घरेलू हिंसा अधिनियम में आदेशित भरण पोषण न देने पर मजिस्ट्रेट को शिकायत करें …
|सञ्जना लववंशी ने इन्दौर, मध्य प्रदेश से समस्या भेजी है कि-
मैंने मेरे पति के खिलाफ मेंटीनेन्स का केस लगाया था। मेरा एक 3 साल का बेटा है जो मेरे पास है। न्यायालय से पहले 20/04/2014 को 3500 रुपए प्रतिमाह देने का आदेश हुआ। उसके बाद सेसन कोर्ट में राशि बढ़ाने के लिए अपील प्रस्तुत की। जिस में 27/09/2014 को मेरा और मेरे बेटे की मेंटीनेन्स राशि 5000 रुपए कर दी इस के अलावा रेंट का 3000 रुपए निर्धारित किया गया। मेरे पति ने ना पहले मेंटीनेन्स दिया ना ही दूसरी बार निर्धारित हुआ वह मेंटीनेन्स दिया है। मैं और मेरा बेटा बहुत ही परेशानी में रह रहे हैं। मेरे मायके में मेरे पापा की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। मेरे पापा की अधिकतर तबीयत खराब रहती है। इस कारण मेरा पालन पोषण करने में असमर्थ हैं। मेरे पति से मुझे रुपए लेने के लिए क्या करना पड़ेगा और उस का मासिक वेतन 30000 रुपए है। क्या कुछ क़ानूनी मदद ले सकती हूँ? वह किस तरह मिल सकती है? किसी से समाचार मिला कि मेरे पति ने किसी और से मंदिर में जा कर शादी कर ली है। मैं इस का प्रमाण कैसे प्राप्त कर सकती हूँ? मुझे मेंटीनेन्स प्राप्त करने के लिए क्या करना होगा?
समाधान-
कोई भी पत्नी स्वयं अपने लिए और अपने अवस्यक बच्चे के लिए अपने पति से भरण पोषण राशि प्राप्त करने के लिए अनेक तरीके अपना सकती है। जिस में धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता, घरेलू हिंसा अधिनियम, धारा 24 हिन्दू विवाह अधिनियम तथा धारा 18 हिन्दू द्त्तक व भऱण पोषण अधिनियम प्रमुख हैं। आप ने अपनी समस्या लिखते समय यह नहीं बताया कि आप ने किस तरह का उपाय किया था जिस में पहले 3000 तथा बाद में 5000 रुपए प्रतिमाह भऱण पोषण राशि आप को देने का आदेश आप के पति के विरुद्ध दिया गया है। पर सेशन कोर्ट का उल्लेख होने से यह पता लगता है कि आप ने घरेलू हिंसा अधिनियम के अन्तर्गत आवेदन किया होगा। यदि आप का आवेदन घरेलू हिंसा अधिनियम के अन्तर्गत था तो आप को प्रतिमाह भरण पोषण राशि न देने पर आप को उसी मजिस्ट्रेट के न्यायालय को जिस में पहले आप ने आवेदन किया था शिकायत करनी चाहिए। यदि आप के पति किसी के नियोजन में हैं तो न्यायालय उस के नियोजक को उस के वेतन व अन्य लाभों से राशि की कटौती कर न्यायालय में जमा करने का आदेश दे सकता है। राशि जमा होने पर आप न्यायालय से वह राशि प्राप्त कर सकती हैं।
भरण पोषण की वसूली का सब से कारगर तरीका धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता में है। इस कारण आप को भरण पोषण के लिए एक आवेदन इस धारा के अंतर्गत भी प्रस्तुत करना चाहिए। लेकिन न्यायालय सब से उचित भरण पोषण राशि धारा 18 हिन्दू दत्तक भरण पोषण अधिनियम में निर्धारित कर सकता है।
पति ने विवाह कर लिया है इस बात के सबूत आप कैसे प्राप्त करें यह हम कैसे बता सकते हैं। यह सबूत तो आप को ही जुटाने होंगे। ये सबूत दस्तावेजी या मौखिक हो सकते हैं।
आप को अपने बच्चे के साथ पति से क्यों अलग रहना पड़ रहा है? यह आप ने नहीं बताया। लेकिन यदि कोई गंभीर कारण है जो पति से विवाह विच्छेद का कारण हो सकता है और पति ने दूसरा विवाह या नाता कर लिया है तो ऐसे पति के साथ जीवन भर बंधे रहना संभव न होगा। एक स्त्री केवल और केवल अपने पैरों पर खड़ी हो कर ही अपना सम्मानजनक जीवन बनाए रख सकती है। आप को इस के लिए प्रयास करने चाहिए। यदि संभव हो तो पति के समक्ष अपने और अपने बच्चे के लिए एक मुश्त भरण पोषण अदा करने का प्रस्ताव रखते हुए विवाह विच्छेद करने की ओर आगे बढना चाहिए।