अपने कब्जे की भूमि पर डीडीए से पट्टा प्राप्त करने की कार्यवाही करें।
|मनोज शर्मा ने खुरेजी खास, दिल्ली से पूछा है-
हमारी एक खसरे की ज़मीन दिल्ली में थी। उस को 1971 में सरकार ने अधिग्रहीत कर लिया था और उस का मुआवजा भी मेरे परिवार ने मेरे दादा के टाइम में ही ले लिया था। लेकिन 1400 गज आज भी हमारे पास है। जिस में हम ने एक मंदिर बनवा रक्खा है और मेरे पिताजी जिनका देहांत हो गया। वे उस पर काबिज थे, आज मैं और मेरे दो भाई इस ज़मीन पर काबिज हैं। हम लोग इस ज़मीन पर 42 साल से काबिज हैं। डीडीए ने भी इस ज़मीन पर कोई कब्जा कार्यवाही नहीं की है। मैं आप से पूछना कहता हुँ कि क्या आज हम लोग इस ज़मीन के असली मालिक हैं या डीडीए इस ज़मीन का मालिक है।
समाधान-
जमीन के मालिकाना हक का सब से प्राथमिक सबूत यह है कि उस पर किस का कब्जा है। यदि आप का 30 वर्ष से अधिक से कब्जा है तो वह जमीन आप के मालिकाना हक की है। लेकिन जमीन पहले कृषि भूमि थी। अधिग्रहण करने के बाद उस जमीन को आबादी भूमि में परिवर्तित किया गया और डीडीए ने उसे काम में ले लिया। अधिग्रहण के समय कुछ जमीन जमीन के मालिक को उपयोग के लिए छोड़ दी जाती है लेकिन उस के लिए डीडीए आबादी भूमि पर मालिकाना हक का प्रमाण पत्र या पट्टा जारी करता है।
आप को चाहिए कि आप डीडीए जा कर अधिग्रहण के समय छोड़ी गई जमीन तथा 30 वर्ष से अधिक से आप का उक्त भूमि पर कब्जा होने के आधार पर मालिकाना हक का पट्टा प्राप्त करने की कोशिश करें। इस सम्बंध में आप को डीडीए के मामले में काम करने वाले स्थानीय वकील से सलाह ले कर आगे बढ़ना चाहिए।