दूसरी स्त्री से विवाह कर लेने पर पहली पत्नी विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त कर सकती है
| सुमन्त राज पूछती हैं –
मैं विवाह विच्छेद के संबंध में जानना चाहती हूँ। मेरे एक पुत्र है, और मैं अपने पति से विवाह विच्छेद करना चाहती हूँ, क्यों कि मेरा पति अब मेरे साथ नहीं रहना चाहता है। उस ने दो वर्ष पूर्व अन्य महिला के साथ विवाह कर लिया है। कृपया मुझे उचित सलाह दें।
उत्तर –
सुमन्त जी,
आप ने बताया है कि आप के पति ने एक अन्य महिला के साथ विवाह कर लिया है और अब आप के पति आप के साथ नहीं रहना चाहते, इस कारण से आप उन से विवाह विच्छेद चाहती हैं। आप एक हिन्दू हैं और हिन्दू विधि से शासित होती हैं। हिन्दू विधि में कोई भी व्यक्ति एक पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह नहीं कर सकता और यदि करता है तो यह दूसरा विवाह कानून की दृष्टि में अवैध व अकृत विवाह है। इस विवाह को अवैध या अकृत घोषित करने के लिए आप के पति या उन की दूसरी पत्नी ही आवेदन प्रस्तुत कर सकती है। लेकिन यदि किसी अन्य कानूनी प्रकरण में उस दूसरे विवाह की वैधता का प्रश्न न्यायालय के समक्ष आता है तो न्यायालय उसे उस प्रकरण में भी अकृत और अवैध घोषित कर सकता है।
यदि आप के पति ने दूसरा विवाह कर लिया है तो निश्चित रूप से आप गवाहों और दस्तावेजों के माध्यम से न्यायालय के समक्ष यह साबित कर सकती हैं कि आप के पति के अन्य स्त्री के साथ यौन संबंध हैं, और आप केवल इस आधार पर अपने पति से विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त करने के लिए न्यायालय में आवेदन कर सकती हैं। इस आवेदन में आप को सफलता प्राप्त हो सकती है और आप का अपने पति के साथ विवाह विच्छेद हो सकता है। यदि आप अपने पुत्र को अपने साथ रखना चाहती हैं तो आप उस की कस्टड़ी के लिए भी आवेदन कर सकती हैं। इस के अतिरिक्त आप अपने पुत्र के लिए उस के वयस्क होने तक की अवधि के लिए और अपने लिए दूसरा विवाह कर लेने की अवधि तक के लिए भरण-पोषण राशि प्राप्त करने की भी अधिकारी हैं। आप इस के लिए भी आवेदन प्रस्तुत कर सकती हैं। आप अपने लिए स्थाई भरण-पोषण राशि के लिए भी न्यायालय को आवेदन प्रस्तुत कर सकती है।
आप का जो स्त्री-धन आप के पति के आधिपत्य में है आप उस की मांग भी कर सकती हैं और पति द्वारा आप का स्त्री-धन आप को न लौटाए जाने पर यह भारतीय दंड संहिता की धारा 406 के अंतर्गत अपराध होगा। इसी तरह आप के पति ने आप के जीवित रहते दूसरा विवाह किया है, जो कि निश्चित ही मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है और धारा 498-ए के अंतर्गत अपराध है। आप चाहें तो इन दोनों अपराधों के लिए आप के पति के विरुद्ध पुलिस थाने में अपनी शिकायत प्रस्तुत कर सकती हैं। आप की शिकायत पर अन्वेषण के उपरान्त यदि अपराध होना पाया गया तो आप के पति को गिरफ्तार किया जा सकता है और उस के विरुद्ध न्यायालय में अपराधिक मुकदमा पुलिस द्वारा चलाया ज
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6 Comments
दिनेश जी, आपने अच्छी जानकारी दी पर साथ-साथ आप यह भी बताएं कि इस मामला में यदि पत्नी अपने उसी पति के साथ रहना चाहे तब उसे क्या करना चाहिए? यानी यहाँ पर तो सुमंत राज विवाह विच्छेद करना चाहती है वहीँ यदि पत्नी (इस केस में सुमंत राज) यह कहते हुए अपने पति के साथ ही रहना चाहे कि उसके पति की दूसरी शादी अवैध है अतः उसकी वास्तविक पत्नी वही है, तो इस स्थिति में पत्नी को क्या करना चाहिए? कृपया इस स्थिति को भी स्पष्ट कर जानकारी पूर्ण करें.
आपका
महेश
अच्छी जानकारी,आभार.
जानकारी बढ़ाने के लिये आभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
क्या आपने ब्लॉगप्रहरी को बॉयकाट कर रहे हैं ? आपके ब्लॉग पर हमारे प्रयासों को प्रोत्साहित करते नहीं देखा. अगर ब्लॉगप्रहरी से कोई अन्य अपेक्षा है ..तो हमें बताएं ..
दिनेश जी, जब भी आप के चिट्ठे पर कानूनी मामलों की बातें पढ़ता हूँ तो हमेशा मन में आता है कि काश सभी वकील आप की तरह समझाने वाले होते! 🙂
गुरुवर जी, आपने श्रीमती सुमन्त राज को बहुत अच्छी सलाह दी है. मगर एक बात समझ नहीं आई कि-पति-पत्नी दो साल से अलग रह रहे हैं. क्या तब पति के ऊपर ४९८ए का केस दर्ज हो सकता है.कैसे? धारा ४०६ को माना जा सकता है.
श्रीमती सुमन्तराज जी, आपके कथन के अनुसार आपके पति ने दूसरी शादी कर ली है और अब साथ नहीं रहना चाहता है. तब मेरे विचार में आप किसी को जबरदस्ती अपने साथ रहने के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं. इसलिए मेरा सुझाव है कि-आप तलाक लेकर अपना और अपने बच्चे के भविष्य की सोचे.अगर आप वास्तविकता पर विश्वास करती है तो यकीन माने आपको हमारी न्याय व्यवस्था से न्याय पाने में कम से कम १५ साल लग जायेंगे.मगर अपने और बच्चे के खर्चे के लिए केस जरुर दायर करें.बाकी आपकी जैसी मर्जी.यह जीवन आपका है.