अवेैध संबंध से उत्पन्न संतानों को पिता के उत्तराधिकार प्राप्त करने का अधिकार है।
सचिन सरोडे ने मंजरी, तालुका राहुरी, जिला अहमदनगर, महाराष्ट्र से समस्या भेजी है कि-
मेरे पिताजी के मेरी माँ के साथ ही दूसरी औरत के साथ संबंध रखने के कारण झगडे होते थे। माँ मुझे और मेरी बहन को साथ ले कर मायके में रहने आ गई। पिताजी ने १९८३ में तलाक लिया। और जिस औरत से संबंध थे उसके साथ रहने लगे। उन्हें उस से लडका और लडकी हुई लेकिन उसका पूर्व पति था और उन्हों ने तलाक नहीं लिया था। मेरे पिता को अपघात हो के ६ महिने बाद २००६ में मृत्यु हो गई। उन्होने उनके privdent fund में उस औरत को नोमेनी लिखा था। मैं ने अदालत मे उसके खिलाफ दावा दाखिल किया है कि वो मेरे पिता कि पत्नी नहीं है और उसका पहले विवाह हो चुका है। यदि वह अदालत को उसके पहले पति का तलाक और मेरे पिता के साथ हुई शादी दोनो साबित नहीं कर सकी तो क्या उसके बच्चे नाजायज होते हैं क्या? वो मेरे बाप के नाजायज बच्चे होने से उन्हे संपत्ति में वारिस हो सकते हैं क्या? अभी वो पिताजी के बंगले में रहते हैं। उन के कब्जे मे पूरी जायदाद है तो क्या उन का उस पर हक है क्या? मैं मेरी जायदाद किस प्रकार से हासिल कर सकता हूँ?
समाधान-
बिना विवाह के यदि कोई स्त्री किसी पुरुष के साथ रहती है तो वह पत्नी नहीं हो सकती। उसे पत्नी से संबंधित कोई भी अधिकार नहीं मिलेंगे। उस का आप के पिता की जायदाद में कोई हक नहीं है।
आप ने यह नहीं बताया कि आप के पिता किस तरह के प्रोविडेण्ट फण्ड के अधिकारी थे? वह जीपीएफ था या ईपीएफ था या किसी अन्य योजना के अन्तर्गत था? खैर¡ किसी भी मामले में किसी को नामांकित कर नॉमिनी बना देने का अर्थ केवल यह होता है कि नामित करने वाले व्यक्ति की मृत्यु के उपरान्त उन लाभों को नॉमिनी प्राप्त कर सकता है। लेकिन नॉमनी केवल ट्रस्टी होता है। वह धन प्राप्त तो कर सकता है लेकिन उस का यह दायित्व है कि वह उस धन को मृतक के विधिक उत्तराधिकारियों के बीच उत्तराधिकार के कानून के अनुसार बांट दे। लेकिन होता यह है कि नौमिनी इस धन को प्राप्त कर उस पर कब्जा कर लेता है और उत्तराधिकारियों को वितरित नहीं करता। उन्हें इस के लिए लड़ाई लड़नी पड़ती है और अनेक बार उत्तराधिकारियों को लम्बी लड़ाई के बाद कुछ भी हाथ नहीं लगता। इस कारण यदि उत्तराधिकारियों को लगे कि नॉमिनी न्याय नहीं करेगा। तो जहाँ भी मृतक का धन है वहाँ उस के उत्तराधिकारियों को यह आपत्ति करनी चाहिए कि नॉमिनी धन को प्राप्त कर गायब हो सकता है या उस का गबन कर सकता है जिस से वह उत्तराधिकारियों को प्राप्त नहीं हो सकेगा। इस आपत्ति करने के साथ ही तुरन्त जिला न्यायालय को उत्तराधिकार प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करना चाहिए और न्यायालय से यह निवेदन करना चाहिए कि वह उस धन का भुगतान नॉमनी को न करने के लिए देनदार को अस्थाई निषेधाज्ञा जारी कर रोके। उत्तराधिकार प्रमाण पत्र की कार्यवाही में अस्थाई निषेधाज्ञा जारी न करने की स्थिति में दीवानी वाद दाखिल कर के भी अस्थाई निषेधाज्ञा हासिल की जा सकती है। आप के पिता की मित्र स्त्री नॉमिनी के रूप में उक्त राशि को प्राप्त कर सकती है और आप को अस्थाई निषधाज्ञा प्राप्त करने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए।
उस स्त्री से आप के पिता को दो संताने हैं, जिन्हें आप अवैध कह रहै हैं। लेकिन संतान कभी भी अवैध नहीं होती वह सदैव ही जायज होती हैं। उन्हें पिता की संपत्ति के उत्तराधिकार का अधिकार है। सर्वोच्च न्यायालय ने Revanasiddappa & Anr vs Mallikarjun & Ors के प्रकरण में दिनांक 31 मार्च 2011 को पारित निर्णय में कहा है कि अवैध संबंध से उत्पन्न संतानों को भी उन के माता पिता की संपत्ति में उत्तराधिकार प्राप्ति का अधिकार है चाहे वह उन की स्वअर्जित संपत्ति हो या फिर पुश्तैनी संपत्ति में उन का हिस्सा हो। इस तरह आप के पिता के जिस स्त्री से संबंध थे वह किसी प्रकार से आप के पिता की उत्तराधिकारी नहीं है। लेकिन उस स्त्री से जन्मी संताने उसी प्रकार उन की संपत्ति के अधिकारी हैं जैसे कि आप हैं। आप की माता का पिता से तलाक हो चुका था। इस कारण आप की माता भी उत्तराधिकारी नहीं रह गयी है।
