आपसी समझ बना कर वैवाहिक समस्या का समाधान तलाशने का प्रयत्न करें।
रितिक कौशिक ने गाजियाबाद से समस्या भेजी है कि-
मेरी पत्नी एक फीजियोथेरेपिस्ट है और दिल्ली के सरकारी अस्पताल में संविदा पर फीजियोथेरेपिस्ट की नौकरी (38,000/-प्रतिमाह) करती है। मैं भी श्रेणी प्रथम राजकीय अधिकारी हूँ। हम दोनों में मनमुटाव के कारण जीना दूभर हो गया है। विवाह को दो वर्ष हुए हैं एक दस माह की बेटी भी है। पत्नी चाहती है कि 30 लाख का मुकदमा कर के घरेलू हिंसा और 498ए में मुझे जेल भिजवा दे जिस से मेरी नौकरी भी चली जाए। कृपया सुझाव दें कि आपसी सहमति से तलाक में भी कामकाजी पत्नी को भी मेंटीनेंस देना होगा क्या? और तलाक के बाद बेटी की कस्टडी किस के पास रहेगी। क्या बेटी के लिए अलग से भत्ता देना पड़ेगा क्या? वह सुप्रीमकोर्ट के निर्णयों की प्रति अपने पास रखती है ताकि इस मामले में अच्छी राशि प्राप्त कर सके।
समाधान-
आप ने मन मुटाव का कोई कारण यहाँ नहीं बताया है। मुझे लगता है कि आप दोनों को किसी काउंसलर की मदद लेनी चाहिए। अभी आप के विवाह को अधिक समय नहीं हुआ है। यदि किसी तरह आप लोगों में बात बन सकती है तो इस विवाह को बनाए रखें। इस से बच्चे पर बुरा असर नहीं होगा।
यदि आप समझते हैं कि बात इतनी बिगड़ गयी है कि अब नहीं बन सकती तो बेहतर है कि आप दोनों आपस में सहमति से तलाक लें। तलाक की सहमति भी तभी संभव हो सकती है जब कि तलाक के फलस्वरूप आप की पत्नी के लिए स्थाई पुनर्भरण तथा बेटी के भरण पोषण की राशि तय हो जाए। यह राशि दोनों की मिला कर एक मुश्त तय हो सकती है। यदि ये सब बातें तय हो जाएंगी तभी सहमति से तलाक संभव हो सकेगा अन्यथा आप दोनों को बहुत सी मुकदमों को झेलना पड़ेगा। बेहतर है कि साथ रहने के संबंध में नहीं तो अलग होने के संबंध में ही सहमति बना ली जाए।
तलाक की स्थिति में यदि पत्नी की खुद की पर्याप्त आय है तो उसे भरण पोषण राशि दिलाने का कोई अर्थ नहीं है लेकिन आप की आय और पत्नी की आय में बड़ा अन्तर है तो न्यायालय पत्नी को अपने स्तर से जीने के लिए कुछ भरण पोषण राशि आप से दिलवा सकता है।
बेटी की अभिरक्षा आप को प्राप्त नहीं हो सकेगी। बेहतर है कि वह अपनी माँ के साथ रहे। बाद में जब उस की उम्र अधिक हो जाए और यह लगे कि माँ के साथ उस का पालन पोषण ठीक से नहीं हो रहा है और आप के पास हो सकता है तो उस समय कस्टडी प्राप्त करने के लिए आवेदन किया जा सकता है।
आप राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में निवास करते हैं। वहाँ बहुत अच्चे वकील उपलब्ध हैं। आप उन की फीस देने में भी सक्षम हैं आप को चाहिए कि किसी स्थानीय वकील से सारे तथ्य बता कर राय करें। वह सारे तथ्य जान लेने के बाद आप को उचित राय दे सकता है।
More from my site
- स्त्री से उसका स्त्री-धन वापस प्राप्त करने का विचार त्याग दें।
- बच्चे की अभिरक्षा के लिए न्यायालय बच्चे का हित देखेगा।
- हिन्दु विवाह विच्छेद न्यायालय के बाहर संभव नहीं
- सहमति से तलाक में शर्तें आपस में तय की जा सकती हैं।
- तलाक का आधार हो तो दूसरे पक्ष की सहमति की जरूरत नहीं।
- परस्पर विश्वास नहीं तो विवाह विच्छेद ही सर्वोत्तम हल है।
Related Posts
-
मध्यस्थों के माध्यम से दाम्पत्य अधिकारों की पुनर्स्थापना अथवा सहमति से तलाक के लिए प्रयत्न करें
2 Comments | Jun 12, 2012
-
निस्सन्तान की मृत्यु पर क्या पूर्व मृत भाई के पुत्र को भी हिस्सा मिलेगा?
2 Comments | May 14, 2017
-
जिस भूमि पर आप 15 वर्ष से मकान बना कर काबिज हैं उस से आप को बेदखल नहीं किया जा सकता।
3 Comments | Oct 16, 2015
-
कोशिश करें कि पत्नी को समझ आ जाए, वह आप के साथ रहने को तैयार हो जाए
16 Comments | Jan 5, 2011
मैं आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूँ सर. आपसी समझ से ही इस रिश्ते को आगे बढाया जा सकता हैं एक दुसरे में विश्वास हो तथा एक दुसरे का सम्मान करें तो अच्छा रहेगा
Mahesh Yadav का पिछला आलेख है:–.दिमाग को पूरी तरह से आज़ाद करने के उपाय