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पैतृक संपत्ति क्या है? क्या मुझे पिता को उन के पिता से उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्ति में अधिकार है?

मनोज सैनी पूछते हैं —

मेरे पिताजी मेरी सौतेली माँ के साथ रहते हैं और मैं और मेरी बहन अपनी माँ के साथ बीस साल से अलग रहता हूँ। मेरे पिता जी और मेरी माँ में तलाक नहीं हुआ है।  आज से आठ साल पहले मेरे पिता जी ने दादा जी के प्लाट को मेरी सौतेली माँ को बेचान कर दिया और उन के नाम रजिस्ट्री करवा दी। जिस का हमें अभी मालूम हुआ है। और उस प्लोट पर मेरी सौतेली माँ का कब्जा है। क्या मैं और मेरी माँ मेरे दादा जी की संपत्ति में से कानूनी रूप से कुछ ले सकते हैं? मेरे दादा जी का देहांत 23 वर्ष पहले हो गया था और उन्हों ने अपनी कोई वसीयत भी नहीं बनाई थी। मेरे पिताजी ने बीस साल से हमारी कोई मदद नहीं की, सब कुछ माँ ने ही किया है।

 उत्तर —

मनोज जी,
मुझे लगता है कि आप की माता जी ने अपनी स्थितियों को स्वीकार कर लिया है। ऐ आप की माता जी चाहती तो अपने लिए और अपनी संतानों के लिए हक लेने के लिए आप के पिता जी से लड़ाई लड़ सकती थीं लेकिन उन्हों ने ऐसा नहीं किया। सा लगता है कि उन्हों ने अपने पति से झगड़ा करने के स्थान पर स्वयं अपने पैरों पर खड़ा होना और अपनी संतानों को योग्य बनाने का साहस जुटाया कि आप आज इस प्रश्न को पूछने की स्थिति में आ गए हैं। आप की माताजी जैसी माताएँ प्रणम्य हैं।
प ने बहुत अच्छा प्रश्न किया है। हिन्दु व्यक्तिगत विधि के अंतर्गत किसी भी पुरुष को अपने पिता,दादा या परदादा से उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्ति पैतृक संपत्ति कहलाती है और वह सदैव ही पैतृक संपत्ति रहती है। पैतृक संपत्ति पर तीन पीढ़ी के पुरुष उत्तराधिकारियों का जन्म से ही अधिकार होता है वे उस संपत्ति में अपने भाग के अधिकारी हो जाते हैं। इस तरह जो संपत्ति आप के पिता को उन के पिता से प्राप्त हुई है वह पैतृक संपत्ति है और आप को उस संपत्ति में जन्म से ही अधिकार है। जब तक उस संपत्ति का बंटवारा न हो जाए तब तक आप का अधिकार उस पर बना रहेगा। आप के पिता को इस संपत्ति को हस्तांतरित करने का अधिकार नहीं है जब तक कि उसे वे उस संपत्ति का बंटवारा न कर दें। इस तरह आप के पिता द्वारा उक्त संपत्ति का जो बेचान किया गया है वह विधिपूर्ण नहीं है।

स्तुतः आप के पिता ने उक्त संपत्ति में आप के अधिकार का भी बेचान कर दिया जिस का आप के पिता को अधिकार नहीं था। आप इस बेचान के विरुद्ध न्यायालय में बेचान की जानकारी होने अथवा आप के वयस्क (18 वर्ष की उम्र के) होने की तिथि के तीन वर्षों की अवधि में न्यायालय में वाद प्रस्तुत कर सकते हैं। आप उक्त संपत्ति के बेचान को निरस्त करवा सकते हैं। इस के लिए आप को विक्रय पत्र के पंजीकरण को निरस्त करवाने के लिए तथा उक्त पैतृक संपत्ति के विभाजन और अपने हिस्से की संपत्ति का स्वामित्व एवं कब्जा या उस का मूल्य प्राप्त करने के लिए दीवानी वाद न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना होगा। आप की उम्र 20 वर्ष की हो चुकी है। आप को 18 वर्ष का हुए दो वर्ष व्यतीत हो चुके हैं। इस तरह आप के पास बहुत कम समय शेष है। आप यदि उक्त संपत्ति में अपना अधिकार प्राप्त करना चाहते हैं तो तुरंत
किसी दीवानी कानून में वकालत करने वाले अनुभवी वकील से मिलें और वाद दायर करें।

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