निःसंतानता के आधार पर विवाह विच्छेद संभव नहीं . . .
|समस्या-
दिल्ली से वंदना शर्मा ने पूछा है –
मेरी शादी 14 वर्ष हो गये हैं। मैं दिनांक 16.11.2011 से अपने मायके में ही रह रही हूँ। मेरे पति ने मेरे साथ मार पिटाई करने के बाद मुझे घर से निकाल दिया है .मुझे कोई संतान भी नहीं है। मुख्य कारण तो यही है। पति रोज़ ड्रिंक करने के बाद मुझ से मार पीट करते थे और काफ़ी हद तक हिंसक हो जाते थे। मेरे घर वालों ने बहुत अधिक धन दहेज दे कर शादी की थी। मेरे माता-पिता ने काफी कोशिश की सब कुछ ठीक हो जाए। लेकिन उन की पीने आदत की वजह से हालत बहुत ज़्यादा खराब हो गये। मैं ने शादी के 12 वर्ष तक बहुत ट्रीटमेंट करवाय़ा, दो बार आइवीएफ भी तक करवाया है। लेकिन 16.11.2011 को मेरे पति ने मार पीट करने के बाद मुझे घर से निकाल दिया। इन सब में मेरे ससुराल वाले भी इन का ही साथ दे रहे हैं। मेरे पति ने 07.02.2012 को सेशन न्यायालय से धारा-9 हिन्दू विवाह अधिनियम का नोटीस भेजा मुझे बुलाने के लिए। मैं उसी समय घर चली गई। लेकिन जा कर देखा कि घर पर ताला लगा हुआ है। मैं ने अपने पति को 10 बार फोन किए लेकिन उन्हों ने कोई उत्तर नहीं दिया। मैं ने अपनी सास को भी फोन किया लेकिन उस ने भी कोई उत्तर नहीं दिया। मैं ने अपनी ननद को फोन किया तो वो बोली कि मैं देखती हूँ की तू वापस कैसे आती है इस घर में? फिर मैं रात 10 बजे अपने घर वापस आ गई। अगले दिन मेरे ससुराल से फोन आया कि हम तो अपने बेटे की दूसरी शादी करवाना चाहते हैं। अगर वंदना साथ रहना चाहे तो वह भी रह सकती है। हम ने तो ये नोटीस विवाह विच्छेद की तैयारी के लिए भेजा है। उसके बाद अक्टूबर 2012 को भी ससुराल वालों ने मुझे विवाह विच्छेद के लिए नोटिस भेज दिया जिस में कारण लिखा है कि मैं क्रूरता करती हूँ और खुद संतान नहीं चाहती हूँ। जब कि मैं ने अभी तक कोर्ट को अपने सारे मेडिकल ट्रीटमेंट पेपर अपने सारी रिपोर्ट्स ,दे चुकी हूँ और भी कई साक्ष्य दिए हैं। अभी तक कोर्ट भी मेरे पक्ष में ही रही है। मैं आप से जानना चाहती हूँ कि क्या कोई संतान न होने पर ये औरत पर अत्याचार करने वाले पति को विवाह विच्छेद की डिक्री मिल सकती है क्या? क्या कोई भी कोर्ट मेरे पति से मेरे 14 वर्ष और इस समाज़ मे वोही इज़्ज़त दिला सकता है क्या?
