पेंशन अटैचमेंट के विरुद्ध निषेधाज्ञा की राहत प्राप्त करने का प्रयत्न करे।
|राजीव ने पूर्णिया, बिहार से समस्या भेजी है कि-
हमरा फैमिली बिजनेस था जि सके लिए हम ने बैंक से लोन लिया था कैश क्रेडिट के माध्यम से कुल 15 लाख रू. बिजनेस में लगातार नुकसान के वजह से हमें बिजनेस बंद करना पड़ा सीसी के रकम में हम ने लगभग 10 लाख जमा कर दिया और बाकी की रकम टर्म लोन के रूप मे बदल दी गयी। बाकी रकम बॅंक ने 25000 की किस्त बांध दी। कुछ महीने ये रकम हमने अदा की परंतु बाद में परेशानी के कारण हमने इस मासिक रकम को 10,000 -15000 करने का आवेदन किया परंतु बैंक ने ऐसा करने से मना कर दिया। हमारी माता जी जो एक पेंशन प्राप्तकर्ता महिला हैं और सीसी अकाउंट में गारंटर थीं, उन के पेंशन अकाउंट को बैंक ने सीसी अकाउंट से अटैच्ड कर उनके पेंशन अकाउंट का पैसा सीसी अकाउंट में ट्रांस्फर कर दिया और अब प्रत्येक माह उनकी पेंशन राशि काट कर सीसी /टर्म लोन अकाउंट मे ट्रान्स्फर कर रहा है। कृपया बताएँ कि क्या मेरी माँ अपने पेशन को इस लोन अकाउंट से अलग करने की कोई प्रक्रिया कर सकती है और अपना पेन्शन फिर से प्राप्त कर सकती है?
समाधान-
आप ने अपनी समस्या में यह प्रकट नहीं किया कि आप की माताजी को किस तरह की पेंशन प्राप्त होती है। इस से पक्के तौर पर यह सुनिश्चित किया जाना संभव नहीं है कि आप की माताजी की पेंशन जिस खाते में जमा होती है उस खाते को अटैच किया जा सकता है या नहीं। लेकिन पेंशन अधिनियम 1871 की धारा 11 में यह प्रावधान है कि पेंशन को अटैच नहीं किया जा सकता है। इस प्रावधान का लाभ उठा कर आप की माताजी इस अटैचमेंट से मुक्ति प्राप्त कर सकती हैं।
आप की माताजी को चाहिए कि वे सिविल न्यायालय में इस अटैचमेंट के विरुद्ध स्थाई निषेधाज्ञा का वाद संस्थित करें और मांग करें कि आप की आप की माता जी के पेंशन खाते से किसी तरह की राशि की कटौती बैंक द्वारा न की जाए। इस के साथ ही इस वाद के निर्णय तक पेंशन की कटौती करने की प्रक्रिया को रोकने के लिए अस्थाई निषेधाज्ञा का आवेदन भी प्रस्तुत करें। इस सम्बन्ध में आप को दीवानी विधि के अच्छे जानकार वकील को सारा प्रकरण व दस्तावेज दिखा कर राय करनी चाहिए और अविलंब कार्यवाही करनी चाहिए।