पुश्तैनी सम्पत्ति मेंं हिस्से की वसीयत की जा सकती है।
समस्या-
अविनाश कुमार सिंह ने गमरिया मेयारी बाजार, नोखा, सासाराम, बिहार से पूछा है-
मेरे दादा के नाम पुश्तैनी जमीन है, क्या वे किसी के नाम वसीयत कर सकते हैं? उन के दो लड़के थे जिन की मृत्यु हो चुकी है दोनों के एक एक लड़के हैं।
समाधान-
हिन्दुओं के पास दो तरह की संपत्तियाँ हो सकती हैं। एक पुश्तैनी और दूसरी स्वअर्जित संपत्ति। 17 जून 1956 के पूर्व तक सामान्य कानून यह था कि जो भी संपत्ति किसी पुरुष को अपने किसी पुरुष पूर्वज से उत्तराधिकार में प्राप्त हुई है वह पुश्तैनी है और उस में पुत्रों का अधिकार जन्म से ही है। 1956 में हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम प्रभावी होने पर ऐसा नहीं रहा। जो संपत्ति उक्त अधिनियम प्रभाव में आने के पूर्व पुश्तैनी या सहदायिक संपत्ति हो गयी थी वह तो सहदायिक रही और उस में पुत्रों का जन्म से अधिकार रहा। लेकिन उत्तराधिकार में प्राप्त जो संपत्ति पहले से पुश्तैनी या सहदायिक नहीं थी वह पुश्तैनी या सहदायिक नहीं रही।
यदि आप के दादा जी के पास उक्त संपत्ति पुश्तैनी / सहदायिक थी तो उस में उन के मृत पुत्रों के परिवार का भी हिस्सा है। इस कारण वे उस संपूर्ण सम्पत्ति की वसीयत नहीं कर सकते। पुश्तैनी संपत्ति में जो हिस्सा दादा जी का बनता है उसे वे वसीयत कर सकते हैं।
यदि उक्त संपत्ति दादा जी को प्राप्त होने के समय सहदायिक या पुश्तैनी नहीं थी तो दादा जी पूरी संपत्ति की वसीयत कर सकते हैं।
मेरे सगे चाचा ने अपनी पत्नी के नाम अपने पिता से वसीयत लिखवा ली जिसमें मेरे चाचा के लड़के अधिकता है जो फोटो व सिग्नेचर की पहचान की तथा मेरे चाचा के मेली साथी वसीयत के अंतिम पृष्ठ पर हस्ताक्षर बनाए पर सब रजिस्टार समक्ष गवाह उपस्थित न होकर मेरे चचेरे भाई के मेली साथी अधिवक्ता सब रजिस्ट्रार के समक्ष उपस्थित होकर सिग्नेचर बनाए तथा मेरे बाबा वसीयत करने केसमय बीमार थे अर्थात वसीयत लिखने के समय जो गवाहथे वो पेश होकर अन्य दो अधिवक्ता रजिस्ट्रार के समक्ष पेश हुए ।क्या वसीयत मान्य होगी?
मेरे सगे चाचा ने अपनी पत्नी के नाम तथा अपने पिता से वसीयत लिखवा दी जिसमें मेरे चाचा के लड़के अधिकता है जो फोटो व सिग्नेचर की पहचान की तथा मेरे चाचा के मेली साथी वसीयत के अंतिम पृष्ठ पर हस्ताक्षर बनाए पर सब रजिस्टार समझ मे गवाह उपस्थित न होकर मेरे भाई के मेरी साक्षी अधिवक्ता सब रजिस्ट्रार के समक्ष उपस्थित होकर सिग्नेचर बनाए तथा मेरे बाबा व्रत के समय बीमार थे अर्थात वसीयत लिखने के समय ग वा ना पेश होकर आने दो लोग सब रजिस्ट्रार के समक्ष पेश हुए ।क्या वसीयत मान्य होगी?
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