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क्रूरता की रिपोर्ट थाने में कराएँ और घरेलू हिंसा कानून की कार्यवाही करें और चाहें तो विवाह विच्छेद के लिए आवेदन करें।

alimonyसमस्या-

इन्दौर, मध्य प्रदेश से रीना ने पूछा है-

मेरी शादी 1 दिसंबर 2007 को हुई थी। यह प्रेम विवाह था, पर मेरे पति के घर वालों ने हमें अपना लिया।  लेकिन मेरी समस्या यह है कि मेरे पति और मेरे बीच बिल्कुल नहीं बनती है। ज़रा ज़रा सी बात पर मुझे मारते हैं।  मेरी एक 2 साल की बेटी भी है।  मैं अब और उनके साथ नहीं रह सकती। आप सुझाएँ मैं क्या करूँ?

समाधान-

जिस तरह की स्थिति आप ने बताई है उस से तो बिलकुल नहीं लगता कि यह कोई प्रेम विवाह था।  आप के इस प्रेम को कच्ची उम्र का यौनाकर्षण जरूर कहा जा सकता है। खैर¡ आप के पति से आप की बिलकुल नहीं बनती और वे आप को मारते हैं। यह सीधे सीधे क्रूरता का मामला है और धारा 498-ए भारतीय दंड संहिता के अन्तर्गत अपराध है। आप इस की शिकायत पुलिस थाना में कर सकती हैं, तुरन्त कार्यवाही होगी। यह क्रूरता आप के पति के साथ न रहने का एक मजबूत आधार भी है। इस आधार पर आप अपनी बेटी के साथ अपने पति से अलग रह सकती हैं और उन से अलग आवास, आप के और आप की पुत्री के लिए भरण पोषण की मांग कर सकती हैं। इस के लिए आप  महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा अधिनियम के अन्तर्गत न्यायालय में सीधे आवेदन प्रस्तुत कर सकती हैं। क्रूरता के आधार पर आप विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त करने हेतु भी आवेदन कर सकती हैं।

दि आप के पास अलग रहने की व्यवस्था हो तो जिस दिन भी आप के पति आप के साथ मारपीट करें आप बेटी के साथ तुरन्त पुलिस थाना जाएँ और रिपोर्ट कराएँ। इस रिपोर्ट पर पुलिस धारा 498-ए का मुकदमा दर्ज कर के अन्वेषण आरंभ कर देगी। उस के बाद आप आप को उपलब्ध आवास पर जा कर निवास कर सकती हैं। वहाँ रहते हुए आप अपने पति के विरुद्ध घरेलू हिंसा अधिनियम के अंतर्गत न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत कर अपने लिए अलग आवास, आप के और आप की पुत्री के लिए भरण पोषण की मांग कर सकती हैं। साथ ही यह आदेश भी न्यायालय से आप के पति के लिए प्राप्त कर सकती हैं कि वे आप के आवास के आस पास न आएँ और आप के व बेटी के प्रति किसी प्रकार की हिंसा न करें।

स के उपरान्त आप चाहें तो विवाह विच्छेद के लिए पारिवारिक न्यायालय को आवेदन कर सकती हैं। आप को विवाह विच्छेद के समय एक मुश्त भरण पोषण राशि भी प्राप्त हो सकती है या बेटी और आप के लिए नियमित रुप से मासिक भरण पोषण राशि अदा करने का आदेश भी हो सकता है जो बेटी को उस के विवाह तक और आप को दुबारा विवाह होने तक प्राप्त होता रह सकता है।