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अन्तर्जातीय विवाह से उत्पन्न संतान उस जाति का प्रमाण पत्र बनवा सकता है जिसमें उसका पालन पोषण हुआ है।

समस्या-

सुमन वर्मा ने चम्बल कालोनी श्योपुर मध्य प्रदेश से पूछा है-

मैं अनुसूचित जाति की महिला हूँ, मेरे पति ओबीसी वर्ग से हैं। हमारी एक बेटी है। मेरे ससुराल वालों ने बीस साल से कोई सम्पर्क नहीं रखा है। मैं अपने पति और बेटी के साथ अपने माता पिता के ही घर जाती हूँ। क्या मैं अपनी बेटी के लिए अपनी जाति अर्थात अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र बनवा सकती हूँ।

समाधान-

अन्तर्जातीय विवाहों में हमेशा यह विवाद का विषय रहा है कि सन्तान की जाति क्या होगी? हमारा समाज पितृसत्तात्मक होने के कारण हमेशा यह माना जाता है कि जो पिता की जाति है वही सन्तान की जाति होगी। पर ऐसा होता नहीं है।

हमारा समाज पितृसत्तात्मक होते हुए भी घोर जातिवादी समाज है। हमारे समाज के ढाँचे में जातियों का एक पिरामिड है जिसमें एक जाति ऊँची और एक नीची समझी जाती है। वैसी स्थिति में एक निम्न जाति की स्त्री से विवाह के उपरान्त सदैव ही इस बात की आशंका बनी रहती है कि पुरुष की जाति उस पुरुष का जातिगत बहिष्कार कर दे। आम तौर पर यह बहिष्कार पुरुष के पूरे परिवार का होता है। इस आशंका के चलते निम्न जाति की महिला से विवाह करने वाले पुरुष को उसका परिवार ही अपने परिवार से अलग कर देता है जिससे उस परिवार की जाति में स्थिति बनी रहे।

इस स्थिति को सुप्रीम कोर्ट ने रमेश दाभाई नाइका बनाम स्टेट ऑफ गुजरात (2012) 3 SCC 400 के मामले में स्पष्ट किया है। इस प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय दिया कि यह एक तथ्य का मामला है और साक्ष्य के आधार पर निर्णीत किया जाना चाहिए। संतान की परवरिश कि जाति के सदस्य के रूप में हुई है उससे निर्धारित होगा कि उसे किस जाति का प्रमाण पत्र प्राप्त होगा।

आपके मामले में विवाह के बाद आपके पति के परिवार ने आपका बहिष्कार किया जिसका सीधा अर्थ है कि उनकी जाति ने भी आपका बहिष्कार किया। आप और आपके बच्चे आपके परिवार के साथ कभी नहीं रहे। जबकि आप अपने बच्चों और पति के साथ अपने मायके जाती हैं और आपके मायके के परिवार और जाति ने आपको अपना लिया है। इस कारण आपकी पुत्री का अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र ही बनना चाहिए।

आपको अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन प्रस्तुत करना चाहिए और समर्थन में गवाहों के शपथ पत्र तथा दस्तावेज प्रस्तुत करने चाहिए। इसके बाद भी यदि ऐसा प्रमाण पत्र बनाने से इन्कार कर दिया जाए तो आप दीवानी वाद प्रस्तुत करके अथवा उच्च न्यायालय में रिट याचिका प्रस्तुत करके अपनी पुत्री का प्रमाण पत्र अनुसूचित जाति का बनाने के लिए आदेश करवा सकती हैं।

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