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नियुक्ति को चुनौती देने वाले मुकदमे में पक्षकार बनें।

appointment-letterसमस्या-

रतन कश्यप ने राझेडी (रादौर), हरियाणा से समस्या भेजी है कि-

मैं 89 days आधार पर शिक्षा विभाग में 1998 में लगा था। हरियाणा सरकार ने सभी 89 days पर लगे कर्मचारियों को तदर्थ आधार पर कर दिया था। कोर्ट के आदेश पर 1999 में सरकार ने जे.बी.टी. अध्यापको की स्थाई भरती निकाली। मैं ने इस भरती में फार्म भरा और साक्षात्कार दिया वर्ष 2000 में इसका परिणाम आ गया जिस मे मेरी नियुक्ति हो गई। मैं ने तदर्थ पद से कार्यभार मुक्ति रिपोर्ट ली जिस में मैने शिक्षा विभाग को लिखा कि मेरी स्थाई नियुक्ति हो गई इसलिए मुझे स्थाई नियुक्ति ग्रहण करने की अनुमति प्रदान करें। मैं ने स्थाई पद ग्रहण कर लिया और नियमानुसार मुझे तदर्थ सेवा का लाभ दिया जा रहा है। इसी दौरान वर्ष 2000 मे स्थाई भरती पर कोर्ट केस हो गया। यदि वर्ष 2000 की भरती रद्द हो जाती है तो क्या मुझे जो तदर्थ कर्मचारी हरियाणा सरकार ने अक्तुबर 2003 मे स्थाई किये थे उसका लाभ मिल सकता है? कयोकि यदि स्थाई भरती मे मेरी नियुक्ति नहीं होती तो मैं अक्तूबर2003 मे स्थाई हो जाता।

समाधान-

प को वर्तमान में तदर्थ सेवा का लाभ मिल रहा है इस कारण आप को पूर्व की तदर्थ सेवा का लाभ मिलना चाहिए।

जो मुकदमा आप की नियमित नियुक्ति के संबंध में हुआ है उस में आप भी एक आवश्यक पक्षकार हैं क्यों कि उस के निर्णय से आप आवश्यक रूप से प्रभावित होंगे। हो सकता है आप को भी न्यायालय का नोटिस मिला हो। यदि नहीं मिला है और किसी कारण से आप को पक्षकार नहीं बनाया गया है तो आप उस मुकदमे में पक्षकार बनाने और सुनवाई का अवसर देने के लिए आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं।

क्षकार बन जाने पर आप को अपना पक्ष न्यायालय के समक्ष रखना चाहिए जिस में वर्तमान नियुक्ति को अनुचित बताने के प्रार्थी के तर्कों को परास्त करना चाहिए और साथ ही यह भी कथन प्रस्तुत करना चाहिए कि आप पहले तदर्थ नियुक्ति पर थे जिस का लाभ आप को मिल रहा है, तथा आप को न्यायालय से यह प्रार्थना करनी चाहिए कि किसी कारणवश वर्तमान नियुक्ति को अनुचित या अवैधानिक माना जाता है तो आपकी पुरानी तदर्थ नियुक्ति के आधार पर आप को 2003 से स्थाई माना जा कर आप को नौकरी पर बनाए रखने का आदेश पारित किया जाए।

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