क्या138 परक्राम्य विलेख अधिनियम के मामलों में नोटिस का अभियुक्त को प्राप्त होना आवश्यक है?
|संतोष ने रूपवास, भऱतपुर, राजस्थान से समस्या भेजी है कि-
धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम (N I Act) के मामले में अभियुक्त को नोटिस का प्राप्त होना आवश्यक है?
समाधान-
यदि चैक अनादरित हो जाए तो चैक धारक चैक जारी करने वाले को अनादरण की सूचना प्राप्त होने के 30 दिनों में लिखित रूप से सूचित करेगा कि चैक की राशि उसे 15 दिनों की अवधि में भुगतान की जाए। यह नोटिस चैक जारी करने वाले को मिलने के 15 दिनों की अवधि में भुगतान न करने पर 16वें दिन उक्त धारा में अपराध है तथा 16वें दिन वाद कारण पैदा होता है। इस के एक माह की अवधि में नोटिस जारीकर्ता के विरुद्ध न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया जा सकता है।
कानून का मंतव्य तो यही है कि नोटिस चैक जारीकर्ता को प्राप्त होना चाहिए। लेकिन चैक जारीकर्ता इस नोटिस से बचने का उपाय कर सकता है। वह नोटिस का अनुमान होने पर डाक वितरण समय पर पूरे एक माह गायब रह सकता है और वहाँ उपस्थित लोगों से कह सकता है कि वह बाहर गया हुआ है। वह डाकिए से यह भी नोट लगवा सकता है कि पते पर ताला लगा हुआ है आदि।
इस कारण यह मामला विवादित हो गया कि नोटिस मिलना चाहिए कि नहीं और क्या नोटिस भेजना पर्याप्त है?
इस मामले पर अनेक मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने विचार किया है। C.C. Alavi Haji vs Palapetty Muhammed & Anr on 18 May, 2007 के प्रकरण में विचार के बाद यह माना कि चैक धारक के द्वारा दिया गया नोटिस सही पते पर भेजा जाना चाहिए। यदि चैक जारी कर्ता नोटिस से बचने की कोशिश करता है तो फिर सही पते पर से नोटिस लौटने पर भी यह माना जाएगा कि नोटिस चैक जारीकर्ता को प्राप्त हो गया है। परिवाद के विचारण के समय परिवादी को न्यायालय में साक्ष्य प्रस्तुत करना चाहिए कि उस ने नोटिस अभियुक्त के सही पते पर प्रेषित किया लेकिन स्वयं अभियुक्त द्वारा नोटिस से बचने की कोशिश के कारण उक्त नोटिस लौट कर प्राप्त हो गया जिसे नोटिस का मिलना मानते हुए तथा वाद कारण उत्पन्न होना मानते हुए परिवाद प्रस्तुत किया गया है।