पति के लापता (जानबूझ कर छिपे) होने पर विवाह विच्छेद की डिक्री
|समस्या-
पति दो वर्ष से लापता है, पत्नी ने पति के लापता होने के छह माह बाद पति और उस के परिवार वालों के विरुद्ध धारा 498-ए और कुछ अन्य धाराओं में मुकदमा कर दिया। जिस में पति के परिवार वालों की दो माह बाद अग्रिम जमानत हो गई है। पति अभी तक लापता है। पत्नी तलाक लेना चाहती है और पति के परिवार के लोग भी चाहते हैं कि तलाक हो जाए। दहेज और स्त्री-धन की समस्त राशि वापस लौटा दी गई है। पति के बिना तलाक कैसे हो सकता है?
-अंजू चौधरी, जोधपुर, राजस्थान
समाधान-
किसी भी तलाक या विवाह विच्छेद के मामले में दो पक्ष पति और पत्नी ही होते हैं। यदि एक पक्ष विवाह विच्छेद चाहता है और दूसरा पक्ष अनुपस्थित है तो विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त करना संभव नहीं है। लेकिन आप द्वारा प्रस्तुत विवरण से ऐसा लगता है कि इस मामले में पति लापता नहीं है अपितु 498-ए के अपराधिक मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए छिपा हुआ है। इस सूरत में पत्नी न्यायालय में आवेदन कर के विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त कर सकती है।
इस मामले में पत्नी न्यायालय में जिस आधार पर विवाह विच्छेद प्राप्त करना चाहती है उस आधार पर विवाह विच्छेद के लिए हिन्दू विवाह अधिनियम के अंतर्गत आवेदन प्रस्तुत करे। इस आवेदन के न्यायालय में पंजीकृत होने के उपरान्त न्यायालय पति को उस के निवास के पते पर आवेदन का नोटिस प्रेषित करेगा। पति के लापता होने के कारण उसे भेजा गया नोटिस वापस न्यायालय को प्राप्त हो जाएगा, जिस पर यह नोट अंकित होगा कि भेजे गए पते पर पाने वाला नहीं मिला या बाहर गया है कब लौटेगा इस का पता नहीं है। वैसी स्थिति में न्यायालय दुबारा नोटिस उसी पते पर प्रेषित करेगा या फिर पत्नी से पति का नए निवास का पता प्रस्तुत करने को कहेगा। दुबारा भी नोटिस वापस लौटने पर पत्नी को न्यायालय के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करना चाहिए कि पति उसी पते पर निवास करता है लेकिन इस वाद का नोटिस प्राप्त करने के लिए वह डाक को प्राप्त करने से बच रहा है। ऐसी स्थिति में पति को विवाह विचछेद के आवेदन की सूचना की प्रतिस्थापित तामील समाचार पत्र में प्रकाशन के माध्यम से कराने की अनुमति प्रदान की जाए।
यदि पत्नी का यह आवेदन न्यायालय स्वीकार कर लेता है तो पत्नी के खर्चे पर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत विवाह विच्छेद के आवेदन की सूचना समाचार पत्र में प्रकाशित की जाएगी। सूचना के समाचार पत्र में प्रकाशन के उपरान्त न्यायालय यह मान कर कि पति को आवेदन की सूचना हो गई है। न्यायालय पति के विरुद्ध एक तरफा कार्यवाही करेगा और पत्नी के पक्ष की साक्ष्य अभिलेखित करेगा। साक्ष्य अभिलेखित करने के उपरान्त यदि न्यायालय यह पाता है कि पत्नी के पास विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त करने का पर्याप्त आधार है जिसे उस ने अपनी साक्ष्य से साबित कर दिया है तो न्यायालय पत्नी को विवाह विच्छेद की डिक्री प्रदान कर देगा। उक्त डिक्री प्राप्त करने की तिथि के बाद अपील की अवधि समाप्त हो जाने पर डिक्री अंतिम हो जाएगी तब पत्नी दूसरा विवाह करने को स्वतंत्र होगी।
लेकिन यदि पति न्यायालय के समक्ष उपस्थित हो कर आवेदन प्रस्तुत करे कि उसे न्यायालय के नोटिस की सूचना प्राप्त नहीं हुई थी और उसे समाचार पत्र में प्रकाशन का ज्ञान भी नहीं हुआ था इस कारण से डिक्री को अपास्त किया जाए और प्रकरण की पुनः सुनवाई की जाए। इस आवेदन की सूचना पत्नी को प्राप्त हो जाने तक पत्नी ने दूसरा विवाह नहीं किया हो तो न्यायालय पति के तर्क से संतुष्ट होने पर ऐसी डिक्री को अपास्त कर सकता है और प्रकरण की पुनः सुनवाई कर सकता है।
लेकिन यदि पति पत्नी दोनों बहुत लंबे से समय से अलग रहे रहे हों लगभग 5-6 साल से और आगे भी साथ रहने की इच्छा न रखते हो तो क्या तालक मान लिया जाता है क्यूंकि मैंने ऐसा सुना था, कि यदि कोई दंपत्ति 7 वर्षों से किसी भी कारण वश एक साथ न रहे हो और वह अपने बीच किसी प्रकार का कोई संबंध भी न रखेँ अर्थात न कभी मिले न बात करे जैसे अक्सर तालक के बाद होता है ऐसे रह रहे हों, तो क्या वाकई तलाक मान लिया जाता है यह बात कहाँ तक सही है और यदि पूर्णतः गलत है तो इस मसले का सही हल क्या है।
पल्लवी जी , ऐसा हमारे कानून में नहीं है आपको शायद किसी ने गलत जानकारी दी है
आप बेचारे पतियों की एक झलक देखना चाहते है तो http://www.becharepati.blogspot.com पर देखे
धन्यबाद
kamal hindustani का पिछला आलेख है:–.आज की नारी की एक झलक