निजि विद्यालयों के संबंध में सूचना शिक्षा अधिकारी से प्राप्त की जा सकती है
|समस्या-
ग्राम-पोस्ट परेऊ, तहसील-बायतु, जिला-बाङमेर (राजस्थान) से मुश्ताक खान ने पूछा है-
मेरे गॉव की एक निजी स्कूल मे आर टी ई के तहत फ्री पढने वाले 25% छात्रो की सूची प्राप्त करना चाहता हू। ये सूचना ब्लॉक शिक्षा अधिकारी के अलावा और कौन कौन दे सकता है? ये सूचना मुझे कितने समय मे दी जायेगी तथा यह सूचना देने वाला अधिकारी सूचना देने का चार्ज कितना लेगा? हमारे ब्लॉक शिक्षा अधिकारी बायतु (जिला बाङमेर) मे बैठते है।
समाधान-
आप को सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत निजि विद्यालय में मुफ्त पढ़ने वाले 25 प्रतिशत विद्यार्थियों की सूची के लिए ब्लाक शिक्षा अधिकारी को ही आवेदन करना चाहिए। वे निजि स्कूल से सूचना मंगवा कर आप को उपलब्ध करवाएँगे। इस संबंध में केन्द्रीय सूचना आयोग स्पष्ट कर चुका है कि निजि स्कूलों को इस तरह की सूचनाएँ शिक्षा अधिकारी को उपलब्ध करानी होगी।
सूचना प्राप्त करने के लिए आप को एक आवेदन निम्न प्रारूप में ब्लाक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में दस रुपए के पोस्टल आर्डर के साथ प्रस्तुत करना चाहिए। इस संबंध में यदि अधिक शुल्क की आवश्यकता होगी तो दस्तावेज तैयार होने के उपरान्त आप को सूचित कर दिया जाएगा। अन्यथा सूचना आप को आवेदन प्रस्तुत करने के 30 दिनों में प्राप्त हो जाएगी। यदि तीस दिनों में आप को सूचना न मिले तो आप प्रथम अपील अधिकारी स्तर पर अपील कर सकते हैं।
सूचना के अधिकार के अंतर्गत सूचना प्राप्त करने हेतु आवेदन का प्रारूप
दिनांक:
रजिस्टर्ड पोस्ट द्वारा सेवा में, 1- अभ्यर्थी का नाम: क) दस रुपये का शुल्क का भुगतान _______ रसीद द्वारा _______ के कार्यालय में किया गया। (प्रति संलग्न), अथवा ख) दस रुपये का शुल्क का भुगतान _________ के द्वारा जारी किया गये, ड्राफ़्ट / पे ऑर्डर / पोस्टल ऑर्डर, संख्या ________, दिनांक _____, ______ के प्रति किया गया, अथवा ग) मैं गरीबी रेखा से नीचे परिवार का सदस्य हूँ, (बी पी एल प्रमाण पत्र की प्रति संलग्न)। 5- यदि कोई स्व:प्रमाणित संलग्न दस्तावेज़ है तो उसका उल्लेख। 6- मैं एक भारतीय नागरिक हूँ। कृपया माँगी गयी जानकारी अतिशीघ्र उपलब्ध कराएं।
अभ्यर्थी के हस्ताक्षर |
अभ्यर्थी के हस्ताक्षर
SARD447/UIC0122/P02
Dated 20/12/2014
माननीय सचिव उत्तराखंड सूचना आयोग के
1. पत्रांक संख्या /14450/ शिकायत संख्या -9553/2014/दिनांक 05/12/2014
2. पत्रांक संख्या /14449/ अपील संख्या -15837/2014/दिनांक 05/12/2014
3. पत्रांक संख्या /14451/ अपील संख्या -15922/2014/दिनांक 05/12/2014
के संदर्भ में. (सुनवाई की तिथि 22 दिसम्बर 2014, सोमवार)
माननीय राज्य सूचना आयुक्त
श्री सुरेन्द्र सिंह रावत के समक्ष
माननीय मुख्य सूचना आयुक्त
उत्तराखंड सूचना आयोग
सूचना का अधिकार भवन
रिंग रोड, लाडपुर, देहरादून
1. माननीय सचिव उत्तराखंड सूचना आयोग के तीनों पत्र एक साथ, साधारण डाक से सुनवाई की तिथि से केवल दो दिन पूर्व 20 दिसम्बर 2014, शनिवार दोपहर 12.30 बजे शिकायतकर्ता/अपीलकर्ता को प्राप्त हुये।
2. माननीय आयोग द्वारा विलम्ब से उक्त पत्रों को साधारण डाक से प्रेषित करना माननीय आयोग की दोषपूर्ण कार्यशैली का स्पष्ट प्रमाण है।
