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अत्याचार के विरुद्ध तो आप को स्वयं ही खड़े होने का साहस करना होगा।

rp_domestic-violence-13.jpgसमस्या-

पलक वर्मा ने लखनऊ, उत्तरप्रदेश से पूछा है-

मेरी शादी लखनऊ से ही 23 अप्रैल 2015 को हुई थी। पर शादी के  कुछ महीने बाद ही ससुराल में मुझे झूठे आरोप लगा के प्रताड़ित किया जाने लगा। मेरे साथ आये दिन गाली गलौच व मारपीट होती थी।  मेरा फोन भी छीन लिया गया ताकि मैं अपने मायके से कोई सम्पर्क न कर सकूँ।  मेरे पति ने मुझे शारीरिक व सास व उनके मामा ने मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। उन लोगों ने मेरें ऊपर झूठे शिकायत पत्र थानों में दिए। पर तमाम प्रताड़ना के बाद भी समाज के दबाव से मेरे द्वारा कोई शिकायत नहीं की गयी। पर कुछ समय बाद जब मैंने गर्भ धारण किया तो मेरे पति मुझे  मेरें मायके छोड़ आये। तब भी वे लोग मुझ पर झूठे आरोप लगाते रहे। लेकिन दुबारा वो 7-8 महीने मुझे बुलाने नहीं आये न ही फोन किया।  इस दौरान जब मैं उनको फोन करती तो वह मुझे गन्दी- गन्दी गालियाँ देते व कहते कि “न तो मैं तुम्हें कभी बुलाने आऊँगा न ही कभी तलाक दूँगा, तुम्हारी जिन्दगी बर्बाद कर दूँगा”। बाद में उन्होंने फिर मेरे ही खिलाफ महिला थानें में झूठी शिकायत की। पर वहाँ के पुलिस ने उनको समझाया और मुझे अपने घर बुलाने को कहा। उससे बुलाने का वादा भी किया पर कुछ समय बाद जब उन्हें पता चला कि मुझे लड़की नहीं हुई है तो वह बुलाने नहीं आया। 2 महीने बाद फिर जब मैंने व मेरे पापा ने फोन किया तो दोनों को खूब गन्दी- गन्दी गालियाँ दी। जब मेरे पापा मुझे भेजने गये तो वो लोग गाली गलौच कर घर में ताला बन्द कर भाग गये। उसके बाद मेरे ऊपर झूठा मुकदमा किया कि वह बुलाने आता है पर मेरें पापा मुझे भेजते नहीं है।

समाधान-

प की समस्या यह है कि जो भी आप के विरुद्ध अत्याचार हुए हैं या अपराध हुए हैं उस के विरुद्ध कोई शिकायत करने को तैयार नहीं हैं। आप समझती हैं कि इतने सारे अपराध होने पर भी आप के लिए सब से उपयुक्त यही है कि किसी तरह आप अपने पति के साथ जा कर रहने लगें और वह मारपीट और प्रताड़ित करना बन्द कर दे। आप ने यह भी नहीं बताया कि आखिर आप के पति और सास वगैरा आप को प्रताड़ित क्यों करते हैं और आप को अपने माता पिता के यहाँ क्यों छोड़ गए? इस से यह पता लगता कि आप के ससुराल वाले किस मानसिकता के लोग हैं? लगता है कि आप नहीं चाहती कि आप के माता पिता पर आप बोझ बनें। आप को स्वयं ससुराल में जा कर रहने के सिवा अपने जीवन का कोई विकल्प नहीं नजर आता है।

आप को अपने ससुराल वालों के अत्याचार के विरुद्ध खड़े होने का साहस तो करना होगा। आप को चाहिए कि आप आप की प्रताड़ना और मारपीट के विरुद्ध पुलिस में रपट लिखाएँ अथवा वकील के माध्यम से न्यायालय के समक्ष परिवाद प्रस्तुत करें। हमें नहीं लगता है कि आप अपने ससुराल में वापस जा कर सुरक्षित रह पाएंगी। आप के पति स्वयं स्वयं आप को मायके छोड़ कर गए हैं और लेने नहीं आए हैं। इस कारण आप को तुरन्त धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत न्यायालय के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर अपना और अपनी संतान के लिए भरण पोषण का खर्चा निर्धारित करने की मांग करनी चाहिए।

इस के साथ ही आप को अपने पैरों पर खड़ा होने की कोशिश करनी चाहिए। जिस से आप कुछ शक्ति अर्जित करें और अपने विरुद्ध हो रहे अन्याय के विरुद्ध लड़ सकें और आप के विरुद्ध अपराध करने वालों को दंडित करा सकें।

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