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बँटवारा संयुक्त संपत्ति का ही संभव है।

joint family treeसमस्या-

प्रणय कुमार ने लश्कर, मध्य प्रदेश से समस्या भेजी है कि-

मारे नाना के ३ बेटे हैं और ४ बेटियां हैं, उनकी उम्र ९० वर्ष है। नानी का स्वर्गवास हो गया है। नाना ने अपने जीवनकाल में लगभग ५० वर्ष पहले संपत्ति खरीदी थी और बड़े लड़के के १८ वर्ष का होने पर बंटवारे कर दिए थे। बंटवारे में किसी को कम और किसी को ज्यादा हिस्सा मिला था। उनके बीच वाले बेटे के हिस्से में जो मकान आया था वो बिक गया उसके पैसे नाना बोलते हैं उन्होंने रख लिए क्योंकि वो बार बार पैसे की डिमांड करता था। उनका बड़ा बेटा बाहर नौकरी करके अब वापस पिता के पास आ गया है क्योंकि उसकी पत्नी की १६ वर्ष पहले एक्सीडेंट में मृत्यु हो गयी थी। वो अपने हिस्से में रहते हैं और साथ में छोटा बेटा भी रहता है। छोटे बेटे के पास सबसे ज्यादा संपत्ति का हिस्सा मिला है। बीच वाले बेटे ने अपने बड़े भाई के हिस्से की दुकान और मकान घेर रखी है। नाना का बड़ा बेटा रिटायर होने के बाद अपना काम शुरू करके जीवन गुजरना चाहता है और घर की सेवा व पिता के बाथरूम वगैरा की सफाई भी मन से करता है। नाना का बीच वाला बेटा कहता है कि वो तब बड़े भाई को दूकान वगैरा देगा जब नाना की पूरी प्रॉपर्टी के नए सिरे से बराबर हिस्से होएंगे। सब कुछ होते हुए भी घर में सुख का आभाव है। नाना के दामादों की भी प्रॉपर्टी में इंटरेस्ट है जबकि बेटियों के हिस्से को नाना ने शादी में लगा दिया था। कुछ कृपा करके रास्ता सुझाएंगे ताकि एक अच्छा परिवार सुसंस्कृत रह सके और अपने सामर्थ्य के अनुसार न्यायपूर्वक जीवन यापन कर सकें?

समाधान –

प के नाना का बीच वाला बेटा जो कुछ कहता है वह सही कहता है। आप की इस समस्या का एक ही हल है कि परिवार की संपत्ति का बँटवारा न्यायालय के माध्यम से हो। लेकिन सारी संपत्ति नाना की स्वअर्जित है और नाना अभी जीवित हैं। किसी व्यक्तिगत संपत्ति का तो बँटवारा नहीं हो सकता। पूर्व में नाना ने जो बँटवारा किया वह केवल संपत्ति के विभिन्न भागों पर कब्जे और उपभोग संबंधी बँटवारा था स्वामित्व का बँटवारा नहीं था। नाना ने बीच वाले बेटे को जो कुछ दिया था उसे बेच कर धन खुद रख लिया। वस्तुतः यह नाना द्वारा बेटे को उपभोग के लिए दी गई संपत्ति का दुरुपयोग रोक कर उसे वापस अपने पास करने का नाना का तरीका था। नाना जब तक जीवित हैं इस सम्पति के किसी भाग या पूरी संपत्ति के संबंध में वसीयत कर सकते हैं, यह उन का अधिकार है। हाँ जब नाना नहीं रहें तब शेष सदस्य उन्हें उत्तराधिकार में प्राप्त संयुक्त सम्पत्ति का बँटवारा कर सकते हैं।

ब इस के लिए परिवार का कोई सदस्य दीवानी न्यायालय में संपत्ति के विधि अनुसार बँटवारे कि लिए वाद संस्थित करना होगा। परिवार के सभी अन्य सद्स्यों को विपक्षी पक्षकार बनाना होगा। न्यायालय विधि अनुसार प्रत्येक सद्स्य की संपत्ति के हिस्से तय करते हुए प्राथमिक डिक्री पारित कर देगा। हिस्से तय होने के बाद चाहें तो परिवार के सदस्य आपस में तय कर लेंगे कि कौन सा सदस्य कौन सा हिस्सा रखेगा। तय नहीं कर पाएंगे तो कोई भी सदस्य संपत्ति में से उस का हिस्सा अलग से तय कर के उस का व्यक्तिगत कब्जा प्राप्त करने के लिएन्यायालय में आवेदन दे कर न्यायालय से अंतिम डिक्री पारित करवा सकता है।