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किराएदार से कोई जबरन मकान खाली नहीं करवा सकता।

समस्या-

विकास ने देहरादून (उत्तराखंड) से पूछा है

मैं देहरादून में एक किराए के कमरे में रहता हूं । यह मकान एक विधवा महिला का है जिनकी वर्ष 2016 में मृत्यु हो चुकी है उनके दो पुत्र, दो पुत्रियां हैं सभी विदेशों में सेटल्ड है।  यहां मेरे परिवार के अलावा कोई नहीं रहता है।  मैं इस कमरे में वर्ष 2011 से रह रहा हूं और नियमित रूप से किराया तथा बिजली पानी का बिल का भुगतान करता आ रहा हूं और अभी भी कर रहा हूं।  महिला भवन स्वामी के समय कोई किरायानामा नहीं बनाया गया था। लेकिन उनकी मृत्यु के बाद से उनके बड़े पुत्र ने मेरे साथ एक 11 माह का किराया नामा बनाया 1 जून 2017 से 31 अप्रैल 2018 तक का और फिर दूसरा किरायानामा 1 जून 2018 से 31 अप्रैल 2019 तक बनाया है। जिसमें किराए की दर, संपूर्ण भवन का बिजली- पानी का भुगतान मुझे वहन करना लिखित है। मैं नियमित रूप से किराया, व बिलों का भुगतान करता आया हूं।  परंतु वे अब इस मकान को बेचना चाहते हैं इसलिए मुझे 15 दिसंबर 2018 तक मकान खाली करने के लिए कह रहे हैं।  मेरे लिए मकान किराए पर ले पाना संभव नहीं हो पा रहा है।  वे इस दिसंबर 2018 तक बेच कर जाना चाहते हैं। तो क्या अब मुझे उनके अनुसार कमरा खाली करना होगा या मैं माननीय न्यायालय से कमरा खाली नहीं करने का स्थगन आदेश प्राप्त कर सकता हूं, स्थगन आदेश कितना प्रभावी हो सकता है। मेरे पास किराया भुगतान ,बिजली व पानी के बिलों की पिछले कुछ माह की ऑनलाइन भुगतान मौजूद है। मेरे पास इस पते का वोटर कार्ड भी मौजूद है।  मैं केंद्र सरकार की सेवा में कार्यरत हूं।  मैं और मेरी पत्नी इस कमरे पर रहते हैं।  क्या भवन स्वामी को पूर्ण अधिकार है कि वह जब चाहे तब मात्र एक ईमेल के माध्यम से फॉर्मल नोटिस भेजकर किसी को घर खाली करने के लिए बाध्य कर सकता है?   कृपया उचित मार्गदर्शन करें।

समाधान-

ब से पहले तो आप यह बात गाँठ बांध लें कि कोई भी व्यक्ति किसी भी व्यक्ति से जो किसी अचल संपत्ति पर काबिज है उस संपत्ति को जबरन नहीं छीन सकता, चाहे उसे उस संपत्ति पर कब्जा प्राप्त करने का अधिकार हो या न हो। किसी भी व्यक्ति से किसी भी संपत्ति का कब्जा या तो उस व्यक्ति की सहमति से लिया जा सकता है या फिर न्यायालय के की डिक्री या आदेश के निष्पादन में प्राप्त किया जा सकता है। यदि इस के विपरीत कोई जबरन कब्जा छीनता है तो यह अपराध है इस की तुरन्त पुलिस में रिपोर्ट कराई जानी चाहिए तथा तुरन्त ही उप जिला दंडनायक को धारा 145 दंड प्रक्रिया संहिता में आवेदन किया जाना चाहिए कि फलाँ व्यक्ति ने उस के कब्जे से संपत्ति बलपूर्वक छीन ली है उस संपत्ति का कब्जा दिलाया जाए।

आप किसी संपत्ति पर एक किराएदार की हैसियत से काबिज हैं। उस संपत्ति के स्वामी की मृत्यु हो गयी है। पुत्र ने आप से 11 माह का किरायानामा लिखा है, फिर दोबारा 11 माह का किरायानामा लिखा है। 11 महा का किराया नामा लिखने का कारण मात्र इतना है कि इस से अधिक अवधि का लिखा जाता ह तो दस्तावेज पर स्टाम्प ड्यूटी अधिक देनी होती। यह किरायानामा की अवधि समाप्त हो जाने पर भी किराएदारी तब तक विधिक रूप से जारी रहती है जब तक कि स्वयं किराएदार परिसर खाली न कर दे या फिर मकान मालिक किसी न्यायालय से मकान खाली कराने की डिक्री प्राप्त न कर ले। अब पुत्र संपत्ति को बेचना चाहता है। लेकिन यदि कोई अपनी संपत्ति को बेचना चाहता है तो उस कारण से संपत्ति पर से किराएदार से मकान खाली कराने का अधिकार उत्पन्न नहीं हो जाता।  यदि आप के मकान मालिक ने आप को ई-मेल से सूचना दी है कि वह मकान बेचना चाहता है और मकान खाली करें। तो इस ई-मेल संदेश को संभाल कर रखें तथा मोबाइल या कम्पयूटर में भी सुरक्षित रखें। यह एक सबूत है जो यह साबित करेगा कि यही वास्तविक कारण है जिस से भू-स्वामी मकान खाली कराना चाहता है। यदि भू-स्वामी इसी आधार पर आप के विरुद्ध मकान खाली कराने का मुकदमा करे तो वह अदालत से भी खाली कराने की डिक्री प्राप्त नहीं कर सकेगा। उसे अदालत में किसी और आधार का सहारा लेना पड़ेगा। तब उक्त ई-मेल यह सबित करने के लिए आप के काम आएगा कि मकान मालिक का मकान खाली कराने का उद्देश्य तो मकान बेचना है।

यदि आप को लगता है कि आप का भू-स्वामी जबरन गुंडागर्दी कर के मकान खाली करवा सकता है तो आप दीवानी न्यायालय में दीवानी वाद दायर कर के इस आशय की अस्थायी और स्थायी निषेधाज्ञा प्राप्त कर सकते हैं कि आप का भू-स्वामी बिना किसी विधिक प्रक्रिया अपनाए आप से जबरन मकान खाली न कराए। यदि ऐसी निषेधाज्ञा आप प्राप्त करते हैं तो आप के साथ जबरदस्ती होने पर आप तुरन्त पुलिस को संपर्क कर सकते हैं।

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