काउंसलिंग वैवाहिक विवादों का अच्छा समाधान प्रस्तुत कर सकती है
|समस्या-
मेरी शादी 2008 में हुई थी। दो साल बाद मेरी जुड़वाँ बेटियाँ हुई जिनको मेरी पत्नी पालना नहीं चाहती थी और 25 दिन के बच्चों को छोड़ कर घर में क्लेश कर के और मेरे ऊपर मिथ्या आरोप लगाते हुए दोनो बच्चों को मेरे पास छोड़ कर मायके चली गयी थी। रिश्तेदारों से काफ़ी बात-चीत करने के बाद लगभग 8 माह बाद वह वापस आ गयी। दो- चार दिन ठीक से रहने के बाद फिर से क्लेश करना शुरू कर दिया। क्लेश की वजह से मैं तनाव में रहने लगा। वह हर वक़्त तलाक लेने की धमकी, या फिर आत्महत्या लेने की या फिर जेल मे बंद कराने की धमकियाँ देने लगी। चार माह तक मेरे घर में ज़बरदस्ती रहने के बाद एक बेटी को लेकर बिना कुछ कहे वापस अपने मायके चली गई। इन 4 महीनों में एक बार भी मेरा उस के साथ शारीरिक संबंध नहीं हुआ। पिछले 9 माह से मैं एक बेटी को पाल रहा हूँ और एक उसके पास है। ना तो कोई उसने क़ानूनी कार्यवाही की है और ना ही संपर्क करने की कोशिश की है। जिन रिश्तेदारों के माध्यम से मेरी बात होती थी अब उन लोगो ने कुछ भी कहना सुनना बंद कर दिया है। मुझे ही अपने जीवन से नफ़रत होने लगी है। मुझे कोई रास्ता नही दिखाई दे रहा है। कोई वकील धारा-9 के मुकदमे की सलाह देता है, लेकिन उसमें खर्चे आदि के मुक़दमे हो सकते हैं। कोई वकील केवल काउंसलिंग के लिए कहता है। जिसका कोई लाभ नहीं। समझ में नही आता मैं क्या करूँ? मेरे घर में मेरी 58 वर्ष की माँ हैं जो अध्यापन करती हैं, एक भाई ड्रग एडिक्ट है, एक बहिन है जो बैंक में नौकरी करती है और एक मेरी 2 वर्ष की बेटी है। एक बेटी पत्नी अपने साथ ले गई है। मेरी केवल मोबाइल रिपेयर की दुकान है। जिससे महीने का खर्च भी मुश्किल से चलता है। जैसे तैसे करके गुजारा करता हूँ। तनाव काफ़ी होने के वजह से दुकान पर भी ध्यान नहीं दे पा रहा हूँ। लेकिन बेटी को पालने में कोई कसर नही छोड़ता हूँ।
1-मुझे क्या अपनी पत्नी से तलाक़ मिल सकता है?
2-क्या मैं दूसरी बेटी की माँग कर सकता हूँ?
3-क्या मुझे जेल में जाना पड़ सकता है?
4-क्या मुझे खर्चा आदि भी देना पड़ सकता है?
–वरुण, बरेली, उत्तर प्रदेश
समाधान-
आप ने पूर्व में भी अपनी समस्या तीसरा खंबा को भेजी थी, जिस का समाधान भी किया गया था। आप को चाहिए था कि कम से कम आप उस तिथि का उल्लेख अवश्य करते जिस तिथि को आप ने अपना प्रश्न भेजा था या तीसरा खंबा ने समाधान प्रकाशित किया गया था। इस से हमें पुराना सूत्र तलाशने में आसानी होती। खैर, हम आप की समस्या का पुनः समाधान प्रस्तुत कर रहे हैं।
आप के द्वारा दिए गए विवरण से पता लगता है कि आप की समस्या का आरंभ दो जुड़वाँ पुत्रियों के पैदा होने के साथ हुआ है। हो सकता है आप की पत्नी संतान को जन्म देने के लिए ही तैयार नहीं रही हो और जब उसे पता लगा हो कि वह संतान को जन्म देने वाली है तो वह परेशानी में आ गई हो। फिर किसी तरह उस ने एक संतान के लिए स्वयं को तैयार भी कर लिया हो। लेकिन जब जुड़वाँ बेटियाँ मिली हों तो वह परेशान हो गई हो और उस परेशानी से न निपट पाने के कारण अपनी ही संतानों को छोड़ कर चली गई हो। पत्नी के इस तरह चले जाने पर ही आप सब को पत्नी की समस्या के रूप में देखना चाहिेए था। लेकिन संभवत: