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विक्रय-पत्र के पंजीयन हेतु मृत विक्रेता के उत्तराधिकारियों पर संविदा के विशिष्ट अनुपालन का वाद किया जा सकता है

समस्या-

मेरठ, उत्तर प्रदेश से युवराज ने पूछा है-

म एक घर में पिछले 30 साल से रह रहे हैं और जिसका मुख़्तार नामा और विक्रय पत्र हमारे पिता जी के नाम है।  विक्रेता ने संपत्ति को विक्रय कर दिया था और पिताजी ने उस संपत्ति का संपूर्ण विक्रय मूल्य अदा कर के संपत्ति पर कब्जा प्राप्त कर लिया था। एग्रीमेंट में सम्पूर्ण संपत्ति का अधिकार हर प्रकार से पिता जी को दिए जाने की बात अंकित है लेकिन पिता जी ने उसकी रजिस्ट्री नहीं कराई थी। तीन महीने पहले पिता जी की मृत्यु हो गई है, मूल विक्रेता की भी मृत्यु हो चुकी है। ऐसी स्थिति में हम किस प्रकार रजिस्ट्री अपने नाम कर सकते हैं या इस के लिए मुझे क्या करना होगा?

समाधान-

hotelकोई भी अपंजीकृत विक्रय पत्र जिस में विक्रय की गई अचल संपत्ति का मूल्य 100 रुपए से अधिक का है मान्य नहीं है। इस कारण विक्रयपत्र का पंजीकृत होना आवश्यक है।  आप ने जिसे विक्रय पत्र कहा है वह विक्रय का इकरारनामा है जिस में विक्रय का संपूर्ण मूल्य प्राप्त कर के विक्रेता ने संपत्ति का कब्जा क्रेता को दे दिया है। क्यों कि संपत्ति का मूल्य दिया जा चुका है और कब्जा भी हस्तांतरित हो चुका है वैसी अवस्था में यदि कोई उस संपत्ति पर से आप का कब्जा हटाने का प्रयत्न करता है या कब्जे के लिए दावा करता है तो आप के पास संपत्ति हस्तान्तरण अधिनियम की धारा 53-ए के अंतर्गत यह प्रतिरक्षा ले सकते हैं कि आप विक्रय मूल्य अदा कर चुके हैं। आप के विरुद्ध उक्त संम्पत्ति का कब्जे का कोई भी दावा निरस्त हो जाएगा। लेकिन बिना विक्रय पत्र के पंजीकरण के आप उक्त संपत्ति के स्वामी नहीं कहलाएंगे और किसी भी सरकारी रिकार्ड में संपत्ति पर आप का स्वामित्व स्थापित नहीं माना जाएगा।

प ने यह नहीं बताया कि उक्त विक्रय संविदा के अंतर्गत विक्रय पत्र का पंजीकरण कराने के लिए क्या शर्त अंकित की गई थी। यदि उस में यह अंकित था कि जब भी क्रेता तैयार होगा तभी विक्रेता विक्रय पत्र का पंजीयन करवा देगा तो आप के पास अब भी उपाय मौजूद है। जो विक्रेता की जिम्मेदारी थी वही उस के उत्तराधिकारियों की जिम्मेदारी है और जो क्रेता का अधिकार है वही क्रेता के उत्तराधिकारियों का अधिकार है। इस कारण आप अपने पिता के सभी उत्तराधिकारियों की ओर से किसी वकील के माध्यम से एक विधिक नोटिस विक्रेता के उत्तराधिकारियों को भिजवाएँ कि वे उक्त संपत्ति का विक्रय पत्र आप के पिता के उत्तराधिकारियों के पक्ष में निष्पादित कर के उस का पंजीयन कराएँ। नोटिस में इस के लिए एक माह तक का समय दिया जा सकता है। यदि इस नोटिस के उपरान्त भी विक्रेता के उत्तराधिकारी विक्रय पत्र निष्पादित कर उस का पंजीयन नहीं कराते हैं तो आप विक्रेता के उत्तराधिकारियों के विरुद्ध दीवानी न्यायालय में विक्य पत्र का निष्पादन कर उस का पंजीयन कराने के लिए संविदा के विशिष्ट पालन के लिए दीवानी वाद प्रस्तुत कर सकते हैं।

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