अब आप के पिता की संपत्ति के उत्तराधिकारी आप, आप की बहिन और आप के सौतेले भाई बहिन हैं जिन्हे समान अधिकार प्राप्त है। पिता की संपत्ति संयुक्त है इस कारण उस का विभाजन होना चाहिए। ऐसी स्थिति में आप पिता की मृत्यु के कारण संयुक्त हुई इस संपत्ति का विभाजन करने और प्रत्येक को उस के हिस्से की संपत्ति का अलग कब्जा दिए जाने की प्रार्थना करते हुए संपत्ति के विभाजन का वाद प्रस्तुत करना चाहिए। पिता का प्रोविडेण्ट फंड भी संपत्ति है इस कारण इस वाद में उस का भी उल्लेख किया जाएगा। आप इसी वाद में वाद के निर्णय तक प्रोविडेण्ट फंड को नॉमनी को दिए जाने पर रोक लगाने हेतु अस्थाई निषेधाज्ञा प्राप्त करने हेतु आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं।
आप के पिता की पूरी संपत्ति आप के सौतेले भाई बहन के कब्जे में है इस कारण आप इस विभाजन के वाद के निर्णय तक संपत्ति के लिए रिसीवर नियुक्त करने और संपत्ति को उस के कब्जे में दिए जाने के लिए भी आवेदन इसी वाद में प्रस्तुत कर सकते हैं।
नमस्कार दिर्वेदी जी
आपका उत्तर मिल कर काफी जानकारी मिली. सभी लोगो को इससे काफी लाभ हो ऐसी उम्मीद रखता हु.
आपका बहुत बहुत धन्यवाद जो आपने जल्द ही उत्तर प्रस्तुत किया.
मैं फिरोज़पुर छावनी पंजाब से हु . अगर आप कभी यहाँ या इसके आस पास bhi आए तो जरूर दर्शन दे. मेरा मब. नंबर है 09855049709
जुगराज जी आप का बहुत बहुत धन्यवाद। वकील तो वैसे ही अपने पेशे से बंधे होते हैं। बहुत कम अपना स्टेशन छो़ड़ पाते हैं। फिर भी कभी आप के नजदीक से भी गुजरा तो आप को अवश्य सूचित करूंगा।
दिनेशराय द्विवेदी का पिछला आलेख है:–.किसी भी व्यक्ति की आय पर किसी का कोई अधिकार नहीं।
नमस्कार दिर्वेदी जी
ऊपर लिखी सलाह में से मैं ये सवाल पूछना चाहता हु के वसीयत द्वारा प्रोविडेंट फण्ड या बीमा पॉलिसी या बैंक बैलेंस को सिर्फ नॉमिनी प्रयोग कर सके ऐसा किया जा सकता है क्या.
किउंकि कई बार परिवारिक मतभेद होने पर लड़की पक्ष लड़के और उसके परिवार को बहुत तंग करते है और बदकिस्मती से अगर लड़का मर जाय तो उसकी खून पसीने की कमाई उस लड़की को कानून के उतरािधिकार आधार पर मिल जाती है जिसने उसे or उसके परिवार को दुःख दिए होते है.
क्या वसीयत द्वारा अपनी स्वय अर्जित पूँजी जमीन बैंक बैलेंस और बीमा पॉलिसी को को सिर्फ नॉमिनी ही प्रयोग कर सके और कोई कानून उत्रिधिकार द्वारा न ले सके
क्या ऐसा वसीयत द्वारा हो सकताहै.
kiuki लड़के की कमाई mrne ke bad उस लड़की या उन बचो को किउ मिले jin लोगो ने जीते huy उसे pani tk nahi poocha.
मेरे सवाल से कोई dukhi hua हो तो maaf करे.
मई सिर्फ वसीयत की पावर के बारे जानना चाहता हु.
जुगराज जी, आप ने सही सवाल किया है। उत्तराधिकार को वसीयत से नियंत्रित किया जा सकता है। उत्तराधिकार सिर्फ निर्वसीयती संपत्ति पर प्रभावी होता है। यदि पीएफ ग्रेच्यूटी आदि की वसीयत कर दी गई हो और नियोजक व ट्रस्ट को उस की सूचना दे दी गई हो तो फिर उत्तराधिकार का कोई प्रभाव नहीं रहेगा। वसीयत के अनुसार इन का वितरण होगा।
दिनेशराय द्विवेदी का पिछला आलेख है:–.किसी भी व्यक्ति की आय पर किसी का कोई अधिकार नहीं।
अच्छा लगा जानकर की कानून सन्तान को सन्तान के रूप में ही देखता है । जायज या नाजायज के रूप में नहीं। अच्छी जानकारी दी है आपने।