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पति द्वारा पत्नी के नाम से खरीदी गई संपत्ति पत्नी के हित के लिए खरीदी गयी मानी जाएगी।

DCF 1.0समस्या-
शाखेर सिंह ने लखनऊ, उत्तर प्रदेश से पूछा है-

दि कोई व्यक्ति अपनी पत्नी के नाम प्लॉट खरीदे जिस के मूल्य का भुगतान उसने स्व-अर्जित धन से चेक द्वारा अपने बचत खाते से किया। उस की पत्नी का स्वर्गवास हो जाए तो क्या वह व्यक्ति उस प्लॉट की वसीयत कर सकता है? क्या वह वसीयत मान्य होगी? बेनामी ट्रांजैक्शन (निषेध) अधिनियम 1988 किस प्रकार लागू होगा?

समाधान-

बेनामी ट्रांजेक्शन (निषेध) एक्ट 1988 की धारा-3 में यह उपबंध है कि यदि कोई व्यक्ति अपनी पत्नी या अविवाहित पुत्री के नाम से कोई संपत्ति खरीदता है तो उस पर यह बेनामी ट्रांजेक्शन की यह धारा प्रभावी नहीं होगी। इस तरह इस अधिनियम का आप के मामले में केवल इतना ही प्रभाव है कि पत्नी के नाम से खरीदी गई संपत्ति जिस के क्रय मूल्य का भुगतान पति ने किया है उस के लिए यह माना जाएगा कि वह पत्नी के हितों के लिए खरीदी गई है। लेकिन यदि पति यह साबित कर देता है कि वह उस की पत्नी के हितों के लिए नहीं खरीदी गई थी तो वह संपत्ति पति की ही मानी जाएगी।

प के मामले में स्थिति यह है कि पत्नी का देहान्त हो गया है। स्त्री की संपत्ति के उत्तराधिकारी उस की संताने और पति होता है। सामान्य रूप से यही माना जाएगा कि संपत्ति में संतानों का भी हिस्सा है। वैसी स्थिति में यदि पति उस संपत्ति को वसीयत करता है तो उस वसीयत को पति के हिस्से मात्र की वसीयत माना जाएगा। लेकिन यदि किसी तरह यह साबित कर दिया जाता है कि पति ने यह संपत्ति पत्नी के हित के लिए नहीं खरीदी थी तो फिर पूरी संपत्ति के संबंध में वसीयत मान्य होगी।

स मामले में एक दृष्टिकोण यह भी हो सकता है कि चूंकि संपत्ति पति ने खरीदी थी और पत्नी के हित के लिए खरीदे जाना मात्र एक कानूनी स्थिति है। पत्नी का देहान्त हो चुका है इस कारण इस कानूनी मान्यता का कोई अर्थ नहीं रह गया है। इस दृष्टिकोण से पत्नी के देहान्त के उपरान्त सारी संपत्ति पति की मानी जाएगी और संतानों का उस में कोई अधिकार नहीं होगा। तब वसीयत पूरी संपत्ति के संबध में मान्य होगी।

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