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कानूनी समस्या के समाधान में दस्तावेज की तिथि अत्यन्त महत्वपूर्ण है।

Sale Deedसमस्या-
संतोष कुमार  ने मध्य प्रदेश के किसी नगर से पूछा है-

मेरे पिताजी ने 25-30 साल पहले मध्यप्रदेश के एक छोटे शहर मे मकान बनाने हेतु 40 X 60  वर्ग फुट की एक जमीन खरीदी। जिस की रजिस्ट्री के समय मेरे पिताजी ने अपने भाई का नाम अपने साथ विक्रय पत्र में दर्ज करवा दिया था। उस समय पिताजी के भाई की उम्र 10 साल की थी जो कि रजिस्टर्ड विक्रय पत्र में दर्ज हैl  तब से अभी तक मेरे पिताजी उसी मकान में रहते हैं तथा पिताजी के भाई अलग दूसरी जगह पर रहते हैं।  ओरिजनल रजिस्टर्ड विक्रय पत्र पिताजी के पास है। मकान टैक्स पिताजी जमा करते हैं। बिजली का बिल ,पानी का बिल, राशन कार्ड ,वोटर आईडी ,आधार कार्ड , सभी पिताजी के नाम हैं। अब पिताजी के भाई मकान खाली करवाने की धमकी दे रहे हैं। मकान पिताजी ने बनवाया है। क्या इस स्थिति में मकान पिताजी के नाम हो सकता है? अगर हो सकता है तो किस कानून व किस धारा के तहत हो सकता है?

समाधान-

प ने अपने नगर का नाम नहीं लिखा है। साथ ही यह भी नहीं बताया है कि जमीन के खरीदने वाले विक्रय पत्र का पंजीकरण किस तारीख को किस वर्ष में हुआ था। किसी भी कानूनी मामले में किसी दस्तावेज की तिथि बहुत महत्वपूर्ण होती है। क्यों कि कोई भी कानून कानून बनने की तिथि से लागू होता है। कई कानून समय समय पर बनते और प्रभावी होते रहते हैं। वे जिस दिन प्रभावी होते हैं उसी दिन से लागू होते हैं। उस दिन के पहले के मामलों में पहले वाला कानून लागू होता है।

हले यह कानून था कि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के नाम से भी संपत्ति का निर्माण कर लेता था तो भी संपत्ति उसी व्यक्ति की मानी जाती थी जिस व्यक्ति ने खरीदी थी। ऐसी संपत्ति बेनामी संपत्ति कही जाती थी। लेकिन दिनांक 5 सितम्बर 1988 को बेनामी ट्राजेक्शन्स (प्रोहिबिशन्स) एक्ट 1988 लागू हो गया। जिस में यह कानून आया कि जो संपत्ति जिस के नाम होगी उसी की मानी जाएगी। यदि कोई संपत्ति बेनामी पायी गई तो उसे सरकार द्वारा जब्त कर लिया जाएगा तथा बेनामी संपत्ति खरीदने वालों को दंडित किया जाएगा।

दि आप के पिता ने उक्त संपत्ति दिनांक 5 सितम्बर 1988 के पहले खरीदी थी तो वे कह सकते हैं कि उन का भाई तो तब 10 वर्ष का था और संपत्ति बेनामी हो कर उन्हीं की थी। वैसी स्थिति में आप के पिताजी को कुछ करने की जरूरत नहीं है। बल्कि वे भाई को कह सकते हैं कि उस का उस संपत्ति में कोई अधिकार नहीं है, उसे जो भी करना है अदालत में जा कर करे। जब भाई कोई कानूनी कार्यवाही करे तो उस समय संपत्ति को बेनामी बता कर प्रतिरक्षा की जा सकती है।

लेकिन यदि आप के पिता के नाम विक्रय पत्र की रजिस्ट्री 5 सितम्बर 1988 या उस के बाद हुई है तो फिर आप के भाई का उक्त भूखंड पर आधा हक है। यदि आप के पिता जी इस तरह के सबूत प्रस्तुत करें कि उस पर मकान उन का खुद का बनाया हुआ है तो आप का भाई अधिक से अधिक भूखंड की वर्तमान कीमत का आधा पैसा मात्र लेने का अधिकारी होगा।