DwonloadDownload Point responsive WP Theme for FREE!

स्वयं के स्वामित्व की संपत्ति के विक्रय के लिए परिजनों की सहमति की आवश्यकता नहीं।

समस्या –

विशाल ने सूर्य कुंज, नजफगढ़ नई दिल्ली से पूछा है-

मेरे दादा जी को क्षतिपूर्ति एवं पुनर्वास अधिनियम 1954 (Compensation and Rehabilitation Act 1954) के अन्तर्गत एक प्रॉपर्टी मिली थी, जिसका मूल्य मेरे दादा जी ने चुकाया था। मेरे दादा जी ने 2012  में  प्रॉपर्टी मेरे पिताजी के नाम विक्रय कर दी। दादा जी की 2013 में मृत्यु हो गयी।  उसके बाद मेरे पिताजी ने 2019 में वह प्रोपर्टी किसी और को बेच दी। सेल डीड रजिस्टर्ड है, पर मेरे पिताजी ने ना मेरी माँ की और ना ही मेरी सहमति ली। मेरे भाई को विटनेस बनाया है, झूठ बोलकर। मेरा सवाल ये है क्या जब प्रॉपर्टी बेचीं मेरे पिताजी को हमारी सहमति की जरुरत  नहीं थी? क्योंकि प्रॉपर्टी तो मेरे दादा जी की थी। जब मेरे दादाजी ने मेरे पिताजी को जब प्रॉपर्टी  बेची, मेरी और मेरी भाई की उम्र 21 से ज्जादा थी।  प्रॉपर्टी पर अभी भी मेरा और मेरे माँ भाई का कब्जा है।


समाधान –

आप ने खुद बताया है कि उक्त प्रोपर्टी आप के दादा जी को क्षतिपूर्ति एवं पुनर्वास अधिनियम 1954 (Compensation and Rehabilitation Act 1954) के अन्तर्गत एक मिली थी, जिसका मूल्य उन्हों ने ही चुकाया था। इस तरह वह प्रोपर्टी उनकी स्वअर्जित संपत्ति थी। उन्हें उस संपत्ति को अपने जीवनकाल में विक्रय करने का अधिकार था। इसी अधिकार के अंतर्गत उन्होंने यह प्रोपर्टी आपके पिताजी को बेच दी।

इस तरह उक्त प्रोपर्टी आपके पिताजी की निजी संपत्ति थी और उसे विक्रय करने का उन्हें पूरा अधिकार था। इसी अधिकार के अंतर्गत उन्होंने इस प्रोपर्टी को विक्रय कर दिया। आप और आपकी माताजी तो उस मकान में केवल उनके परिवार के सदस्य होने के नाते निवास करते हैं।

संपत्तियाँ बनना बन्द हो चुकी हैं। क्योंकि सहदायिकी कानून से बनती थीं और वह कानून समाप्त हो चुका है। उसका स्थान हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम ने ले लिया है।

Print Friendly, PDF & Email