प्रेम कोई अपराध नहीं, मन से हर तरह का भय निकाल दें।
|समस्या-
संदीप ने उत्तम नगर,दिल्ली से समस्या भेजी है कि-
मेरा एक लड़की से रीलेशन था। वो मुझसे शादी भी करना चाहती थी। लेकिन उसके घर में मेरे बारे में पता लग गया और उसके मामा ने ओर माँ-बाप ने लड़की को डरा कर मुझ पर धारा 354 आईपीसी का मुकदमा दर्ज करवा दिया। क्योंकि हमारा रीलेशन इंटरकास्ट है ओर पुलिस भी उन्हीं का साथ दे रही है। जिस दिन एफआईआर हुई उस दिन भी बात हुई थी लेकिन शाम को ये जब हो गया, मैं उनके घर पे शादी की बात करने गया। उन्होने मुझे घर आने से पहले ये सब कर दिया। 2 महीने हो गये एफाईआर की कॉपी भी नहीं मिली थाने में जमानत हुई है। फोन भी जमा है। लड़की वालों को जब थाने में उसके मेरे बारे में पूरा सच पता चला तो वो केस वापस लेने की कहने लगे। पुलिस वाले मुझे ही डरा रहे हैं। अब मैं क्या करूँ?
समाधान-
संदीप जी, सब से पहले तो आप डरना बंद कर दीजिए। आप ने लड़की से प्रेम किया है तो करते रहिए। पुलिस ने जब थाने में जमानत ले ली है तो अब वह अधिक से अधिक न्यायालय में आरोप पत्र प्रस्तुत करेगी। वहाँ भी आप की जमानत हो कर मुकदमा चलेगा। मुकदमा लड़िए, अच्छा वकील कीजिए। मुकदमा फर्जी है तो एक दिन खारिज हो जाएगा। आप का प्रेम देख कर हो सकता है लड़की को भी हिम्मत आ जाए और वह अदालत में सच बोले और कहे कि मैं तो संदीप से विवाह करना चाहती हूँ। लेकिन अन्तर्जातीय होने के कारण मेरे परिवार वालों ने मुझे धमका कर यह मुकदमा चलाया है। हो सकता है वह खुद अदालत से कहे कि वह अब अपने माता पिता के साथ नहीं आप के साथ विवाह कर के रहना चाहती है मुझे और संदीप को सुरक्षा प्रदान की जाए।
जो मैं ने बताया वह अच्छी वाली संभावनाएँ हैं। यदि लड़की को हिम्मत न आई तो एक दिन यह मुकदमा खारिज हो जाएगा। लड़की का विवाह किसी दूसरे व्यक्ति के साथ हो जाएगा। आप उसे फिर भी प्रेमं करते रह सकते हैं। लेकिन इस का अर्थ यह नहीं कि आप किसी अन्य स्त्री से विवाह न करें, अपना घर न बसाएँ। बस आप के प्रेम में जो देह का मिलन था वही नहीं हो सकेगा। प्रेम में यह जरूरी भी नहीं। और यह भी किसी किताब में नहीं लिखा है कि एक व्यक्ति किसी एक से ही प्रेम करे। प्रेम का अर्थ दैहिक संबंध नहीं है। अंत में एक बार और कहूंगा कि आप ने कोई अपराध नहीं किया है इस कारण किसी भी तरह का भय मन से निकाल दें और समस्या का मुकाबला करें।
किसी किताब में नहीं लिखा है कि एक व्यक्ति किसी एक से ही प्रेम करे। प्रेम का अर्थ दैहिक संबंध नहीं है।
सही बात – प्रेम, विवाह व सेक्स तीनों अलग-अलग है। पर पता नहीं क्यों लोग प्रेम को सेक्स से जोड़कर देखते हैं, और प्रेम का का अर्थ sexual relation के अर्थ में लेते हैं।?