निस्सहाय माँ और बहिन का भरण पोषण करना पुरुष का दायित्व।
|रवि शर्मा ने मेरठ, उत्तर प्रदेश से पूछा है-
मेरी शादी 05-12-2012 को हुई थी, लेकिन पत्नी शादी के बाद कुछ समय तक तो सही रही, बाद में मुझ पर दवाब बनाने लगी कि मैं अपनी माँ और बहन से अलग रहूँ। मेरी बहन मानसिक रूप से विकलांग है। मेरे पिताजी का देहान्त 2011 में हो चुका है। अब मेरी बहन और मेरी मां का मेरे अलावा कोई भी नहीं है। ऐसे में मैं अपनी माँ और बहन को कैसे छोड़ सकता हूँ। मैने ये बात उसको कई बार समझाई लेकिन वो मेरी बात मानने को तैयार नही है। उसके माता पिता से बात की तो वो भी अपनी लड़की का पक्ष लेते हैं। जब मैं ने उनसे ज़्यादा कहा तो उन्होने मेरे साथ लड़ाई की और कहा कि या तो जैसा हस कहते हैं वैसा करो नहीं तो आज के बाद हमारी लड़की को लेने मत आना। नही तो हम तुम्हें दहेज के केस में फँसा देंगे। फिर मैं उसको लेने के लिए नही गया। कुछ दिनों बाद उन्होंने मुझ पर दहेज का झूठा केस कर दिया जिस में उन्होने मेरे सहित मेरे परिवार के अन्य लोगों जैसे मामा, मामी, ताऊ और मामा के लड़के का नाम लिखवाया है। हम सब पर उन्होने धारा 376 ,377,504,506,307,498ए, 3/4 डीपी एक्ट धारा की 323 धाराएं लगाई हैं जिस में हम सब लोगों की जमानत हो चुकी है। इसके अलावा उन्होंने मुझ पर घरेलू हिंसा व धारा 125 दंड प्र. संहिता का केस भी किया हुया है। जेल से बाहर आने के बाद मैंने अपनी पत्नी पर तलाक़ का केस कर दिया है जो कि अभी कोर्ट में चल रहा हैं जिस के चलते हुए अभी 1 वर्ष चार माह हो चुके हैं धारा 125 मे मेंटीनेन्स भी बंध चुका है और मैं उसको हर महीने मेंटीनेन्स दे रहा हूँ। अब मेरा आप से एक सवाल हैं कि क्या मुझे क्रूरता के आधार पर तलाक़ मिल सकता हैं और तलाक़ के केस को तेज़ी से चलाने के लिए मुझे क्या करना चाहिए? क्यूंकी मेरी उमर अब 30 वर्ष हैं यदि 1 या 2 साल में मुझे तलाक़ नहीं मिला तो मेरी उम्र शादी के लायक नहीं रह जाएगी। लेकिंन वो लड़की मुझे तलाक़ नहीं दे रही है। मैं ने कई बार म्यूचुअल डाइवोर्स के लिए भी कोशिश कर के देख लिया है। लेकिन वो म्यूचुअल डाइवोर्स के लिए तैयार नही है। अब मैने फ़ैसला कर लिया हैं कि अब मैं उसको किसी भी कीमत पर नही रखूँगा। क्या मैं उस पर पर्जुरी का केस कर सकता हूँ?
समाधान-
आप की कहानी एक आम कहानी है। निश्चित रूप से आप अपनी बहन और माँ को नहीं छोड़ सकते। आप की जो भी परिस्थितियाँ हैं उन में ऐसा करना अमानवीयता भी होगी और एक अपराध भी होगा। आप की माँ और बहन दोनों आप पर निर्भर हैं। यदि आप उन्हें छोड़ देते हैं तो वे महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा अधिनियम में आप के विरुद्ध कार्यवाही कर सकती हैं। इस के अलावा वे धारा 125 अपराध प्रक्रिया संहिता के अन्तर्गत भी भरण पोषण मांगने की हकदार हैं। वे इतना ही नहीं करतीं बल्कि आप की पत्नी के आप का घर छोड़ देने के बाद आप की देखभाल करने का जिम्मा भी उठा रही होंगी।
लेकिन जब आप की पत्नी और उस के परिजन आप के विरुद्ध वे सभी कानूनी कार्यवाहियाँ कर चुके हैं जो वे कर सकते थे। अब उन के तरकश में कोई तीर शेष नहीं है। आप को और आप के परिजनों को परेशान करने के जितनी शक्ति और अवसर थे उन सब का वे प्रयोग कर चुके हैं। आगे आप का कुछ नहीं बिगड़ना है। सभी अपराधिक मुकदमे मिथ्या हैं इस कारण उन सब में आप और आप के परिजन दोष मुक्त हो जाएंगे। आप को सिर्फ इतना करना है कि मुकदमों को ध्यान से लड़ना है, वकील अच्छा हो तो और भी अच्छा है। आप सफल होंगे। इन परिस्थितियों में आप को तलाक भी मिल जाएगा। आप यह सोचना बन्द कर दें कि एक दो साल बाद आप को जीवन साथी का अकाल हो जाएगा। अब वह जमाना नहीं रहा जब कि इस उम्र में जीवन साथी न मिले। यदि आप जाति की परवाह न करें तो अच्छी जीवनसाथी आप को मिल जाएगी।
हमारे यहाँ मुकदमों में समय लगता है। लेकिन यदि आप को अच्छा जीवन साथी मिले तो आप बिना विवाह के भी उस के साथ लिव-इन रिलेशन बना कर रह सकते हैं। यह कोई अपराध नहीं है। इस में तलाक होना जरूरी नहीं है।
मेरा एक सुझाव है कि आप अपनी माँ और बहिन को सुझाव दें कि वे आप के विरुद्ध घरेलू हिंसा अधिनियम में आप के विरुद्ध आवास और भरण पोषण की मांग करते हुए मुकदमा कर दें। आप उस का विरोध करें या न करें तब भी उन दोनों को आवास और भरण पोषण प्रदान करने का आदेश अदालत आप के विरुद्ध दे देगी। तब उन दोनों के लिए यह सब उपलब्ध कराना आप का दायित्व हो जाएगा जिसे आप अपने मुकदमों में भी प्रदर्शित कर सकते हैं। इस से आप को आप की पत्नी द्वारा किए गए मुकदमों में बचाव करने में मदद मिलेगी।