घऱेलू हिंसा मामले में अप्रार्थी की उपस्थिति के लिए वारंट जारी किया जा सकता है।
समस्या-
एटा, उत्तर प्रदेश से डॉ. निरूपमा वर्मा ने पूछा है –
मेरी मित्र का घरेलू हिंसा का वाद अदालत में लंबित है। परन्तु उसका पति अदालत का समन नहीं ले रहा है। क्या उसकी गिरफ्तारी का कोई आदेश हो सकता है?
समाधान-
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 की धारा 28 में यह उपबंध किया गया है कि धारा 12,18,19, 20, 21, 22 और 23 की कार्यवाहियाँ दंड प्रक्रिया संहिता से शासित होंगी। दंड प्रक्रिया संहिता के अध्याय 6 में व्यक्तियों को न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने को बाध्य करने के लिए उपबंध किए हुए हैं। किसी भी व्यक्ति को सब से पहले समन भेजा जाता है जो कि किसी पुलिस अधिकारी या किसी लोक सेवक द्वारा तामील कराया जाता है। धारा 64 में यह उपबंध है कि यदि जिस व्यक्ति को समन तामील नहीं हो रहा है तो समन की प्रति परिवार के किसी वयस्क पुरुष सदस्य को दी जा सकती है समन तामील कराने वाला समन की पुश्त पर परिवार के जिस वयस्क सदस्य को यह समन दिया गया है उस के हस्ताक्षर प्राप्त करेगा और रिपोर्ट करेगा। इस तरह आप की मित्र के पति को समन की तामील कराई जा सकती है। लेकिन यदि समन इन तरीकों से तामील नहीं कराया जा सकता है तो तामील कराने वाला अधिकारी समन की एक प्रति जिसे समन तामील कराया जाना है उस के सामान्य निवास स्थान पर चस्पा कर के तामील कराई जा सकती है।
लेकिन यदि न्यायालय को यह विश्वास हो कि कोई व्यक्ति समन को लेने से बचने के लिए गायब हो गया है या उस के गायब होने की संभावना है या फिर समन की तामील के बावजूद न्यायालय के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ है तो वह ऐसा कारण रिकार्ड कर के उस व्यक्ति का वारंट जारी कर सकता है।
इस के लिए आप की मित्र को न्यायालय के समक्ष एक आवेदन पत्र प्रस्तुत करना चाहिए कि उस का पति समन लेने से जानबूझ कर बच रहा है और समन तामील कराया जाना संभव नहीं है इस कारण उस की उपस्थिति हेतु वारंट जारी किया जाए। इस आवेदन के साथ एक शपथ पत्र भी इस तथ्य का देना होगा कि आप की मित्र का पति जानबूझ कर समन लेने से बच रहा है।
bahut bahut dhanyawad