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नियमित भरण पोषण राशि हेतु धारा 125 दं.प्र.संहिता के अंतर्गत आवेदन करें

समस्या-

मेरी शादी 2003 में हुई थी, कुछ सालों बाद मेरे ससुर, पति, देवर और सास ने एफडी तुड़वाकर एक लाख रुपए लिए और कुछ ससुर ने अपने पैसे जोड़कर एक ज़मीन खरीदी।  वो ज़मीन उन्हों ने मेरे पति और देवर के नाम पर खरीदी।  कुछ सालों बाद उन्हों ने मेरे साथ मारपीट शुरू कर दी।  तब मैं ज़मीन के ओरिजिनल पेपर लेकर अपने मायके आ गयी।  फिर मैं ने उन पर 498क का केस चला दिया।  इस पर मेरे ससुराल वालों ने तलाक़ का मुक़दमा डाल दिया।  वे एक बार भी कोर्ट के सामने उपस्थित नहीं हुए और कोर्ट ने तलाक़ का मुक़दमा खारिज़ हो गया।  8000 रुपए प्रतिमाह के हिसाब से एक साल का खर्चा बाँध दिया।  क्या वह मुझे अब मिल सकता है?  दो सालों से जो 498क का केस डाला था वो भी अभी तक चालू नहीं हुआ।  क्या वह केस दब कर रह गया?  जब की पुलिस कह रही है कि हम ने चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी है। फिर मुझे पता चला कि उन्हों ने वह ज़मीन चोरी छुपे बेच दी है, जब कि उस के ओरिजिनल पेपर्स मेरे पास ही हैं।  मैं जानना चाहती हूँ कि उस ज़मीन पर मेरा कोई अधिकार है या नहीं? बिना ओरिजिनल पेपर के क्या ज़मीन बिक सकती है?  मेरे दो बच्चे भी हैं और मेरा आय का कोई साधन नहीं है, मैं अपने मायके में रह रही हूँ।

-दीपिका, आगरा, उत्तरप्रदेश

समाधान-

प के ससुर, देवर और पति ने आप की एक लाख रुपए की एफडी तुड़वा कर रुपया लिया और जमीन खरीदी उस में आप का स्वामित्व नहीं है।  उस जमीन को जिन व्यक्तियों के नाम से खरीदा गया था वे विक्रय कर सकते हैं।  जमीन के स्वामित्व के मूल दस्तावेज आप के पास होने से कुछ नहीं होता।  दस्तावेज खोने की बात कह कर उस की प्रमाणित प्रतियाँ रजिस्ट्रार दफ्तर से प्राप्त की जा सकती हैं और भूमि को आगे बेचा जा सकता है।  यदि आप उस जमीन को बेचे जाने से रोकना चाहती हैं तो आप को इस के लिए एक लाख रुपए की ब्याज सहित वापसी के लिए दीवानी वाद दाखिल कर के उस जमीन को बेचे जाने से रोकने के लिए कार्यवाही करनी होगी। यह कार्यवाही भी उस न्यायालय में करनी होगी जहाँ वह जमीन स्थित है।  इस के लिए आप जमीन के स्वामित्व के कागजात और एफडी तुड़वाने का विवरण बता कर अपने वकील से सलाह करें, वे आप को उचित मार्गदर्शन कर सकेंगे।

प ने जो 498क की शिकायत पुलिस को की है उस में आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत करने की सूचना पुलिस ने आप को दी है।  अब उस में न्यायालय आरोप तय करेगा उस के बाद ही आप को साक्ष्य (गवाही) देने के लिए समन भेजेगा।  इस काम में समय लग सकता है।  यदि आप जानना चाहती हैं कि उस मुकदमे में क्या हो रहा है तो पुलिस से आरोप पत्र प्रस्तुत करने की तिथि और न्यायालय जान कर उस न्यायालय में अपने मुकदमे की स्थिति की जानकारी अपने वकील के माध्यम से जान सकती हैं।

प के विरुद्ध जो तलाक का मुकदमा दाखिल किया गया था वह आप के पति के न्यायालय के समक्ष उपस्थित न होने से खारिज कर दिया गया है।  इस मुकदमे के लंबित रहने के दौरान आप की ओर से जो आवेदन धारा 24 हिन्दू विवाह अधिनियम के अंतर्गत प्रस्तुत किया गया था उस में आप को न्यायालय व्यय तथा भरण पोषण देने का आदेश हुआ होगा।  यह आदेश केवल तलाक की याचिका के लंबित रहने की अवधि के लिए दिया जा सकता है।  इस आदेश के अनुसार आप भरण पोषण राशि वसूल कर सकती हैं।  इस के लिए आप को उसी न्यायालय में आदेश के निष्पादन के लिए दीवानी प्रक्रिया संहिता के आदेश 21 नियम 10 के अंतर्गत आवेदन प्रस्तुत करना होगा।   इस आवेदन पर आरंभ कार्यवाही से आप की भरणपोषण की राशि की वसूली हो सकती है।

प अपनी संतान और स्वयं अपने भरण पोषण के लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के अंतर्गत आवेदन प्रस्तुत कर सकती हैं।  इस कार्यवाही के द्वारा आप भरण पोषण प्राप्त करने के लिए  स्थाई आदेश प्राप्त कर सकती हैं।  इस आदेश में समय और परिस्थितियों के अनुसार भरण पोषण की राशि में वृद्धि करने, कम करने या समाप्त करने के लिए संशोधन कराए जा सकते हैं तथा भरण पोषण राशि अदा न करने पर न्यायालय में आवेदन किया जा सकता है जिस की अदायगी न करने पर पति को जेल भेजा जा सकता है।

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