उत्तराधिकार का दावा केवल निर्वसीयती संपत्ति पर ही हो सकता है।
|दीपक लाम्बा ने भिरडाना, फतेहाबाद, हरियाणा से समस्या भेजी है कि-
मेरे दादा दादी ने अपने ३ पुत्रो में से एक पुत्र भीम को 1960 में अपनी साली रामदिती पति लछमन को गोद दिया था लेकिन पंजीकरण नही करवाया। तब से आज तक भीम गोद माता-पिता के पास रह रहा है। सभी सरकारी दस्तावेज मे भीम सुपुत्र लछमन लिखा हुआ है व उनकी सारी सम्पति का मालिक बना है। लेकिन अब वह हमारी सम्पति में से भी हिस्सा माँग रहा है, 1984 मेरे दादा बक्शीराम ने अपनी पंजीकृत वसीयत लिखी जिस में उस ने लिखा कि उसने भीम को गोद दे दिया है ओर उसे अपनी सम्पति मे से कुछ नहीं देता। इसके अलावा रामदिती गोदमाता ने भी 1980 वसीयत लिखी जिसमे उसने लिखा कि भीम मेरा पिसर पुत्र है ओर बचपन से उसके साथ रह रहा है। मेरा सवाल है कि क्या भीम हमारी सम्पत्ति में हिस्सेदार बन सकता है क्या? 1960 में भी गोदनामा पंजीकरण होता था। अगर भीम हमारी सम्पति में हिस्सेदार बनता है तो उसके माता-पिता का नाम क्या होगा?
समाधान –
आप की आशंका निर्मूल है। आप के दादा जी ने अपनी संपत्ति वसीयत कर दी है। वसीयत भी पंजीकृत है। उत्तराधिकार के आधार पर केवल उस संपत्ति का बँटवारा हो सकता है जो संपत्ति निर्वसीयती हो अर्थात जिस के संबंध में कोई वसीयत नहीं की गयी हो। आप के दादा जी वसीयत कर गए थे। उस वसीयत में यह भी कहा गया है कि भीम को गोद दे दिया गया था। गोद लेने वाला भी अपनी वसीयत में स्वीकार कर रहा के भीम को उस ने गोद ले लिया था। भीम के सभी प्रमाण पत्रों में नाम भी गोद माता पिता का ही है।
गोद पत्र का पंजीकरण पहले भी होता था और अब भी होता है। किन्तु गोदनामे का पंजीकरण आज भी अनिवार्य नहीं है। उसे न्यायालय में मौखिक साक्ष्य से तथा उक्त दस्तावेजों के आधार पर प्रमाणित किया जा सकता है। केवल इतना प्रमाणित करना आवश्यक होता है कि गोद की रस्म हुई थी। उस में लोगों को बुलाया गया था। गोद देने वाले तथा लेने वाले माता पिता चारों की सहमति थी, इस रस्म के समय उपहारों का रीति रिवाज के साथ आदान प्रदान हुआ था और मेहमानों को भोजन या जलपान कराया गया था।
केवल एक स्थिति में भीम कुछ संपत्ति पर दावा कर सकता है। वह यह कि दादा ने जिस संपत्ति की वसीयत की थी वह पुश्तैनी संपत्ति रही हो जिस में व्यक्ति का जन्म से ही अधिकार होता है। लेकिन उस की भी संभावना कम है क्यों कि आप के दादा का देहान्त सन् 1960 के उपरान्त हुआ है। इन सब तथ्यों की विवेचना करना बिना दस्तावेजों के संभव नहीं है।
यदि भीम आप की संपत्ति में अपना दावा प्रस्तुत करता है तो किसी अच्छे वकील से अपना मुकदमे की पैरवी कराएँ।
mere papa k chcha hai jinke koi aulaad nahi hai..unhone mere papa ko apna beta maana hai or saari property ki vasiyat mere papa k naam kar di hai or wo vasiyat registerd b hai..kiya usk vasiyat ko unka koi or bhateeja chalenge kr skta hai court me .ya wo vasiyat mere paapa k naam hai to unki hi hogi
?
सर मेरी समस्या के उत्तर के लिए बहुत बहुत बहुत धन्यवाद
1 सर यदि गोदनामा पंजीकरण हो तब भी गोदपुत्र पुश्तैनी जायदाद मे हकदार होता है
2 सर आपने कहा कि यदि सम्पत्ति पुश्तैनी है तो भीम कुछ सम्पत्ति का हकदार बन सकता है, कुछ से आपका क्या तात्पर्य है अर्थात् कितना भाग
3 सर आपने कहा कि दादा की मृत्यु 1960 के उपरान्त हुई. इसलिये उसकी सम्भावना कम है इसके पीछे क्या कारण है
4क्या गोदपुत्र जन्मदाता ओर गोद माता-पिता दोनो की सम्पत्ति का हकदार होता है यदि सम्पत्ति पुश्तैनी हो