किसी पंजीकृत डाक को लेने से इन्कार करना मुसीबत बन सकता है।
|प्रशान्त ने जलेसर, एटा उत्तर प्रदेश से समस्या भेजी है कि-
मेरे भाई की शादी 2014 में हुई थी और हम हिन्दू है कुछ दिनों पहने भाभी ये कह कर आपने भाई के घर चली गयीं कि उन की परीक्षा है और जा कर हमारे उपर झूठे आरोप लगाने लगी कि हम लोग उन्हें मारते पिटते है और दहेज माँगते है। उस के वाद हम लोग उन्हें बुलाने भी गये पर वह नही आईं उस के बाद हमे एक लेटर मिला उस के लिफाफे पर लिखा था महिला अपराध शाखा दिल्ली पुलिस (दिल्ली) हम लोग थोड़ा डर गये और पोस्ट मैन से कहा कि आप कुछ दिन इसे रोक लीजिए हम अपने वकील से पूछ कर आप को बता देंगे कि इसे लेना है या वापस करना है। उस के वाद हम ने उस पर ये लिखवा कर वापस कर दिया की प्राप्त कर्ता नहीं मिला मेरा प्रश्न है कि हम इन झुटे आरोपों से कैसे बचें, और ये नोटिस लोटने के बाद पुलिस आगे क्या करेगी। क्या पुलिस दुबारा नोटिस भेजेगी या खुद उसे लेकर आयेगी?
समाधान-
आप की भाभी अपने भाई के घर चली गयी और कोई शिकायत उस ने पुलिस को प्रस्तुत की। पुलिस की महिला अपराध शाखा दिल्ली से नोटिस आया और आप ने लौटा दिया। अब आप परेशान हैं कि उस नोटिस में पता नहीं क्या था। तो आप लोग अपने खुद के कारणों से परेशान हैं। डाक से आई पुलिस विभाग की की कोई चिट्ठी आप ले कर खोल लेते और उसे पढ़ लेते तो आप को पता लग जाता कि आप की भाभी ने क्या शिकायत की है और पुलिस क्या चाहती है? आप ने उस पत्र को न ले कर गलती की है। अब आप को पुलिस की दूसरी चिट्ठी का इन्तजार करना पड़ेगा या आप के चिट्ठी न लेने के कारण पुलिस द्वारा की गयी कार्यवाही के परिणाम का। किसी भी व्यक्ति को डाक से आई कोई भी चिट्ठी लेने से इन्कार नहीं करना चाहिए। उसे न लेने का परिणाम यह होता है कि कानून मानता है कि आप को सूचना हो गयी है और आप के विरुद्ध एक तरफा कार्यवाही हो सकती है और आप को पता भी नहीं होता कि चिट्ठी में क्या था। इस कारण कभी भी किसी पंजीकृत डाक को लेने से इन्कार न करें। ऐसा करना अक्सर मुसीबत का कारण बन जाता है जैसे आप के लिए बन गया है।
महिलाओं की शिकायत पर पुलिस यकायक मुकदमे दर्ज नहीं करती। पहले वह दोनों पक्षों को बुला कर दोनों से बात करती है। कोशिश करती है कि दोनों पक्षों में कोई सुलह हो जाए। यदि फिर भी कोई पक्ष सुलह को तैयार नहीं होता और पता लगता है कि महिला के साथ कोई गंभीर अपराध हुआ है तो वह मुकदमा दर्ज करती है, अन्यथा दोनों पक्षों को कानून के हिसाब से अदालत में कार्यवाही करने की सलाह दे देती है।
आप की क्या समस्या है? आप ने कुछ नहीं बताया। आप बताते क्या जब आप को खुद पता नहींं। जब तक आप की भाभी की शिकायत का विवरण नहीं मिल जाता है कोई भी आप की समस्या पर कुछ नहीं कह सकता। आप के परिवार के बुजुर्गों की गलती है कि उन्हों ने आप की भाभी की समस्या को जानने की कोशिश नहीं की। आखिर आप की भाभी आप के परिवार की सदस्या है, उसे कुछ न कुछ समस्या रही होगी, जिसे वह आप के परिवार के वातावरण को देखते हुए परिवार में नहीं बता सकी, खुद उसे हल भी नहीं कर सकी और उसे यह कदम उठाना पड़ा। अब आप अपने भाई और भाभी के लिए चिन्तित हैं।
यदि वे आप के बड़े भाई की पत्नी हैं तो आप उन के देवर हैं. देवर भाभी के बीच का रिश्ता तो बहुत मधुर होता है, भाई बहिन, मां बेटे के रिश्तों के बीच का जैसा रिश्ता। आप चाहें तो सीधे भाभी से जा कर मिलें। उन की समस्या जानने की कोशिश करें। भाभी को आश्वासन दें कि उन की कोई भी वाजिब समस्या होगी आप उसे हल करने का भरसक प्रयत्न करेंगे। यदि आप ऐसा कर सकें तो आप न केवल समस्या से अवगत होंगे और हो सकता है आप ही इस समस्या को हल करने का माध्यम बन जाएँ।