प्रेम विवाह कर आई स्त्री के पति का संयुक्त परिवार में हिस्सा है, वह सही कहती है कि यह घर उस का भी है।
विक्रांत ने अम्बाला (हरियाणा) से समस्या भेजी है कि-
मेरे भाई मैंने प्रेम विवाह किया है। जिसके कारण मेरे परिवार के हालात बहुत बिगड़ गए हैं क्यों कि जिस लड़की से मेरे भाई ने विवाह किया है वो तानाशाह है। उस की अत्यधिक तानाशाही से मेरे परिवार में पूरा असंतोष बना हुआ है। कृपया आप बताएँ कि क्या हम उसके कहीं जिम्मेदार हैं या लड़की के परिवार वाले कहीं जिम्मेदार हैं। हम इस समस्या से कैसे निजात पा सकते हैं। हम ने उन दोनों यानि मेरे भाई और उस लड़ की जिस से मेरे भाई ने शादी की है को क़ानूनी तौर पर बेदखल भी करना चाहा लेकिन वो लड़की कहती है कि मैं घर छोड़कर नहीं जाउंगी ये मेरा घर है। श्रीमान जी हमारा घर पुश्तैनी है मेरे दादा जी की मृत्यु हो चुकि है परंतु मेरी दादी जी अभी जीवित हैं। कृपया उपाय बताएँ। ये भी बताये क़ि क्या मेरा पुश्तैनी जमीन में कोई हिस्सा बनता है, अगर हाँ तो मैं उसे कैसे प्राप्त कर सकता हूँ?
समाधान-
दुनिया की ज्यादातर समस्याएँ समझ के फेर के कारण होती हैं। दिखने वाली अनेक समस्याएँ सिर्फ मिथ्या समस्याएँ होती हैं। उन के पीछे असल समस्या कुछ और होती है। आप अपनी समस्या पर विचार करें।
आप के भाई ने अपनी इच्छा से एक लड़की से प्रेम विवाह किया। उस में कुछ गलत नहीं है, ऐसा करने का उन दोनों को अधिकार है। आप का परिवार उस लड़की को और वह लड़की आप के परिवार को ठीक से समझ नहीं रहे हैं। दोनों एक दूसरे को अपना नहीं पा रहे हैं। परिवार समझता है यह उन के परिवार में एडजस्ट नहीं कर पाएगी। लड़की समझती है कि प्रेमविवाह के कारण परिवार चाहता है कि लड़की उन के साथ नहीं रहे। यह झगड़े का कारण है। यदि परिवार यह समझे कि अब यह लड़की परिवार का हिस्सा है उसे हम कैसे भी अपनाएंगे और लड़की यह समझे कि कोई उसे परिवार से अलग नहीं कर सकता तो समस्या कुछ ही समय में हल हो सकती है।
लेकिन आप के यहाँ उस का उलटा हुआ है। लड़की का कोई कानूनी दखल आप के परिवार में नहीं है सिवाय इस के कि उस का पति उस परिवार का हिस्सा है, आप ने उसे बेदखल करने का प्रयत्न किया है। इस बेदखली का कोई अर्थ नहीं है क्यों कि उस का संपत्ति में कोई दखल या अधिकार है ही नहीं। बेदखली की इस कोशिश ने समस्या को और गंभीर किया है।
आप ने उस लड़की को तानाशाह कह दिया। उस ने ऐसा क्या किया है जिस से उसे तानाशाह कहा जाए? इस बारे में एक भी तथ्य आप ने नहीं रखा है सिवा इस के कि वह इस घर को अपना कहती है। वैसे वह क्या गलत कहती है? क्या उस के पति के घर को अपना घर न कहे?
हमें लगता है कि आप के परिवार में सारा झगड़ा पुश्तैनी संपत्ति को ले कर है, चाहे वह घर हो या जमीन। यदि यह सारी संपत्तियाँ पुश्तैनी हैं तो परिवार के सभी सदस्यों का उस संपत्ति में अधिकार है। जिस का निर्धारण बँटवारे से हो सकता है। आप चाहें तो मिल बैठ कर संपत्तियों का बँटवारा कर लें। यदि मिल बैठ कर संभव न हो और आप अपना हिस्सा चाहते हों तो न्यायालय में बँटवारे का दावा करें। न्यायालय बँटवारा कर देगा। बंटवारे के बाद सब अपने अपने हिस्से में रह सकते हैं और उस का उपभोग कर सकते हैं। यह भी हो सकता है कि बँटवारे में हिस्से तय होने के बाद कुछ हिस्सेदार मिल कर रहें और कुछ अलग हो जाएँ।
इस झगड़े का कारण भाई की पत्नी को बताना गलत है। उस के पति का भी संयुक्त परिवार की इस संपत्ति में हिस्सा है और वह इस घर को अपना कहती है तो गलत नहीं कहती है। कम से कम उसे तानाशाह कहना छोड़िए और समझिए कि वह तब तक परिवार का अभिन्न हिस्सा है जब तक परिवार और उस की संपत्ति संयुक्त है और परिवार की संपत्ति का बँटवारा नहीं हो जाता।