आप के साथ छल हुआ है, धारा 420 आईपीसी में मुकदमा दर्ज करवाइए।
समस्या-
महेन्द्र शर्मा ने, भिलाई, छत्तीसगढ़ से पूछा है-
मैंने अपने पड़ोस में रहने वाले से एक जमीन का दुकड़ा ख़रीदा, जो मेरे जन्म से पहले ही हमारे कब्जे में दीखता था अर्थात उस पर बाउंड्री है। पर नक्शा में उनके नाम से दिख रहा था तो मैंने उनसे बात कर के उपरोक्त जमीन हेतु पैसा दिया। इस हेतु मैंने उन्हें पहले चेक दिया था पर बाद में परिवार में विचार कर संयुक्त परिवार के नाम से जमीन की रजिस्ट्री करेंगे निर्णय लिया क्यों कि सारा जमीन संयुक्त नाम से है। इस बात से उन्हें अवगत कराया तो वो राजी हो गए। मेरा उन पर विश्वास है क्योकि मेरे ससुराल पक्ष के तरफ से वो करीबी होते हैं। अत: संयुक्त रूप से हमने नगदी रकम दिया और इकरारनामा बनवाया। पर पैसा लेने के बाद वो रजिस्ट्री के लिए ना नुकुर करने और विवाद करने लगे। जिस पर मैंने उन्हें क़ानूनी नोटिस भिजवाया कि रजिस्ट्री करवाएँ। उन्होंने ने जवाब में लिखा कि रजिस्ट्री की कोई बात नहीं की गई। जमीन का जो हिस्सा लिखा गया है वो गलत है और पैसा चैक से मिला है। जब कि मैंने पैसा नगदी भी दिया था। जो चेक मैंने पहले दिया था उन्हों ने ने उसे भी कैश करवा लिया था। जो मुझे उनके नोटिस मिलने के बाद जानकारी मिला। जमीन कम ज्यादा लिखने का सवाल ही नहीं होता क्यों कि तहसीलदार के नक़्शे में जो लिखा गया है वही इकरारनामा में लिखा गया है और उस पर पहले से ही बाउंड्री है। हम लोगों को बाद में ज्ञात हुआ कि उपरोक्त जमीन पर पूर्व से ही अदालत में प्रकरण चल रहा है। हमें यह ज्ञात था की उपरोक्त जमीन दो भाइयों की है। जिस मे हमने जिससे जमीन ख़रीदा है उन्होंने इकरारनामा में लिखा है कि मैं अपने हिस्से की जमीन बेच रहा हूँ। मेरा प्रश्न यह है कि उपरोक्त विवाद पर क्या किया जा सकता है? किस अधिनियम के तहत मामला चलाया जा सकता है? क्या वह जमीन मुझे मिल सकता है? और कौन कौन सा मामला उपरोक्त विवाद में हो सकता है। मुझे उपरोक्त जमीन पर दावा करने के क्या अधिकार प्राप्त है?
