बच्चे की अभिरक्षा उस के हितों को सर्वोपरि देख कर ही माँ या पिता को प्राप्त होगी।
|पवन ने हरिद्वार उत्तराखंड से पूछा है-
मेरा विवाह नवंबर 2009 में एक पढ़ी लिखी (BA BEd पास) मेरठ उत्तर प्रदेश की रहने वाली अनामिका के साथ हिन्दू रीतिरिवाज के अनुसार हरिद्वार उत्तराखंड में संपन्न हुआ था। वह शुरू से ही मुझे व मेरे परिवार वालों को परेशान करती थी, शादी के दो माह बाद गर्भवती होने पर वह जिद करके मायके चली गई और वहां जाकर मुझे सूचना दिए बगेर बिना मेरी इच्छा व अनुमति के उसने अपना गर्भपात करवा लिया। इसके बाद कुछ समय ठीक चला लेकिन दिसम्बर 2010 मायके जाकर अपने के पिता के घर से उसने दहेज़ मांगने व दहेज़ के लिए परेशांन करने का आरोप लगाते हुए एक पत्र मेरे पिताजी के पास भेजा था जिसकी एक एक नक़ल महिला आयोग उत्तराखंड ,वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरिद्वार व समाचार पत्र को भेजनी बताई थी। मैंने तब वकील की सलाह पर तलाक का एक वाद स्थानीय परिवार न्यायालय में दायर कर दिया था। लेकिन कुछ समय बाद ही एक मध्यस्थ के माध्यम से समझौते के बाद मेरी पत्नी घर आकर मेरे माता पिता से अलग रहने लगी तलाक के केस में कोई कार्यवाही नहीं हुई थी। दिसम्बर 2011 में हमारे बेटा होने के बाद मेरी पत्नी फिर मेरे साथ बुरा व्यवहार करने लगी व मुझे मरने मारने की धमकी देने लगी। वह मेरे व मेरे बेटे का कोई ख्याल नहीं रखती थी, केवल टीवी आदि में लगी रहती थी। घर की शांति के लिए मैं सब कुछ सहता रहा। इसके बाद उसने एक स्कूल में पढ़ाना शुरू कर दिया तथा बेटे को मेरे या मेरे माता पिता के पास सुबह सात बजे से रात के दस बजे तक छोड़ कर मस्त रहने लगी। लेकिन केवल तीन माह में ही उसने नौकरी छोड़ दी। अगस्त 2014 से अप्रैल 2015 के बीच वह कई बार मेरे कार्यस्थल में लड़ाई झगडे करने के लिए गई और वहां उपस्थित मेरे सहयोगियों व बाहरी व्यक्तियों के सामने मुझसे गाली गलौज की और सितम्बर 2014 में महिला हेल्प लाइन हरिद्वार में उसने मेरे विरुद्ध शिकायत कर दी कि मैं ध्यान नहीं रखता हूँ व उसे जरुरी सामान नहीं लाकर देता हूँ। महिला हेल्प लाइन में मुझे व उसको समझा बुझा कर केस समाप्त कर दिया। इसके बाद 7 अप्रैल 2015 में मुझे परेशान करने के लिए महिला हेल्प लाइन में फिर से उसी प्रकार की शिकायत कर दी। 20 दिनों तक मुझे वहा बुलाया गया लेकिन परिणाम इसकी इच्छा के मुताबिक न होने पर इसने हेल्प लाइन में यह कह कर की आगे की कार्यवाही मैं अपने मायके मेरठ से करुँगी ये केस बंद हो गया। 30 अप्रैल को वह मेरे बेटे रुपेश को लेकर मेरे घर से मेरी अनुपस्थिति में कमरों में ताले लगा कर चली गईं। मेरा बेटा प्री नर्सरी पढ़ चुका था और उसका एडमिशन LKG में करवा दिया था। पर सब बेकार गया वह मुश्किल से 6 दिन स्कूल गया और उसकी माँ उसे लेकर चली गई। उसने मेरा फोने उठाना भी बंद कर दिया, फिर मैंने रुपेश की तबियत व स्कूल में अनुपस्थिति व नाम काटने की चिंता जताते हुए Whatapp पर मेसेज भी भेजे लेकिन कोई जवाब नहीं मिला और उसने मुझे ब्लोक कर दिया। मैं मजबूर होकर चुप बैठ गया क्योंकि उसके पिता इंडियन आर्मी के बहुत बड़े अफसर है और वे मुझे कई बार गली गलौज तथा मारने की धमकी दे चुके हैं। मेरी पत्नी 1 साल 3 माह से बेटे के साथ मायके में है अब मैं अपनी पत्नी को तलाक देना चाहता हूँ और बेटे की कस्टडी लेना चाहता हूँ।| मेरे प्रश्न ये हैं 1. क्या मैं उन कमरों के ताले तोड़ कर उन्हें इस्तेमाल कर सकता हूँ?
