पत्नी के रहते दूसरी स्त्री के साथ संबंध न सुलझने वाली जटिलताएँ उत्पन्न करता है।
|सर!
अब प्रकाश जी की समस्या विकट है या नहीं? इस प्रश्न पर मैं क्या सलाह दे सकता हूँ? लेकिन चूँकि वकील हूँ, कानूनी सलाह देना मेरा पेशा है, इस कारण से मैं इन्हें बिना सलाह दिए तो वापस नहीं लौटा सकता। निश्चित ही मुझे इन्हें कानूनी सलाह तो देनी होगी। इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि सलाह कानूनी हो, उस से बचने की नहीं हो। ऐसी सलाह दी जाए जिस से तीन वयस्कों तथा पाँच अवयस्कों के जीवन में और अधिक मुश्किलें न आएँ, उन के जीवन की कठिनाइयाँ कम हो सकें। चलिए प्रकाश जी की समस्या पर विचार करते हैं।
प्रकाश जी ने इस बात तो प्रकट नहीं किया कि उन की पत्नी किस .किन कारणों से उन्हें छोड़ कर चली गई। यदि वे कारण बता भी देते तो आज की परिस्थितियों में उस से कोई अंतर नहीं पड़ता। विवाह में किसी भी पत्नी या पति का अपने जीवन साथी को छोड़ कर अलग रहने लग जाना सदैव इसी तरह की जटिलताओं को उत्पन्न करता है। यहाँ प्रकाश जी की त्रुटि यह है कि यदि पत्नी उन्हें छोड़ कर चली गई थी तो उन को चाहिए था कि उसे वापस लाने का प्रयत्न करते। कानूनी रूप से हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा-9 के अंतर्गत न्यायालय में वैवाहिक संबंधों की प्रत्यास्थापना के लिए आवेदन प्रस्तुत करते, डिक्री प्राप्त करते। यदि डिक्री प्राप्त नहीं हो सकने के उपरांत भी पत्नी वापस आ कर उन के साथ नहीं रहती तो उस से तलाक हो सकता था। उस स्थिति में वे दूसरा विवाह कर सकते थे। इस तरह उन्हें अपनी प्रेमिका कृति के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने की आवश्यकता नहीं होती।
प्रकाश जी ने ऐसा नहीं किया। वे पत्नी का इंतजार करते रहे इसी इंतजार के बीच उन्हों ने कृति से संबंध बना लिया। उन के द्वारा इस तरह का संबंध बना लिया जाना कानून के अंतर्गत किसी भी प्रकार से दंडनीय अपराध नहीं है। क्यों कि उन्हों ने यह संबंध बनाने के पहले ही कृति को यह बता दिया था कि वह उस से विवाह नहीं कर सकता, क्यों कि वह विवाहित है, विवाह करना अपराध होगा। भारतीय दंड संहिता की धारा 494 में पति या पत्नी द्वारा अपने जीवनसाथी के रहते दूसरा विवाह करना अपराध है लेकिन बिना विवाह किए यौन संबंध बनाना या किसी को साथ रखना अपराध नहीं है। इस कारण से उन की पत्नी ने जो मुकदमा किया है वह सही नहीं है और यदि इस मुकदमे में प्रकाश जी ने ठीक से अपना बचाव किया तो किसी भी प्रकार से यह साबित किया जाना संभव नहीं हो सकेगा कि प्रकाश जी ने कृति के साथ विवाह किया है। इस मुकदमे में वे बरी हो जाएँगे।
प्रकाश जी पूरी ईमानदारी के साथ अपनी पत्नी और कृति दोनों को साथ रखना चाहते हैं, हो सकता है कि कृति इस के लिए तैयार हो लेकिन उन की पत्नी इस के लिए तैयार नहीं है। यह तो तभी संभव हो सकता है जब उन की पत्नी इस के लिए तैयार हो जाए। हाँ एक विकल्प यह हो सकता है कि वे कृति को अलग रहने को तैयार हो जाएँ प्रकाश जी उसे अलग रखें और पत्नी को अपने साथ रखें। प्रकाश जी के जीवन में यह जटिलता तो उन्हों ने स्वयं उत्पन्न की है। उसे उन्हें भुगतना ही पड़ेगा।
प्रकाश जी ने एक प्रश्न यह और किया है कि क्या कृति को उन की पत्नी के अधिकार मिल सकते हैं तो उस का उत्तर स्पष्ट है कि उसे यह अधिकार नहीं मिल सकते। एक पत्नी के रहते उन्हों ने कृति के साथ विवाह कर भी लिया होता तब भी उसे यह अधिकार इस लिए नहीं मिलता क्यों कि वह विवाह अवैध होता। उन्हों ने संतानों के संबंध मे मुझ से कोई प्रश्न नहीं पूछा है। उन के दो संताने अपनी पत्नी से और तीन संताने कृति से हैं। पाँचो ही संतानों के वे पिता हैं। किसी पुश्तैनी संपत्ति में यदि प्रकाश जी का कोई भाग हुआ तो उस संपत्ति में उन की पत्नी की संतानों को तो अधिकार है लेकिन कृति से उत्पन्न संतानों को कोई अधिकार नहीं है। यदि प्रकाश जी की कोई स्वअर्जित संपत्ति है तो अपने जीवनकाल में वे उस के स्वामी हैं। उस का वे अपनी इच्छानुसार उपयोग कर सकते हैं, उसे किसी को भी दे सकते हैं। लेकिन उन के जीवन काल के उपरांत उन की संपत्ति पर उन की पत्नी उस की संतानों के साथ-साथ कृति की संतानों का भी बराबर का अधिकार होगा लेकिन स्वयं कृति का उन की स्वअर्जित संपत्ति में भी अधिकार नहीं होगा।
इस तरह हम देखते हैं कि एक पत्नी के रहते हुए किसी अन्य स्त्री के साथ संबंध बना लेना सदैव ही जटिलताएँ उत्पन्न करता है और ये जटिलताएं उन के जीवन तक ही सीमित नहीं रहती हैं अपितु उन की संतानों के मध्य भी संपत्ति के अधिकार को ले कर झगड़े उत्पन्न करती है। प्रकाश जी इन जटिलताओं में उलझ गए हैं इन से छुटकारा प्राप्त कर पाना संभव नहीं है। उन के पास एक ही मार्ग शेष है कि वे अपनी पत्नी के साथ और कृति के साथ सहमतियाँ बनाएँ और अपनी संतानों के लिए संपत्ति के अधिकारों को सहमति के साथ सुनिश्चित कर दें।
सर,
सही सलाह दी है आपने | इस प्रकार की समस्याओं का निदान क़ानून के द्वारा संभव नहीं है | सामजिक रूप से ही एसी समस्याओं का हल निकालना चाहिए |
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सही सलाह दी है आपने | इस प्रकार की समस्याओं का निदान क़ानून के द्वारा संभव नहीं है | सामजिक रूप से ही एसी समस्याओं का हल निकालना चाहिए |
भाई प्रकाश जी जो पत्नी आप को पहले ही छोड कर चली गई थी…… वो क्या खाक आप का साथ निभायेगी….. दिनेश जी की राय सही है.
हे प्रभु ,यह कैसे-कैसे मामले आ रहे हैं..
सुन्दर समीक्षा. आभार.
सचमुच विकट परिस्थिति हैं
जनोपयोगी जानकारी देने के लिये आभार
प्रणाम स्वीकार करें
इस जानकारी के लिए आभार
आज के माहोल मे बहुत उपयोगी सलाह.
रामराम.