3. माननीय आयोग को उक्त पत्रों को प्रेषित करते समय यह ध्यान रखना चाहिये कि इतने अल्प समय की सूचना पर शिकायतकर्ता/अपीलकर्ता का सुनवाई हेतू उपस्थित होना कठिन अथवा असम्भव हो सकता है।
4. शिकायतकर्ता/अपीलकर्ता इन दिनों दिल्ली मे माननीय उच्चतम न्यायालय से सम्बन्धित वाद के एक प्रकरण में दिल्ली में व्यस्त होने के कारण सुनवाई की तिथि पर आयोग के समक्ष उपस्थित होने में असमर्थ है। यदि उचित समय पर आयोग द्वारा तिथि की जानकारी प्रेषित की जाती तो सम्भवत् शिकायतकर्ता/अपीलकर्ता आयोग के समक्ष उपस्थित हो सकता था।
ईमेल से अपना पक्ष प्रस्तुत करने का कारण आयोग की दोषपूर्ण कार्यवाही का होना है।
5. उक्त शिकायत एवं अपीलों की सुनवाई करने वाले पूर्व माननीय सूचना आयुक्त श्री राजेन्द्र कोटियाल द्वारा बिना प्रमाणों के अपने आदेशों में शिकायतकर्ता/अपीलकर्ता के संदर्भ में अपमानजनक कथनों के उल्लेख करने के विरूद्ध शिकायतकर्ता/अपीलकर्ता की शिकायत पर माननीय आयोग द्वारा किसी तरह की कार्यवाही नहीं करना माननीय आयोग द्वारा स्वयं को निरंकुश मानने का स्पष्ट प्रमाण है। शिकायतकर्ता/अपीलकर्ता की सलाह है कि माननीय आयोग अपने इस भ्रम को शीघ्र दूर कर ले।
6. माननीय आयोग द्वारा बिना सूचना उपलब्ध करायें अपीलों का निस्तारण करने के अनेकों प्रमाण शिकायतकर्ता/अपीलकर्ता के पास सुरक्षित हैं। कई अपीलों का निस्तारण आयोग द्वारा नियमविरूद्ध तरीके से तथा हास्यपद तरीके से किया गया है।
7. शिकायत संख्या 9553/2014 के संदर्भ में स्पष्ट किया जा रहा है कि खंड शिक्षा अघिकारी, खटीमा द्वारा नियमविरूद्ध कार्यवाहियों को करने एवं उनके कार्यालय के द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार को प्रमाणित करने हेतू एवम् माननीय उच्च न्यायालय, नैनिताल में जनहित याचिका प्रस्तुत करने हेतू सम्बन्धित आवेदन में मांगी गयी सूचनाएं उपलब्ध कराना अनिवार्य है। माननीय आयोग द्वारा सूचना उपलब्ध कराने का आदेश नहीं देना स्पष्ट रूप से भ्रष्टाचार को संरक्षण देना होगा।
माननीय आयुक्त से अपेक्षा है कि शिकायत के सभी बिंदुओं को संज्ञान में लेते हुये लोक सूचना अघिकारी द्वारा माननीय सूचना आयोग के आदेश की अवमानना करने, सूचना समय पर उपलब्ध नहीं कराने , निर्धारित प्रारूप में अतिरिक्त शुल्क की सूचना नहीं देने तथा आयोग के समक्ष शिकायतकर्ता/अपीलकर्ता के विरूद्ध असत्य एवं अपमानजनक कथन व्यक्त करने के संदर्भ मे लोक सूचना अधिकारी के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही करते हुये सम्बन्धित सूचना आवेदन के प्रत्येक बिंदु पर सूचना उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें ।
8. अपील संख्या 15837/2014 के संदर्भ में स्पष्ट किया जा रहा है कि सम्बन्धित आवेदन में माँगी गयी सूचनाएँ उत्तराखंड के शिक्षा विभाग द्वारा निजी स्कूलों को जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र की शर्तों के अनुपालन करने के संदर्भ में है। मांगी गयी सूचनायें पहले ही से शिक्षा विभाग के पास होनी अनिवार्य है तथा समस्त मांगी गयी सूचनायें ” सूचना के अधिकार अधिनियम ” के अन्तर्गत अनुमन्य है।
लोक सूचना अधिकारी द्वारा निजी स्कूलों से आवश्कता होने पर अनापत्ति प्रमाणपत्र से सम्बन्धित सूचनाएँ प्रशासनिक आदेशों के तहत माँगना अनिवार्य हैृ। जबकि लोक सूचना अघिकारी द्वारा यह कथन कहना कि ” निजी स्कूल सूचना के अधिकार से आच्छादित नहीं है”, स्वयं के भ्रष्ट आचरण को छुपाने तथा निजी स्कूलों के प्रभाव एवं प्रलोभनों के रहते नियमों के उल्लंघन की छूट देते हुये संरक्षण देना है।
