद में किसी शर्त से न बदल जाए। लेकिन यह शंका आप की पत्नी को भी आप के प्रति हो सकती है। इस कारण से केवल पत्नी शपथ पत्र नोटेरी से तस्दीक करवा कर वकील को दे यह उचित नहीं है। इस के स्थान पर आपसी सहमति का स्मरण पत्र (एमओयू) अधिक बेहतर व्यवस्था है। जो भी सहमति दोनों पति-पत्नी के बीच बनी है वे स्टाम्प पेपर पर लिखे एक एमओयू को दोनों द्वारा हस्ताक्षरित कर नोटेरी से तस्दीक करवा लिया जाए। उस की एक प्रति भी नोटेरी से तस्दीक करवाई जाए। एक-एक दोनों के पास रहे।
जो भी सहमति बनी है वह न्यायालय को प्रस्तुत किए गए आवेदन भी पूर्णतः अंकित की जाएंगी इस कारण से अलग से एमओयू का भी कोई विशेष महत्व नहीं है।
आपसी सहमति से विवाह विच्छेद के मामले में आवेदन न्यायालय में पंजीकृत होने के उपरान्त छह माह का समय दिया जाता है। यह समय सहमति पर पुनर्विचार के लिए होता है। दोनों पक्ष या दोनों पक्षों में से कोई एक अपनी सहमति को वापस ले सकता है। इस कारण कोई शपथ पत्र या एमओयू का बड़ा महत्व नहीं है। इन दोनों का महत्व इतना ही है कि कुछ लेन देन विवाह विच्छेद की डिक्री पारित होने के पहले होना हो तो उस का अंकन इस में हो जाता है।
ज्ञान वर्धक लेख / राजेंद्र सिंह / अजमेर / राजस्थान /