छल कर के धन हड़प लेने के लिए पुलिस में प्र.सू.रिपोर्ट दर्ज करवाएँ
समस्या-
मेरे मामा के सुपुत्र बरेली म.प्र. के निवासी हैं। उन से नागपुर स्थित एक भारी वाहनों के क्रय और फायनेंस करने वाली कम्पनी के एक अधिकारी ने चर्चा की कि उनके पास तीन डम्पर हैं जो कि किश्त जमा नहीं करने के कारण कम्पनी ने अपने पास जमा कर लिए है अगर वो इन डम्परों को लेना चाहते है तो प्रति डम्पर 7 लाख का डी डी बना कर कम्पनी को दे दें तो कम्पनी इनके कागजात बनाकर डम्पर इनके नाम कर देगी। कम्पनी ने स्वय वो डम्पर अपने यार्ड में खडे हुए दिखाए। मेरे भाई ने कम्पनी के अधिकारी के कथन पर विश्वास करते हुए तीन डम्परों के लिए 21 लाख के डीडी बनाकर कम्पनी मे जमा करा दिये। इन्हों ने रसीद मांगी तो उन्होने क्हा कि कागजात बन जाने पर रसीद और डम्पर दे देंगे डी डी प्राप्त् कर उन्हों ने डी डी की फोटो कापी पर हस्ताक्षर कर दिये। मेरे भाई की इन दोनों अधिकारियो से मोबाइल पर बातें होती रही कि हम को वे जल्दी ही डिलेवरी दे देंगे बाद में बताया कि जिसके डम्पर थे उसने कोर्ट से स्टे ले लिया है इसलिए अभी इंतजार करना होगा। मेरे भाई ने यह पैसा उधार लिया था इसलिए वो नागपुर गया और कम्पनी से अपनी डी डी मांगी तथा कहा कि वो अब डम्पर नहीं लेना चाहता है कम्पनी ने साफ इंकार किया कि उनको कोई डी डी नहीं मिली है। जिसको डी डी दी है उससे डी डी लें। खोजबीन करने पर पता चला कि कम्पनी के दोनो ऐजेंटो ने ओरिजनल कम्पनी के नाम पर फर्जी बैक खाता खुलवा कर डी डी कैश करा लिया है। मेरे भाई ने दबाव बनाया तो उन्होने उसी खाते का 21 लाख रुपये का चैक दे दिया जिसको बरेली की बैंक में डाला तो वो बाउंस हो गया। ऐसी हालत में हम अपना पैसा किस तरह से निकालें कि हमें अपना पैसा भी मिल जाये और दोषी आदमियों को फर्जीवाड़े की सजा भी मिल जाये।
-अभिषेक दांगी, बरेली, मध्यप्रदेश
समाधान-
आप के भाई के साथ छल हुआ है। उन से छल कर के धन हड़पा हुआ है। आप के भाई को सब से पहले तो उक्त दोनों दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध संबंधित पुलिस थाना में प्रथम सूचना रिपोर्ट करानी चाहिए। यदि पुलिस थाना कार्यवाही करने में आनाकानी करे तो तुरंत ही क्षेत्र के सुपरिण्टेण्डेण्ट पुलिस से मिल कर सारी बात उन्हें बतानी चाहिए। इस पर भी मामला दर्ज न हो तो न्यायालय में परिवाद दर्ज करवा कर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के अंतर्गत पुलिस थाना को अन्वेषण हेतु भिजवा देना चाहिए। इस काम में बिलकुल देरी करना उचित नहीं है, क्यों कि अपराध की सूचना जितनी जल्दी पुलिस को दी जाए और जितनी जल्दी अन्वेषण आरंभ हो अपराधी के विरुद्ध सबूत जुटाना सरल होता है और सबूतों के नष्ट होने की संभावना कम होती है। आप के मामले में कंपनी के नाम से फर्जी बैंक खाता खुलवा कर आप के डीडी जमा करवाना और फिर राशि निकाल लेना गंभीर अपराध हैं और पुलिस को तुरंत इस का संज्ञान कर के कार्यवाही करना चाहिए।
आप के भाई को 21 लाख रुपए का जो चैक दिया गया है उस की वैधता की अवधि कम से कम तीन माह और अधिक से अधिक छह माह हो सकती है। यदि अभी तक इस के अनादरण का नोटिस नहीं दिया गया है तो आप के भाई उक्त चैक को पुनः बैंक में समाशोधन के लिए प्रस्तुत कर सकते हैं और फिर अवधि रहते नोटिस दे सकते हैं और अवधि रहते धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम के अंतर्गत परिवाद प्रस्तुत कर सकते हैं। इस कार्यवाही से भी आप के भाई का धन क्षतियों सहित वसूल हो सकता है, लेकिन कोई गारंटी नहीं है।
आप के भाई ने जिस दिन डीडी बनवाए हैं उस दिन से तीन वर्ष की अवधि में आप के भाई उक्त दोनों व्यक्तियों के विरुद्ध डीडी से दी गई धनराशि वापस प्राप्त करने के लिए दीवानी वाद दाखिल कर सकते हैं। इस कार्यवाही को करने में अभी समय है और इस वाद को प्रस्तुत करने के लिए उन्हें निर्धारित न्यायालय शुल्क भी वाद प्रस्तुत करने के साथ ही अदा करना होगा। इस कारण से इस कार्यवाही को थोड़ा रुक कर अवधि सीमा समाप्त होने के पहले तक प्रस्तुत किया जा सकता है। तब तक उक्त दोनों कार्यवाहियों के नतीजे की प्रतीक्षा की जा सकती है। यदि लगे कि आप के भाई का पैसा दीवानी वाद प्रस्तुत किए बिना नहीं मिलेगा तो ही दीवानी वाद प्रस्तुत किया जाए। आप के भाई को चाहिए कि उक्त सभी कार्यवाहियाँ करने के पहले किसी अनुभवी स्थानीय वकील से सलाह अवश्य कर लें।
यह तो आप बड़ा परमार्थ काकार्य कर रहे हैं।
सम्माननीय है आपका यह प्रयास।
इस जानकारी के लिए धन्यवाद . मुझे आशा है की इससे मेरा भाई को बहुत मदद मिलेगी