माननीय उच्च न्यायालय ने अपने किसी आदेश में यह उल्लेख नही किया है कि शिक्षा विभाग द्वारा भी निजी स्कूलों की अनापत्ति प्रमाण पत्र से सम्बन्धित सूचनाएँ उपलबिघा नहीं करायी दा सकतीं। यदि ऐसा किसी तरह का आदेश है तो उसकी जानकारी सूचना आयोग को देनी चाहिये।
यह विचारणीय है कि सम्बन्धित सूचना आवेदन में वर्ष 2014 में मांगी गयी सूचनाएँ लोक सूचना अघिकारी द्वारा वर्ष 2012 में उपलब्ध करा दी गयीं। यह चमत्कार लोक सूचना अघिकारी ने कैसे किया यह माननीय आयोग को जानना चाहिए ।
शिकायतकर्ता/अपीलकर्ता के पास सशक्त प्रमाण है कि खटीमा के सीबीएसई से सम्बद्ध निजी स्कूल अनापत्ति प्रमाणपत्र की शर्तों का उल्लंघन कर रहें हैं तथा इन विद्यालयों के संचालकों द्वारा झूठे ‘ शपथपत्र’ दिये गये हैं।
निजी स्कूलों द्वारा अपने कर्मचारियों /अध्यापकों तथा विद्यार्थियों के शोषण के विरूद्ध न्यायायिक कार्रवाही करने हेतू मांगी गयी सूचनायें लोक सूचना अघिकारी / अपीलीय अघिकारी के विरूद्ध कार्यवाही करते हुये उपलब्ध कराना माननीय आयुक्त सुनिश्चित करें।
9. अपील संख्या 15922/2014 के संदर्भ में स्पष्ट किया जा रहा है कि उक्त अपील से सम्बन्धित आवेदन में भी राज्य में संचालित ” महर्षि विद्या मंदिर स्कूलों ” द्वारा अनापत्ति प्रमाणपत्र के नियमों के अनुपालन करने के सम्बन्ध में हैं।
शिक्षा विभाग द्वारा महर्षि विद्या मंदिर से सूचना मांगने के लिये जिले और खंड में सूचना का अंतरण करना और फिर महर्षि स्कूल से सूचना माँगना नियमविरूद्घ है एवं धन का अपव्यय करना है। मांगी गयी सूचनायें शिक्षा विभाग के पास होनी अनिवार्य हैं।
लगभग सभी महर्षि स्कूलों ने पूर्व निर्घारित सोची-समझी नीति के तहत एक ही तरह के पत्र के माध्यम शिकायतकर्ता /अपीलकर्ता एवं श्रीमती सुनिता ठाकुर की द्वेषपूर्ण भावना को आधार बना कर सूचना देने से मना कर दिया है।
यहां यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि श्रीमती सुनिता ठाकुर महर्षि संस्थान के अधिकारियों द्वारा स्वयं के यौन उत्पीडन के विरुद्ध तथा अपने अधिकारों के लिये संघर्ष कर रहीं हैं। महर्षि स्कूल के विरूद्ध अनेकों शिकायतें शिक्षा विभाग को भेजने के बावजूद बेशर्म शिक्षा विभाग द्वारा किसी तरह की कार्यवाही नहीं की गयी, इसके विपरीत इन स्कूलों को संरक्षण दिया जाता रहा है।
माननीय उच्च न्यायालय, नैनिताल में इस संदर्भ में एक वाद विचाराधीन है। उक्त वाद में एवं जनहीत मे न्यायायिक कार्यवाही करने हेतू मांगी गयी सूचनायें उपलब्ध कराना अनिवार्य है।
माननीय सूचना आयुक्त से अपेक्षा है कि उक्त अपील से सम्बन्धित सूचना आवेदन पर लोक सूचना अधिकारी के विरूद्ध उचित कार्यवाही करते हुये सूचना उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।
अच्छा लगता है देखकर व् पढकर की लोग जागरूक हो रहे है अपने अधिकारों के लिए व् कानून का उपयोग करना चाहते है
thanx
गुरुदेव जी, आपने सूचना के अधिकार के तहत सूचना प्राप्त करने के प्रारूप सहित काफी अच्छी जानकारी दी है.
रमेश कुमार जैन उर्फ सिरफिरा का पिछला आलेख है:–.सरकार, पुलिस और लड़की वालों का गुंडाराज कब चलेगा ?