बहिनों के हिस्से की भूमि पर उन के उत्तराधिकारियों का पूरा अधिकार है।
समस्या-
मण्डावा, जिला झुंझुनूं, राजस्थान से गोपाल सिंह चौहान ने पूछा है –
हमारी एक गैर खातेदारी कृषि भूमि जो मण्डाव, जिला, झुंझुनूं, राजस्थान में लगभग 9 हैक्टेयर के लगभग है। उक्त भूमि मेरे पिताजी को विरासत में मिली है। मेरे दादाजी ने कोई वसीयत नहीं लिखी थी। मेरे दादाजी के देहान्त के बाद मेरे पिताजी व मेरी दो बुआओं (मेरे पिताजी की बहिनों) के नाम उक्त कृषि भूमि में दर्ज हैं। मेरे पिताजी व मेरी दोनों बुआओं का देहान्त हो चुका है। अत: हम सभी भाई बहिनों ने अपना नाम दर्ज करवा दिया है। परन्तु मेरी दोनो बुआओं के नाम अब भी इस भूमि खाते में दर्ज हैं और मेरी बुआओं के वारिस अपने हक की मांग कर बेचान करने का विचार कर रहे हैं। क्या मेरे बुआओं के वारिस उक्त कृषि भूमि में अपना हक रखते हैं? जबकि मेरे पिताजी द्वारा समय समय पर भात, छुछक व वक्त समय आर्थिक सहायता भी प्रदान की गई है।
समाधान-
हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम एवं राजस्थान टीनेंसी एक्ट के अनुसार आप की बुआओं के हिस्से की कृषि भूमि में उन के उत्तराधिकारियों का अधिकार है। आप के पिता जी के उत्तराधिकारी यदि चाहें तो खाते का विभाजन करवा कर अपना हिस्सा अलग कर सकते हैं। यदि आप के पिता के और बुआओं के उत्तराधिकारी चाहें तो पूरी भूमि को विक्रय कर के उस का धन आपस में बाँट सकते हैं। एक विकल्प यह है कि आप के पिता जी के उत्तराधिकारी भूमि में बुआओं के हिस्से की कीमत उन के उत्तराधिकारियों को अदा कर के खरीद लें और उन से अपने हक में हकत्याग विलेख (Release Deed) निष्पादित करवा कर उसे उप पंजीयक के यहाँ पंजीकृत करवा लें तथा उस के आधार पर उन के हिस्से की भूमि का नामान्तरण अपने नाम करवा लें। इस तरह आप के पिता जी के उत्तराधिकारी पूरी भूमि का स्वामित्व प्राप्त कर सकते हैं।
इस के अतिरिक्त यह विकल्प भी मौजूद है कि आप की बुआ के उत्तराधिकारी भूमि में उन के हिस्से को किसी को भी विक्रय कर दें। खरीददार इस तरह आप के पिता जी के उत्तराधिकारियों के साथ संयुक्त स्वामी हो जाएंगे। जब भी क्रेता चाहेंगे तब विभाजन करवा कर अपना हिस्सा प्राप्त कर लेंगे।
आप का यह कहना कि पिताजी द्वारा समय समय पर भात, छुछक व वक्त समय आर्थिक सहायता भी प्रदान की गई है। इस कानून पर कोई प्रभाव नहीं रखता। आप यह सोचें कि आप के पिता जी और उन के उत्तराधिकारी आज तक आप की बुआओं के हिस्से की जमीन पर खेती कर के उस का लाभ प्राप्त करते थे और आप के पिताजी द्वारा समय समय पर भात, छुछक व वक्त समय आर्थिक सहायता करने में खर्च की गई राशि बुआओं के हिस्से की जमीन पर खेती करने के बदले उस के मुनाफे की राशि से ही निकाली गई है। जमीन पर तो अभी भी उन का हक बना हुआ है।
आपका यथा समय पर मेरे द्वारा चाहा गया कानूनन मार्ग दर्शन बहुत ही सरल व अलग- अलग बिन्दुओ पर मेरे चाहे अनुसार पूर्ण जानकारी देकर कर मुझ प्रार्थी को अनुग़ृत किया इसके लिए मैं आपका शुक्रगुजार हूँ। मैं आपकी और आपकी इस साईड का उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।
सर नमस्ते,
में धीरज परावर्तित नाम (स्वप्निल) आपसे यह सवाल पुचना चाहता हु की मेरी पुश्तेनी जमीन जबलपुर में है, और मेरे ४ बड़े पापा और २ बुआ है,टोटल मिला कर मेरे पापा और भाई बहन 5 भाई और २ बहन है. मेरे पापा सहित २ और भाईयो का देहांत हो चूका है.और दादी अभी जिन्दा है.मेरा सवाल यह है की मेरे दादा जी ने दो भाइयो मतलब मेरे २ बड़े पापा के नाम पर उन्होंने ११,०००/११,००० हजार स्कारेफीत जमीन वसीयत कर दी थी,तथा उनकी और भी जमीन है.जो की उन्ही के द्वारा खरीदी गई थी,और कोई भी वसीयत नहीं करी है. मेरी दादी भी दोनों बड़े पापा के लडको को ही देना चाहती है.उसका कारन यह है की वो घर के बड़े लड़के है.और उन्होंने पूरी तरह से दादी को अपनी तरफ कर के रखा है.में आपसे यह जानना चाहता हु की क्या मेरी दादी को अधिकार है.की वो दादा द्वारा खरीदी गई जमीन की वसीयत कर सकती है.और मेरा नाती होने के कारन कोई अधिकार है या नहीं…..
सर मेरा मार्गदर्शन कीजिये की मुचे क्या करना चाहिए….मेरा पूरा परिवार आपका जीवन भर आभारी रहेगा………………….