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अपूर्ण और अस्पष्ट समस्याएँ भेज कर स्वयं का और तीसरा खंबा का समय नष्ट न करें।

rp_courtroom11.jpgसमस्या-

अंशुल ने मेरठ, उत्तर प्रदेश से समस्या भेजी है कि-

मारे दादा दादी का एक मकान है जिस की वसीयत हमारे दादा जी ने अपने दो लड़कों (चाचा और पापा) के नाम कर दी थी। दादा जी के देहान्त के बाद मेरे चाचा ने वसीयत को बदलवा दिया। ऐसे कर के यह वसीयत चार बार बदली है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए मेरे पापा ने दादी से अपने हिस्से का दानपत्र लिखवा लिया जिस से हमारा हिस्सा सीक्योर हो जाए। मगर चाचा हमारे हिस्से के जिस का दान पत्र में उल्लेख है उस के चार कमरों पर कब्जा कर के बैठा है। वसीयत के आधार पर वो दादी के मरने के बाद अपने हिस्से का मालिक बनेगा। उस के हिस्से के कमरे खाली पड़े हैं। हमें उस से कमरे खाली कराने के लिए क्या करना चाहिए?

समाधान-

प की समस्या स्पष्ट नहीं है। आप ने मकान दादा दादी का बताया है। जिस का अर्थ है कि मकान दादा और दादी दोनों के संयुक्त नाम से था। यदि ऐसा था तो उस मकान के दोनों संयुक्त रूप से हिस्सेदार हुए। वैसी स्थिति में दादा केवल अपने आधे हिस्से की वसीयत कर सकते थे। बाकी का आधा हिस्सा दादी का ही रहा।

दि दादा ने वसीयत की है तो वह वसीयत तो उन के देहान्त के उपरान्त प्रभावी हो जानी चाहिए थी। जब कि आप कह रहे हैं कि वह दादी के मरने के बाद प्रभावी होगी। आप ने यह भी लिखा है कि दादा जी के मरने के बाद वसीयत को चार बार बदला जा चुका है। किसी व्यक्ति के मरने के बाद उस की अन्तिम वसीयत अन्तिम होती है उसे बदला नहीं जा सकता। यदि कोई बदलता है तो वह फर्जी दस्तावेज बना रहा है जो एक गंभीर अपराध है।

दि वसीयत से संपत्ति दो भाइयों को मिल चुकी है तो फिर दादी के स्वामित्व की संपत्ति कोई अलग होनी चाहिए थी जिस का दान पत्र आप के पिता के पक्ष में लिखा गया है। कुल मिला कर आप का प्रश्न एक दम अस्पष्ट है। वसीयत, बदली हुई वसीयतें और दान पत्र तीनों का अध्ययन किए बिना कोई भी आप की समस्या का समाधान बताने में असमर्थ रहेगा। आप उक्त सभी दस्तावेज या उन की प्रतियाँ ले कर किसी स्थानीय वकील से मिलें और सहायता प्राप्त करें।

म तौर पर ऐसे प्रश्नों का हम कोई उत्तर नहीं देते, जैसा उत्तर यहाँ दिया है वैसा ही केवल ई मेल कर देते हैं। यह उत्तर यहाँ सिर्फ इस नमूने के तौर पर दिया जा रहा कि आप की तरह अन्य पाठक इस तरह के अधूरे प्रश्न भेज कर हमारा और स्वयं का समय नष्ट न करें।

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