समाधान-
आप की समस्या बहुत आम है, लेकिन यह भी सही है कि किसी स्त्री को संतान न होने के कारण कोई भी न्यायालय उस के विरुदध पति को विवाह विच्छेद की डिक्री प्रदान नहीं कर सकता और न ही किसी स्त्री के विवाहित जीवन के 14 वर्ष और उस का सम्मान कोई लौटा सकता है।
आप के पति को संतान न होने के आधार पर विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त नहीं होगी। लेकिन इतनी कार्यवाही के उपरान्त आप का जीवन किसी प्रकार से आप के पति या ससुराल के परिवार के साथ अच्छा नहीं हो सकता। आप विवाह विच्छेद नहीं चाहती हैं तो नहीं होगा। क्यों कि आप के पति के पास इस के लिए कोई कानूनी आधार उपलब्ध नहीं है।
लेकिन आप के पति और उस के परिवार वालों के दुस्साहस को आप ने भी बढ़ाया है। एक तो काफी मात्रा में आप के माता-पिता ने उन्हें दहेज दिया है। दूसरे आप ने कभी कोई मुखर प्रतिवाद अपने प्रति होने वाली क्रूरता के लिए नहीं किया। जब कि क्रूरतापूर्ण व्यवहार को जैसे जैसे सहन किया जाता है वह बढ़ता जाता है। अभी भी जब आप को मारपीट कर घर से निकाल दिया गया है उस के उपरान्त आप ने क्या कार्यवाही की है यह आप ने नहीं बताया है। यदि आप ने कोई कार्यवाही नहीं की है तो अब भी समय है कि आप को करना चाहिए।
आप को सब से पहले तो यह तय करना चाहिए कि आप अपने पति के साथ नहीं रहेंगी। आप के पति और उन के रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता का व्यवहार करने से आप को अपने पति और उस के परिवार वालों से अलग रहने का अधिकार है। आप को तुरन्त अपने लिए मासिक निर्वाह राशि की मांग करना चाहिए तथा धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता में इस के लिए आवेदन प्रस्तुत करना चाहिए। आप के पति व उन के परिजनों ने जिस में आप की ननद भी सम्मिलित हो चुकी है आप के साथ क्रूरता का व्यवहार कर के धारा 198-ए धारा 406 भा.दं.संहिता का अपराध किया है। आप को अपना सारा स्त्री-धन (जो कुछ भी दहेज के रूप मे आप के पिता द्वारा दिया गया था वह अपने पति से वापस करने की मांग करनी चाहिए। यदि वे नहीं लौटाते हैं तो यह भी धारा 406 भा.दं.संहिता के अन्तर्गत अपराध होगा। आप को उक्त दोनों धाराओं के अंतर्गत अपराधिक प्रकरण दर्ज कराना चाहिए।
आप चाहें तो महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा अधिनियम के अंतर्गत रहने के लिए अलग आवास की मांग अपने पति से कर सकती हैं और यह आदेश भी न्यायालय से प्राप्त कर सकती हैं कि आप को दिए जाने वाले आवास पर आप के पति या उन के परिवार का काओ भी सदस्य न आए और आप के साथ हिंसक व्यवहार न करे। यदि आप खुद अपने प्रति हो रहे अपराधों के प्रति सजग नहीं रहेंगी और कार्यवाही नहीं करेंगी तो आप को कोई भी राहत नहीं मिलेगी। यदि आप ये सभी कार्यवाहियाँ करेंगी तो आप को कुछ राहत प्राप्त होगी तथा आप भविष्य में कम से कम मान सम्मान के साथ जी सकेंगी।
बहनजी ये तो सरासर अपराध है।सबसे महत्वपूर्ण पक्ष आपके पति के पास कोई कानूनी अधिकार तलाक के लिए नही बनता ।रही बात आप के माँ न बन पाने की तो इसके लिए आप अकेले कदापि जिम्मेवार नही हो सकती इसके लिए आप के पतिजी भी जिम्मेवार हो सकते है आप दोनो को डाँक्टर की सलाह लेकर ईलाज करवाकर एक सुखी दाम्पत्य जीवन का प्यार से आनंद लेना चाहिए। तलाक का जो आपने या आपके पति ने जो फैसला लिया है वो बहुत गलत है ।21वी सदी मेँ ऐसी सोच जब लोग मंगल पर जाने की सोच रहा है विज्ञान ने जो वरदान दिए है उसका सदुपयोग कीजिए। तलाक का दर्द क्या होता है अच्छी तरह से वाकीफ हूँ दो महिने की शादी और जीवन भर का दर्द। आप अपने पति से सीधे बात कीजिए किसी मध्यस्थ या तीसरे आदमी को अपने बीच मे मत आने दीजिए क्योँकि ओ आग मेँ घी डालने का काम करेगा मजा लेगा और आपका घर उजाड़ देगा।
मेरे अनुसार यदि आप लोगो के पास कोई डाँक्टरी उपाय नही बचता तो आनाथालय से बच्चा ले कर उसे ही अपनी संतान मानकर खुश रहना चाहिए।सच का साथ हमेशा सुखदायी होता है।
“गलतियो के लिए माँफी चाहता हूँ ये मेरे व्यक्तीगत विचार है।”