- मैं अपने बेटे से मिलना चाहता हूँ तो में क्या कानूनी प्रक्रिया अपनाऊँ जिससे मैं अपने बेटे से हर महीने मिल सकूँ। क्योंकि मेरा अपनी पत्नी और उसके घरवालो से कोई संवाद नहीं है न ही कोई बीच में बात करने वाला बिचौलिया है?
- मुझे मेरे बेटे जिसकी उम्र 4 वर्ष 9 माह है की कस्टडी कैसे ले सकता हूँ?
- मैं अपनी पत्नी से कैसे तलाक ले सकता हूँ?
- क्या मेरी पत्नी अब भी मेरे या मेरे परिवार पर 498(A), घरेलू हिंसा, या कोई अन्य केस फाइल कर सकती हे जेसे उसको गये हुए 1 साल से ऊपर हो गया है?
समाधान-
आप की समस्या का हल तो तलाक ही है। तलाक लेने के लिए आप को आधार चाहिए। एक आधार तो यही है कि वह एक वर्ष से अधिक से आप से अलग निवास कर रही है। इस के अतिरिक्त जो कुछ उस ने किया है वह क्रूरता की श्रेणी में आता है। इस कारण दो मजबूत आधार आप के पास हैं। आप किसी भी वकील से मिल कर उन्हें तथ्य बता कर और आपसी विचार विमर्श करते हुए तलाक का एक मजबूत मुकदमा प्रस्तुत कर सकते हैं। इसी मुकदमे को पेश करने के उपरांत आप उसी न्यायालय में हर माह अपने बेटे से मिलने और उस की कस्टडी के लिए आवेदन कर सकते हैं।
बच्चे की कस्टड़ी का आधार बच्चे का हित होता है। इस के लिए आप को यह साबित करना होगा कि बच्चे का हित उस की माँ के साथ नहीं बल्कि आप के साथ है और उस की माँ उस की परवरिश ठीक से नहीं कर पा रही है। यदि आप यह साबित कर सके तो आप को पुत्र की कस्टड़ी मिल जाएगी।
कोई भी मुकदमा करने के लिए कुछ नहीं करना पड़ता है। आप वकीलों से जा कर कहें दीजिए कि मुझे फलाँ व्यक्ति के विरुद्ध मुकदमा करना है, उसे परेशान करना है। तो आप को कुछ वकील तो ऐसे भी मिल जाएंगे जो पूरी कहानी और तथ्य खुद गढ़ लेंगे। इस कारण यह बिलकुल नहीं कहा जा सकता कि आप की पत्नी आपके विरुद्ध कौन से मुकदमे कर सकती है या करेगी। वह किसी भी तरह का मुकदमा आप के विरुदध कर सकती है। हाँ आप ने इस तरह के मुकदमों में पैरवी ठीक से कराई और सतर्क रहे तो किसी मुकदमे में आप की पत्नी को सफलता प्राप्त नहीं होगी।
में अभी अपनी तरफ से तलाक का केस न करना चाहू तो क्या में अपने बेटे से मिलाने के लिए Habeas Corpus(बंदी प्रत्यक्षीकरण) में केस कर सकता हु|
अगर कर सकता हु तो केसे इसके लिए मुझे कुछ एविडेंस चाहिए क्या ओर में ये कहा कर सकता हु अगर आप बता सके इसके बारे में ओर कोई ओर तरीका जिसे में अपने बेटे से मिल सकू बात कर सकू |
धन्यवाद