अधिक हिस्सेदार हो जाने पर मकान का विभाजन कराएँ।
समस्या-
शिखर आकाश ने मथुरा, उ.प्र. से पूछा है-
मेरी समस्या मेरे मकान से सम्बन्धित है। मथुरा के हमारे 365 वर्ग गज के मकान में 6 कमरे हैं तीन कमरे बंद है और तीन में मैं खुद जन्म से ही रहा रहा हूँ। जो हमारी पर दादी ने सन 1940 में 100 साल पुराना खरीदा था जिस के वारिस मेरे पिता और उनके दो भाई थे जो अब नहीं है। पिता और चाचाओं का नाम मथुरा नगर पालिका में दर्ज है जिसका गृह कर और जल कर पिछले ६ सालों से नहीं भरा गया है इसका मुख्य कारण सम्पत्ति किसी के नाम ना होना है और मेरे भाई इस मकान पर हक़ तो जता रहे हैं किन्तु उक्त कर देने में आनाकानी कर रहे हैं। अभी तक मेरे स्वर्गीय पिता ही जल कर गृह कर अदा कर रहे थे जो अब लगभग २६५०० के आस पास हो चुका है। मथुरा नगर पालिका ने उक्त कर को 31 मार्च तक अदा ना करने पर आर सी निकाल कर वसूल करने का आदेश दिया है| आप से इस सम्बन्ध में यह जानना चाहता हूँ कि क्या नगर पालिका यह कर मुझसे वसूल कर सकती है? जबकि असली मालिक अब इस दुनिया में नहीं हैं और मकान किसी के नाम भी नहीं है सन 2004 में मेरे पिता का देहांत हो गया था। यदि बिल लेकर अदालत जाऊँ तो क्या मथुरा सीजेएम् अदालत से मुझे कुछ राहत मिल सकती है ? मार्गदर्शन करें।
समाधान-
आप की समस्या मकान का नामान्तरण न होने तथा विभाजन न होने से उत्पन्न हुई है। नगर पालिका में मकान अभी भी आप के पिता और चाचाओं के संयुक्त खाते में दिखाया जा रहा है। खातेदारों में से जिस का भी देहान्त हो चुका है उस के स्थान पर उस के उत्तराधिकारियों का नाम दर्ज होना चाहिए इसी को नामान्तरण कहते हैं। यह उस खाते के किसी भी खातेदार का उत्तराधिकारी करवा सकता है।
नगरपालिका में नामान्तरण के द्वारा किस का नाम दर्ज होता है इस से मकान का स्वामितव प्रभावित नहीं होता। मकान का स्वामित्व उत्तराधिकार के कानून से तय होता है। इस तरह आप के पिता और चाचा के सभी उत्तराधिकारी उन के हिस्से के अनुसार उस मकान के मालिक हैं। सभी कर सभी द्वारा देय हैं। लेकिन आप में से कौन कर देगा यह नगरपालिका क्यों सोचे? यह तो उत्तराधिकारियों को तय करना होगा। यदि सभी अपना अपना कर देना चाहते हैं तो मकान का विभाजन करवा लेना चाहिए।
आप की समस्या का एक ही अन्तिम हल है। वह यह कि आप मकान के विभाजन के लिए न्यायालय में वाद प्रस्तुत कर दें। इसी वाद में नगरपालिका को पक्षकार बना कर इस आशय की अस्थाई निषेधाज्ञा प्राप्त करने का प्रयत्न करें कि सभी कर सभी हिस्सेदारों से उन के हिस्से के अनुसार वसूल किया जाए। न्यायालय का आदेश होने पर आप अपने हिस्से का कर जमा करवा दें। बाकी कर शेष हिस्सेदारों से वसूल हो जाएगा।
मकान यदि सभी हिस्सेदारों में विभाजित होने लायक होगा तो वैसे विभाजित किया जा कर हिस्सेदारों को उन के हिस्सों पर पृथक कब्जा दिलाया जा सकता है, या फिर मकान को विक्रय कर के उस से प्राप्त राशि हिस्सेदारों में बाँटी जा सकती है। कोई भी एक या एकाधिक हिस्सेदार भी मकान खरीद सकते हैं।
बहुत सुंदर सही जानकारी दी अपने