दूसरा विवाह साबित हुए बिना जारकर्म का अपराध साबित नहीं किया जा सकता।
सीता गुप्ता ने मैसूर, कर्नाटक से समस्या भेजी है कि-
में सीता गुप्ता मैसूर निवासी हूँ। वर्ष 2000 में मेरा विवाह दिल्ली निवासी आर एस अग्रवाल के साथ हुआ था। विवाह के 4 वर्ष बाद पारिवारिक कलह के कारण मैं अपने दो बच्चों को लेकर मायके आ गयी और 125 के मुक़दमे से गुज़ारा भत्ता मुझे मिलने लगा। 2004 से मैं अपने पति से किसी संपर्क या सम्बन्ध के बिना अपने माता-पिता के पास अपने दो बच्चों उम्र 14 साल और 12 साल के साथ रह रही हूँ। मुझे पता लगा है कि मेरे पति ने किसी महिला से अपने सम्बन्ध बना लिए और उनके एक पुत्र भी है। मैंने प्रयास करके उनके पुत्र के पासपोर्ट की नक़ल प्राप्त कर ली जिसमें माता-पिता के स्थान पर मेरे पति और उस महिला का नाम लिखा हुआ है। मेरे पति और उस महिला के पासपोर्ट की नक़ल भी मुझे मिल गई है जिसमें महिला के पासपोर्ट में पति के नाम का स्थान और मेरे पति के पासपोर्ट में पत्नी के नाम का स्थान खाली है। उन दोनों के विवाह का कोई सबूत मेरे पास नहीं है लेकिन वे रहते इक्कठे ही हैं। मेरे वकील का कहना है कि उन्हों ने शादी नहीं की है वे लिव-इन-रिलेशन में रहते हैं इसलिए कोई कारवाई नहीं की जा सकती है। चूँकि, मेरे पति ने उस बच्चे को अपना नाम पासपोर्ट में दिया हुआ है तो क्या इन परिस्थितियों में मैं अपने पति के खिलाफ बायगेमी या अडलट्री या कोई अन्य केस कर सकती हूँ?
समाधान-
बायगेमी का तो कोई अपराध आप के पति के विरुद्ध नहीं बनता है। धारा 494 आईपीसी में बायगेमी का जो अपराध है उस में कोई पति किसी पुरुष के विरुद्ध तभी संस्थित कर सकता है जब दूसरे पुरुष ने उस की पत्नी के साथ यौन संबंध बनाए हों।
धारा 497 में (Adultery) जारकर्म का जो अपराध वर्णित है वह भी तभी अपराध है जब कि पति या पत्नी ने अपने पति या पत्नी के रहते दूसरा विवाह कर लिया हो। यदि आप के पति किसी स्त्री के साथ लिव इन में रहते हैं तो इसे दूसरा विवाह होना नहीं कहा जा सकता। इस कारण आप धारा 497 में भी कोई परिवाद न्यायालय मे तभी दर्ज करवा सकती हैं जब कि पति ने दूसरा विवाह कर लिया हो। पति के पासपोर्ट में पत्नी का नाम और पत्नी के पास पोर्ट में पति का नाम दर्ज नहीं है लेकिन पुत्र के पासपोर्ट में पिता का नाम दर्ज है। यह लिव इन में होना संभव है।
किसी का पुत्र होने के लिए यह कतई जरूरी नहीं है कि उस के पिता का उस की माता के साथ विवाह हुआ ही हो। लिव इन रिलेशन से भी संतान का जन्म हो सकता है और उस की मां या पिता जन्म-मृत्यु पंजीयक के यहाँ पुत्र का जन्म पंजीकृत करवा सकता है। उस जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर पुत्र का पासपोर्ट बन सकता है।
जब तक आप यह सिद्ध करने की स्थिति में न हों कि आप के पति ने दूसरा विवाह कर लिया है आप यदि परिवाद करेंगी तो वह मिथ्या साबित हो सकता है और आप एक दुर्भावनापूर्ण अभियोजन के मामले में फँस सकती हैं।
Mera relation march 2010 se 1 gair talak suda mahila ke sath hai aur march 2016 me maine relation rakhna band kar diya kyoki saadi ka dabav bana rahi thi . Uska aur mera man dono ka saadi karne ka nai tha . Par ab vo july 2016 ko mere khilaf daihik soshan me report 376 aur 417 ki report darj karwai hai. Aur uska 125 me bharan poshan bhi family court se milta hai. Kya ye rape me aaega…
श्री जुगराज धमीजा जी के उत्तर की प्रतीक्षा है.
नमस्कार द्विवेदी जी और सीता जी
आपने अपने पति पर 498a दहेज़ ka केस किया है की नहीं.
इसका सही सही जवाब de to main apko ek काम की बात बता सकता हु.
मैंने 498 a का केस नहीं किया था. कृपया मार्ग प्रदर्शन करें.