पिताजी जमीन न बेचें इस के लिए क्या किया जाए?
|समस्या-
मेरी माताजी का देहांत हो चुका है। मेरे पिताजी की आयु 80 बरस है। वे फैजाबाद (उ.प्र.) जिले के गाँव में अकेले रहते थे। उन्हें मैं अपने पास मुंबई ले आया हूँ। मैं यहाँ अपने फ्लेट में रहता हूँ। गाँव के खुले वातावरण के स्थान पर यहाँ के भीड़ भरे माहौल तथा फ्लेट के बंद वातावरण में घुटन महसूस करते हैं और कहते हैं कि मुझे कहाँ जेल में ले आए हो। मुझे गाँव में ही छोड़ दो। मैं उन्हें गाँव में भी अकेले नहीं छोड़ सकता। उन्हें भूलने की बीमारी है, आधे घंटे पहले की बात भी याद नही रहती। मेरी 5 बहनें हैं। इस उम्र मे पिता जी यह भी कहते हैं कि वे दूसरी शादी कर लेंगे। यह भी कहते हैं कि गांव की जमीन बेच दूंगा तो मेरा काम चल जाएगा। उन्हों ने जमीन पर ऋण ले रखा था उसे मैं ने पैसा भेज कर चुकाया है। जमीन उन की ही खरीदी हुई है। मेरी सारी बचत उसी में लग गई है। पिताजी को गाँव भेजना ही पड़े तो वे जमीन न बेच दें इसके लिये क्या किया जा सकता है?
समाधान-
आप की समस्या विकट है। आप के पिताजी की गाँव की जमीन उन्ही के द्वारा खरीदी हुई होने के कारण उन की स्वअर्जित संपत्ति है और उस संपत्ति को बेचने, हस्तान्तरित कर देने का उन्हें पूरा अधिकार है। इस कारण कानूनन कोई रोक उस संपत्ति को आप के पिताजी द्वारा बेचे जाने से रोके जाने पर नहीं लगाई जा सकती है।
आप के पिताजी की उम्र 80 वर्ष की है और वे मानसिक रूप से अस्वस्थ भी हैं। वैसी अवस्था में उन्हें गाँव में अकेले छोड़ना उचित नहीं है। आप को उन्हें समझाना चाहिए कि उन्हें आप के पास ही रहना चाहिए। वैसे भी अभी उन्हें आप के पास रहने आए अधिक समय नहीं हुआ है। कुछ दिन समझा-बुझा कर उन्हें अपने साथ रखिये, हो सकता है जब उन्हें अधिक समय आप के साथ रहते हो जाए और वे यहाँ के माहोल में अभ्यस्त हो जाएँ तो शायद उन्हें यहाँ अच्छा लगने लगे। आप को उन की रुचियों और सुविधाओं का खयाल रखना होगा। आप जिस बिल्डिंग में रहते हैं उस में या आस पास की बिल्डिंग में कुछ बुजुर्ग रहते हो तो उन से उन की जान पहचान करवाइए। उन का दिन में आपस में मेल जोल बढ़ेगा तो हो सकता है उन का मन मुम्बई में रम जाए और वे गाँव जा कर रहने की सोच को त्याग दें। यदि वे मुम्बई में रहेंगे तो गाँव की जमीन किसी तरह बेच नहीं सकेंगे। कभी आप को अवकाश मिले और आप कुछ दिन के लिए गाँव जाएँ तो उन्हें साथ ले जाएँ और साथ ही वापस ले आएँ, लेकिन कुछ महिनों के बाद। मुम्बई की सुविधाओं को अपना लेने के बाद यदि गाँव में वहाँ की असुविधाएँ उन्हें मिलेंगी तो उन का मन भी वहाँ रहने का नहीं करेगा और वे भी आप के साथ वापस लौटने को तैयार हो सकते हैं।
इस के अतिरिक्त आप उन की चिकित्सा करवाइए। किसी न्यूरोलोजिस्ट और साइकेट्रिस्ट को उन्हें दिखाइए। उन के इलाज के पर्चे के आधार पर यह स्पष्ट हो जाएगा कि वे उम्र कारण ऐसी मानसिक अवस्था में पहुँच गए हैं कि अपना भला बुरा नहीं सोच सकते। यदि चिकित्सक इस तरह की रिपोर्ट दे देते हैं। तो फिर यह स्पष्ट होगा कि वे आप की उपस्थिति के बिना जमीन या कोई भी अन्य संपत्ति को बेचने तथा उस का विक्रय पत्र निष्पादित करने के लिए सक्षम नहीं रह गए हैं। तब आप गाँव में आम तौर पर पढ़े जाने वाले समाचार पत्रों में अपनी ओर से यह सूचना प्रकाशित करवा सकते हैं कि आप के पिताजी की मानसिक अवस्था ठीक नहीं है और वे ऐसी अवस्था में संपत्ति बेचते हैं तो ऐसा विक्रय अवैधानिक होगा। इस से कोई आप के पिताजी से जमीन खरीदने से कतराएगा। फिर भी कोई उन्हें बहला-फुसला कर उन की जमीन खरीदना चाहेगा और ऐसा कर लेता है तो आाप उन की मानसिक स्थिति की चिकित्सकीय रिपोर्ट तथा उक्त विज्ञापन के आधार पर न्यायालय में दावा कर के ऐसे विक्रय को शून्य घोषित करवाया जा सकता है और निरस्त करवाया जा सकता है।
aapke dwara dee gayee jankari sahi hai.
dhanyawaad.
mahesh
wah kya tarkeeb hai vakeel sahb
एक पेचीदे सवाल का बहुत सुलझा हुआ ज़वाब दिया है ।