पैतृक संपत्ति क्या है? क्या मुझे पिता को उन के पिता से उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्ति में अधिकार है?
|मनोज जी,
मुझे लगता है कि आप की माता जी ने अपनी स्थितियों को स्वीकार कर लिया है। ऐ आप की माता जी चाहती तो अपने लिए और अपनी संतानों के लिए हक लेने के लिए आप के पिता जी से लड़ाई लड़ सकती थीं लेकिन उन्हों ने ऐसा नहीं किया। सा लगता है कि उन्हों ने अपने पति से झगड़ा करने के स्थान पर स्वयं अपने पैरों पर खड़ा होना और अपनी संतानों को योग्य बनाने का साहस जुटाया कि आप आज इस प्रश्न को पूछने की स्थिति में आ गए हैं। आप की माताजी जैसी माताएँ प्रणम्य हैं।
आप ने बहुत अच्छा प्रश्न किया है। हिन्दु व्यक्तिगत विधि के अंतर्गत किसी भी पुरुष को अपने पिता,दादा या परदादा से उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्ति पैतृक संपत्ति कहलाती है और वह सदैव ही पैतृक संपत्ति रहती है। पैतृक संपत्ति पर तीन पीढ़ी के पुरुष उत्तराधिकारियों का जन्म से ही अधिकार होता है वे उस संपत्ति में अपने भाग के अधिकारी हो जाते हैं। इस तरह जो संपत्ति आप के पिता को उन के पिता से प्राप्त हुई है वह पैतृक संपत्ति है और आप को उस संपत्ति में जन्म से ही अधिकार है। जब तक उस संपत्ति का बंटवारा न हो जाए तब तक आप का अधिकार उस पर बना रहेगा। आप के पिता को इस संपत्ति को हस्तांतरित करने का अधिकार नहीं है जब तक कि उसे वे उस संपत्ति का बंटवारा न कर दें। इस तरह आप के पिता द्वारा उक्त संपत्ति का जो बेचान किया गया है वह विधिपूर्ण नहीं है।
वस्तुतः आप के पिता ने उक्त संपत्ति में आप के अधिकार का भी बेचान कर दिया जिस का आप के पिता को अधिकार नहीं था। आप इस बेचान के विरुद्ध न्यायालय में बेचान की जानकारी होने अथवा आप के वयस्क (18 वर्ष की उम्र के) होने की तिथि के तीन वर्षों की अवधि में न्यायालय में वाद प्रस्तुत कर सकते हैं। आप उक्त संपत्ति के बेचान को निरस्त करवा सकते हैं। इस के लिए आप को विक्रय पत्र के पंजीकरण को निरस्त करवाने के लिए तथा उक्त पैतृक संपत्ति के विभाजन और अपने हिस्से की संपत्ति का स्वामित्व एवं कब्जा या उस का मूल्य प्राप्त करने के लिए दीवानी वाद न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना होगा। आप की उम्र 20 वर्ष की हो चुकी है। आप को 18 वर्ष का हुए दो वर्ष व्यतीत हो चुके हैं। इस तरह आप के पास बहुत कम समय शेष है। आप यदि उक्त संपत्ति में अपना अधिकार प्राप्त करना चाहते हैं तो तुरंत
किसी दीवानी कानून में वकालत करने वाले अनुभवी वकील से मिलें और वाद दायर करें।
Mere papa or uncle ye sab 3 bhai hai or jisme se ek ke naam pe 3 shop hai woh ham 3 no ko barbar me mile. Hai par ab woh hamko wp jagah nahi dena chaahte hai patta unke naam hone ke karan ham kuch kr nhi pa rhe hai kya aise me hamko hamari jagah wapas mill sakti hai kya
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माननीय जी में आपसे जानना चाहताहूँ की मेरे पिता जीवित है और उनके नाम पर कुछ कृषि भूमि है जो की पैतृक सम्पत्ति है दादा जी की मौत ४५-५० साल पहले हो गयी थीं हम चार भाई है और मेरे पिता मुझे कोई हिस्सा नहि दे रहे तीनों भाइयों को दे रहे हैं और कुछ ज़मीन बेंच भी दी है क्या पिता के जीवित रहते हुए मेरे हिस्से की ज़मीन मेरे नाम हो सकती है और जो बेच चुके हैं उसमें भी हिस्सा मिल सकता है क्या में शादीशुदा हु और मेरे दो बच्चे भी हैं मैं उत्तर प्रदेश से हु कुछ लोगों का और वक़ील का कहना है कि पिता के जीते जीं आपको कोई हिस्सा ना नाम होगा और ना ही मिलेगा वो चाहे तो ज़मीन को बेचे या किसी को भी दे सकते हैं कहीं से कोई सही जानकारी नहीं मिल रही आप ही कोई सही जानकारी दे आपकी अति कृपया होगी
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मेरे दादा जी को उनके पिताजी के द्वारा खरीदी गई कृषि भूमि को हम दो भाई एक वसियत लिखी है मेरे
पिताजी की एक बहन है मेरे दादा जी ने अपनी लडकी को उनकी ईकचछा अनुसार कुछ कृषि भुमी
की वसियत की है लेकिन बह उस से सनतुषठ नही है क्या बसियत अनुसार हम उक्त भुमी का नाम आनतृण करा सकते है ।
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मेरे पिताजी एक वसीयत मेरे और मेरे भाई के नाम की थी जो सही नहीं है . पिताजी का देहांत हो चुक्का है माँ अभी जिन्दा है अब उस वसीयत को बदलकर दोनों भाई को बराबर जमीन का बटवारा कैसे होगा .
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जानकारी अच्छी लगी | ज़रा इस पर भी प्रकाश डालिए की यदि इनके पिताजी पैतृक सम्पति पर इनको बताए बगैर लोन लेते है और डिफाल्टर बन जाते है तो उस स्थिति में इनका क्या अधिकार व दायित्व बनता है |
बहुत अच्छी ओर उचित सलाह.
धन्यवाद
बहुत बढिया जानकारी.
रामराम.
यह तो आवश्यक विधिक सलाह दी आपनें ,धन्यवाद.
बहुत अच्छी जानकारी.