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उत्तराधिकारियों में विवाद होने पर अनुकंपात्मक नियुक्ति से नियोजक मना कर सकता है

जितेंद्र शर्मा जी ने समस्या भेजी है …
एक सिपाही ने उस की पत्नी के देहांत के बात दूसरा विवाह कर लिया। पहली पत्नी से तीन पुत्र और एक पुत्री थी। दूसरी पत्नी से दो पुत्र और दो पुत्रियाँ हैं।  सिपाही की सेवा में रहते हुए मृत्यु हो गई। सर्विस बुक में पहली पत्नी का ही नाम चला आ रहा था। सिपाही के पिता और अन्य रिश्तेदारों ने दूसरी पत्नी को उत्तराधिकारी बनाने और  पहली पत्नी के एक पुत्र को नौकरी और दूसरी पत्नी को पेंशन देने की लिखा पढ़ी कर दी।  दूसरी पत्नी को  बैंक, पोस्टऑफिस आदि से भी धन मिला है। इस के बाद भी उसने पहली पत्नी के बच्चों को घर से निकाल दिया और नौकरी दिलाने से मना करती है, कहती है कि नौकरी भी मैं ही करूंगी और पैंशन भी मैं ही लूंगी। पैंशन बाबू भी उस की तरफदारी करता है। क्या दूसरी पत्नी का कहना सही है? और पहली पत्नी के बच्चों को कुछ नहीं मिलेगा?
उत्तर …
आप की समस्या हिन्दू उत्तराधिकार और मृतक कर्मचारी को मिलने वाले लाभों से संबंधित है।  उत्तराधिकार का प्रश्न इस के कानून से तय होगा। परिवार वालों ने जो भी निर्णय किया है वह तभी मान्य हो सकता है जब कि सभी उत्तराधिकारियों के बीच संपत्ति का विभाजन विधिपूर्वक किए गए पारिवारिक समझौते के माध्यम  से हो  और जिस से सभी उत्तराधिकारियों ने सहमत हो कर उस पर हस्ताक्षर किए हों।

यहाँ मृतक कर्मचारी की नौकरी के कारण मिलने वाले लाभों में से अनुकंपा के आधार पर मिलने वाली नौकरी और पेंशन को छोड़ कर अन्य सभी लाभ मृतक कर्मचारी की संपत्ति हैं और उन का बंटवारा उत्तराधिकार के कानून के अनुसार होगा। इस मामले में मृतक कर्मचारी की पत्नी और सभी संतानों का जो  कि संख्या में कुल 9 हैं, मृतक की संपूर्ण संपत्ति में समान भाग है। इस तरह एक उत्तराधिकारी के हिस्से में संपत्ति का नौवाँ हिस्सा आएगा। कोई भी एक उत्तराधिकारी संपत्ति के बंटवारे का दावा कर सकता है।

जहाँ तक पेंशन का प्रश्न है तो वह केवल मृतक की पत्नी और मृतक के अवयस्क संतानों को ही मिल सकती है अन्य को नहीं। सरकारी सेवा अनुकंपात्मक नियुक्ति, जैसा कि इस का नाम है अधिकार नहीं है। यह नियोजक पर निर्भर करता है कि वह नौकरी दे अथवा न दे। नियम बने होने के बाद भी वह नियुक्ति देने से इन्कार कर सकता है। वह यह भी देखेगा कि क्या मृत कर्मचारी के परिवार को सहायता की आवश्यकता है? और है तो वह किसे नौकरी देने से पूरी की जा सकती है। इस के अलावा वह मृत कर्मचारी के सभी उत्तराधिकारियों से किसी एक उत्तराधिकारी को नौकरी देने के लिए अनापत्ति भी चाहेगा। जब उत्तराधिकारियों के बीच ही अनुकंपात्मक नियुक्ति प्राप्त करने के लिए विवाद हो तो नियोजक किसी को भी वह नौकरी नहीं देगा। वह किसी को भी नौकरी देने से इन्कार कर सकता है।

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