दूसरे पति से उत्पन्न संतानों का पूर्व मृत पति की संपत्ति में अधिकार?
समस्या-
सागर, मध्यप्रदेश से पवन लारिया ने पूछा है-
यदि कोई महिला अपने पति के मरने के बाद किसी दूसरे से विवाह करती है तो क्या उससे होने वाली संतानें उस महिला के पहले पति की संपत्ति की अधिकारी होंगी या नहीं? महिला के पहले पति की मृत्यु सन् 1948 के पहले हो चुकी है। महिला के पहले पति से दो संताने हैं और दूसरे पति से भी उसे दो संताने है। दूसरे पति की संतानों ने 2013 में सिविल वाद प्रस्तुत किया है।
समाधान-
किसी भी व्यक्ति का उत्तराधिकार उस व्यक्ति की मृत्यु के समय ही निश्चित हो जाता है। इस तरह किसी महिला के पहले पति की मृत्यु होते ही उस की संपत्ति का उत्तराधिकार निश्चित हो चुका है। 1948 के पहले हिन्दू पुरुष की मृत्यु के समय परंपरागत हिन्दू विधि के अंतर्गत उत्तराधिकार निश्चित हो चुका है। तब महिला के दूसरे पति और उस से उत्पन्न हुई संतानों का कोई अस्तित्व नहीं था। पूर्व पति की मृत्यु के कारण जो भी संपत्ति उस की रही है वह तो पहले ही उत्तराधिकार में दूसरे व्यक्तियों अर्थात उस की संतानों को प्राप्त हो चुकी है।
परंपरागत हिन्दू विधि में विधवा का अपने पति की संपत्ति पर अत्यन्त सीमित अधिकार होता था। जिस संपत्ति पर उसे अधिकार प्राप्त होता था उस के लाभों का उस पर अधिकार होता था तथा उस की मृत्यु पर वह संपत्ति पुनः उस के पति के उत्तराधिकारियों को प्राप्त हो जाती थी। इसी तरह यदि कोई विधवा पुनर्विवाह कर लेती थी तो भी उस के द्वारा पुनर्विवाह कर लेने पर वह सीमित अधिकारों के अंतर्गत उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्ति से वंचित हो जाती थी तथा वह संपत्ति उस के पति के अन्य उत्तराधिकारियों को प्राप्त हो जाती थी। इस तरह इस महिला को उसे उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्ति भी उस के पुनर्विवाह के साथ उस के पूर्व पति के उत्तराधिकारियों को प्राप्त हो चुकी है।
आप स्वयं यह देख सकते हैं कि इस महिला के दूसरे पति की संतानों को प्राप्त करने के लिए उस के पूर्व के पति की कोई संपत्ति शेष ही नहीं है जिसे प्राप्त करने के लिए दूसरे पति की संतानें वाद प्रस्तुत कर सकें। हाँ यदि कोई संपत्ति पूर्व पति ने उक्त महिला को दान कर दी थी तो दान के साथ ही उक्त संपत्ति उक्त महिला की संपत्ति हो चुकी थी। दूसरे पति की संतानें अपनी माता की उक्त संपत्ति में अपने उत्तराधिकार की मांग कर सकते हैं।
इस तरह यदि दूसरे पति की संतानों ने अपनी माता के पूर्व पति की संपत्ति में हिस्से का दावा किया है तो वह चलने योग्य नहीं है। वह अंततः निरस्त हो जाएगा।
सर दोनॊ पिता के नाम एक साथ उर्फ़ कर के सिविल बाद किया गया हे पर माँ एक हे सम्पति केवल पूर्व पति की हे!
सर दोनॊ पिता के नाम एक साथ उर्फ़ कर के सिविल बाद किया गया हे पर माँ एक हे
थैंक्स सर जी जानकारी के लिया
व्यक्तिगत जायदाद और उत्तराधिकार ही तो बहुत बीमारियों की जड़ है।
सब जायदाद के पीछे पड़े है।
SANDEEP ARYA का पिछला आलेख है:–.Nageshwar jyotirlinga temple dwarka द्धारका का नागेश्वर ज्योतिलिंग मन्दिर