उसे पत्नी के दोष के रूप में देखा गया। अनेक बार ऐसा होता है कि हम किसी घटना को अपने जीवन में अभी नहीं देखना चाहते लेकिन वह अनायास आ पड़ती है तो घबरा उठते हैं। लेकिन जीवन इस से तो नहीं चलता। जीवन तो आने वाली समस्याओं का सामना करने से चलता है। मेरे विचार में आप को काउंसलिंग पर विचार करना चाहिए। हो सकता है कि पहले जब आप की पत्नी आप के पास आई हो तो यह सोच कर आई हो कि जैसे भी हो वह अपनी संतानों को पालेगी। हो सकता है आप ने और आप के रिश्तेदारों ने यह आश्वासन दिया हो कि सास और पति उसे इस काम में मदद करेगा। लेकिन आप की माता जी अपने अध्यापन के कार्य के कारण और आप अपने व्यवसाय के कारण इस बात पर ध्यान ने दे सके हों। मुझे लगता है आप, आप की पत्नी और आप की माता जी तीनों को काउंसलिंग की आवश्यकता है।
आप ने इस बात का भी उल्लेख किया है कि मायके से लौट कर आने के बाद आप का पत्नी से कोई शारीरिक संपर्क नहीं हो सका है। जो स्त्री एक बार में ही अनिच्छा से दो संतानें प्राप्त कर चुकी हो वह असुरक्षित यौन संबंध से तो निश्चित ही दूर रहेगी। मुझे तो इस में कुछ भी गलत नहीं लगा। इस के लिए आप को चाहिए कि आप सुरक्षित और स्थाई प्रकार के सुरक्षा उपाय कर सकते थे जिस से संतान उत्पन्न न हो। यदि परिस्थितियाँ ऐसी ही रही हैं तो आप को काउंसलिंग पर ध्यान देना चाहिए। यदि परिस्थिति ऐसी ही रही है तो काउंसलिंग एक अच्छी चीज है आप को उस तरफ ध्यान देना चाहिए। अभी तक आप की पत्नी ने कोई कानूनी कदम नहीं उठाया है, इस स्थित में काउंसलिंग आप की समस्या का एक अच्छा समाधान प्रस्तुत कर सकती है। मेरा मानना तो यह है कि आप को यह सोच कर कि पत्नी की परेशानियों का हल किस प्रकार निकाला जा सकता है, कोई योजना बनानी चाहिए। फिर आप को अपनी ससुराल जा कर अपनी पत्नी से बात करनी चाहिए कि आप उस की परेशानी नहीं समझ सके थे, लेकिन अब आप की समझ में आ गया है कि उस की परेशानी क्या है। अब बच्चे तो हो ही गए हैं, उन का पालन पोषण करना तो माता-पिता का दायित्व है। दोनों किसी तरह संभालेंगे। अपनी पत्नी को मनाइये और घर ले आइये। निश्चित रूप से यह काम एक बार में सम्भव नहीं है। लेकिन तीन-चार बार में अवश्य हो जाएगा। इस काम में आप किसी ऐसे व्यक्ति की भी मदद ले सकते हैं जिस पर आप की पत्नी विश्वास कर सके। आप की पत्नी की कोई सहेली हो तो उस के माध्यम से यह काम आसानी से हो सकता है। लेकिन आप को पहले उसे समझाना पड़ेगा। एक बार वह समझ गई तो फिर आप को अपनी पत्नी को समझाना आसान हो जाएगा।
आप ने पूछा है कि आप को तलाक मिल सकता है क्या? तलाक के लिए किसी न किसी ऐसे आधार की आवश्यकता आप को होगी जो कि तलाक के लिए कानून द्वारा निर्धारित हैं। मुझे अभी तो ऐसा कोई आधार दिखाई नहीं दे रहा है। हाँ, जब आप की पत्नी को अंतिम बार आप का घर छोड़े एक वर्ष हो जाए तो आप एक वर्ष के लगातार दाम्पत्य त्याग के आधार पर आप तलाक की अर्जी लगा सकते हैं। लेकिन उस में वही सब परेशानियाँ खड़ी होंगी। आप को न केवल अपनी पत्नी के लिए अपितु अपनी पुत्री के लिए भी तुरंत उतना खर्चा देना होगा जितना अदालत निर्धारित कर देगी। आप की क्षमता ऐसी नहीं कि आप निरंतर खर्चा दे सकें।