समाधान-
आप ने अपनी गलती से खुद धोखा खाया है। पहले जाँच लेना चाहिए था कि जमीन पर कोई विवाद तो नहीं है। जब आप को जानकारी थी कि जमीन दो व्यक्तियों के नाम से है तो दोनों से इकरारनामा करना चाहिए था। अब इकरारनामे से केवल वही पाबंद है जिस ने वह लिखा है। फिर उस में उस के हिस्से की संपत्ति बेचने की बात है। यदि दूसरे का भी उस में हिस्सा है तो वह उस इकररारनामे से बाध्य नहीं है। आप चैक से पैसा दे चुके थे तब आप को दुबारा सारा पैसा नकद देने के समय उन से चैक वापस लेना चाहिए था। आप तयशुदा राशि से अधिक दे चुके हैं और जमीन का इकरारनामा भी आप के हिस्से का ही है।
आप इकरारनामे में लिखे गए जमीन के हिस्से मात्र के विक्रय पत्र की रजिस्ट्री करवाने के अधिकारी हैं और उस के लिए भी आप को दीवानी अदालत में संविदा के विशिष्ट पालन का मुकदमा करना पड़ेगा। जिस पर जमीन के विक्रय की कीमत पर न्याय शुल्क भी अदा करना होगा।
आप के साथ छल हुआ है, जो कि धारा 420 आईपीसी के अन्तर्गत अपराध है, आप उस के लिए पुलिस थाने में रिपोर्ट करवा सकते हैं। यदि पुलिस थाना रिपोर्ट दर्ज करने से इन्कार करे तो आप एसपी को उस की शिकायत दे सकते हैं। उस पर भी काम न बने तो न्यायालय के समक्ष अपना परिवाद दर्ज करवा सकते हैं। इस के लिए आप को स्थानीय वकील से सलाह लेना चाहिए और उस के अनुरूप कदम उठाना चाहिए।
Kya sarvjanik farjiwade m koi anya vyakti 420 ka mukaddama deal Santa hai
मेरा और मेरे भाई का एक प्लाट था शहर मे पहले हम लोग गॉव मे रहते थे मैने शहर का मकान अपने खर्चे पर बनवाया मेरे भाई का उस मकान मे कोई पैसा नहीं लगा जब वह मकान बन गया तो बो उस मकान मे हिस्सा मॉग रहा है लेकिन हम लोगो की आपस मे बात हुई थी कि आप शहर मे मकान वनवा लो मै गॉव का पूरा मकान ले लूगा अब मकान बना देख कर पलट गया ा मेरे लिये कोई सुझाव हो तो बताओ ा
मुझे आम रासते मे अतिकृमण करके बनाया गया मकान के अतिकृमण को हटवाने के लिय कहॉ पर मामला दरज करवाना चाहिय पहले जब जिला अधिकारी को दिया तो उसे तहसीलदार ने धरमशाला बता करके धारा 91बी की करवाई के लिय दिनांक 2/2/2011 को पुलीस थाना को लिख दिया है सूचना के अधिकार तहत् यह जानकारी मिली है लैकिन आज तक उसकी कारवाई कुछ भी नही हुई है और उसनै मेरे खातेदारी की कृषि भूमि सै रासता बनवा रखा है रसूख दार वाला है अब मुझै किस पृकार सै अतिकृमण हटवाना चाहिय जानकारी दै
गोपाल शर्मा नाम के व्यक्ति ने अपने राशन कार्ड की फोटोकापी कोर्ट में जमा करवाई जिसके अनुसार अमित शर्मा उसका पुत्र है। साथ ही उसने यह भी लिख कर दिया है कि अमित का वह बायोलाजिकल पुत्र है। राशन कार्ड की फोटोकापी के अनुसार राशन कार्ड का वर्ष 2007 है। जबकि हमने कोर्ट में रामबिलास शर्मा के राशन कार्ड की फोटोकापी (जिसमें रामबिलास शर्मा ने अमित को अपना पुत्र एवं उसकी पत्नी को अपनी पुत्रवधु माना है। रामबिलास के राशन कार्ड का वर्ष 2008 है। कोर्ट में अमित शर्मा के वोटर कार्ड की प्रति (जो कि वर्ष 2002 का है) जमा किया गया है। कोर्ट में एक अन्य दस्तावेज भी जमा किया गया है जिसमें रामबिलास शर्मा ने अपनी एक संपत्ति किसी व्यक्ति को बेची जिसमें अमित शर्मा ने गवाह के रूप में हस्ताक्षर किए जिसके अनुसार अमित शर्मा पुत्र रामबिलास शर्मा है। रामबिलास की पत्नी ने अपनी एक संपत्ति अमित शर्मा को फैमिली जीपीए के द्वारा दी जिसमें रामबिलास की पत्नी ने अमित को अपना पुत्र एवं अमित पुत्र रामबिलास रजिस्ट्रार के समक्ष लिख कर दिया है।
अब प्रश्न यह है कि क्या गोपाल शर्मा के विरुद्ध कोर्ट में गलत दस्तावेज जमा कराने के लिए किन धाराओं में मामला चलाया जा सकता है।
सुशील
ज्ञान वर्धक जानकारी /
राजेंद्र सिंह / अजमेर / राजस्थान /