आप अपनी बेटी की अभिरक्षा के लिए आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं। लेकिन उस स्थिति में न्यायालय इस आधार पर निर्णय करेगा कि बेटी का हित कहाँ रहने में है। यह सब न्यायालय के समक्ष लाए गए तथ्यों और साक्ष्य पर निर्भर करेगा।
इस विवाद के बीच यदि आप की पत्नी धारा 498क और 406 आईपीसी का मुकदमा दर्ज करवा दे या फिर धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता में आवेदन प्रस्तुत करे उस में यह आदेश हो जाए कि पत्नी और पुत्री के लिए हर माह निश्चित खर्च देना होगा और आप वह खर्च न दे सकें तो आप को जेल भी जाना पड़ सकता है।
आप को पत्नी और पुत्री का खर्चा देना पड़ सकता है। एक बार पत्नी के भरण-पोषण की राशि अदा करने से आप को भले ही मुक्ति मिल जाए। लेकिन पुत्री के भरण पोषण का खर्चा तो आप को देना ही होगा।
इन तमाम परिस्थितियों में केवल एक मार्ग आप के सामने शेष रहता है कि आप पत्नी की मानिसिकता और परेशानी को समझें और उसे समझाएँ उस की मदद करें तो हो सकता है आप का और आप की पत्नी का यह गृहस्थ जीवन बच सके। इन तमाम परिस्थितियों में आप यह भी सोचें कि आप को दोनों पुत्रियाँ मिल जाएँ और पत्नी से तलाक हो जाए तब भी आप क्या पुत्रियों को उन की माँ दे सकते हैं। अभी भी आप की एक पुत्री माँ से वंचित है तो दूसरी पिता से वंचित है। यदि आप प्रयास कर के दोनों को माता-पिता दे सकें तो यह सब से उत्तम होगा। आप की समस्या का हल भी इसी में से निकलेगा। तीसरा खंबा आशा करता है कि आप अपनी समस्या को हल कर पाएंगे और अपना, अपनी पत्नी और अपनी पुत्रियों के पटरी पर से उतरे हुए जीवन को फिर से पटरी पर ला सकेंगे।
मेरी भाईकी शादी को १० साल हो गए।पहले एक लड़का है जो अभी ७ साल का है।भाभी २०१२ में डिलीवरी कराने पीहर गयी थी।तभी से वापस नहीं आई।फ़ोन पर भी बात नहीं करते।हमने सामाजिक स्तर पर ४,५,उनके घर पर बात की,लेकिन वो गाली गलौच से बात करके भाभी को नहीं भेजते।भाभी भी उनके पीहर वालो के पक्ष में बोलती है।और तलाक के लिए कहती है।भाभी १० साल से भाई के साथ अकेले ही हमसे से अलग रहती थी।भाभी ने अब 498केस और मेरे पर छेड़छाड़ का केस और मेरे परिवार पर घरेलु हिंसा का केस कर दिया है।लड़का हमारे पास और लड़की भाभी के पास है।भाभी के घर वाले हमें बर्बाद करने की धमकी देते है।भाभी को उन लोगो ने हमारे खिलाफ मिस गाइड कर दिया।हमने और भाई ने भाभी को कभी परेशां नहीं किया। उन लोगो भाई और भाभी की निजी जिंदगी में दखलअंदाजी करके बिना वजह के भाभी को हमारे खिलाफ कर दिया।भाई ने भाभी को बी एड करा दिया।अब वो लोग भाभी को कहते है की तू तलाक लेले ताकि तलाक कोटे से तुझे नोकरी जल्दी मिल जायेगी। भाभी ने उन लोगो की बातो में आकर हमारे पर केस कर दिया है।हम लोग टेंशन में है।क्रपया आप हमे समझाए की हम कैसे इस मुसीबत से छुटकारा पाये ।हम भाभी को तलाक नहीं देना चाहते।
पति पत्नी के रिश्ते बड़े नाजुक होते हैं. यह सच है कि इन्हें बचाने में परिवार अदालत के मौजूदा सुलह – समझौता केंद्र बहुत ही मददगार साबित हो सकते हैं. निश्चित रूप से दम्पत्तियों को इसकी मदद लेनी चाहिए.
गुरुदेव जी, आपने बहुत अच्छी सलाह दी है.
रमेश कुमार जैन उर्फ सिरफिरा का पिछला आलेख है:–.जिसकी लाठी उसी की भैंस-अंधा कानून
अच्छा सुझाव दिया गया है ! एक बार काउंसलिंग जरुर करे!