भरण पोषण के मुकदमे और तलाक का मुकदमा अलग अलग हैं . . .
|समस्या-
अहमदाबाद, गुजरात से परेश ने पूछा है –
मेरी शादी मई-2003 में हुई थी। मेरी पत्नी मार्च-2004 से उस के मायके में रह रही है। हमारे घर पर ग़लत आरोप लगा कर और मेरे घर को बदनाम करके चली गई है। हम कई बार उसको लेने भी गये पर वह वापिस नहीं आई। जनवरी-2012 को हमारे समाज के कुछ लोग बीच मे पड़ के मेरी पत्नी को मेरे घर ले आए। लेकिन वह दूसरे दिन सुबह तो चली गई। बोलती है कि तुम्हारे माता पिता से अलग रहो तो मैं आप के साथ रहूंगी। मैं अपने माता पिता से अलग रहना नहीं चाहता। अब मेरी पत्नी ने गुजरात क़ानूनी सत्ता मंडल में अर्जी प्रस्तुत की है कि मैं आपके घर आना चाहती हूँ। पर अब उस पर मुझे विश्वास नहीं रहा है। इसीलिए मैं ने मार्च-2013 में फॅमिली कोर्ट में तलाक़ की अर्जी दे दी है। इसीलिए पत्नी ने मुझ पर धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता और घरेलू हिंसा के केस कर दिए हैं। घरेलू हिंसा के मामले की पहली तारीख 30 नवम्बर 2013 है। मैं जानना चाहता हूँ कि पत्नी ने मुझ पर धारा 125 और घरेलू हिंसा के केस लगाए हैं तो क्या मुझे दोनों केस में भरण पोषण देना पड़ेगा? अगर मैं एक मामले में भरण पोषण देता हूँ तो क्या मुझे तलाक़ मिल सकता है?
समाधान-
भरण पोषण के मुकदमों और तलाक का मुकदमा अलग अलग हैं। भरण पोषण के मुकदमों में होने वाले आदेशों का तलाक के मुकदमे के निर्णय से कोई संबंध नहीं है। आप ने तलाक का मुकदमा किया है। इस मुकदमे में भी आप की पत्नी उपस्थित होते ही भरण पोषण व न्यायालय व्यय चाहने के लिए धारा 24 हिन्दू विवाह अधिनियम का आवेदन प्रस्तुत कर सकती है। इस तरह भरण पोषण के लिए आप के विरुद्ध तीन आवेदन हो सकते हैं। आप के विरुद्ध तीनों आवेदनों पर सुनवाई भी होगी। आप को तीनों आवेदनों के उत्तर में अन्य तथ्यों के साथ साथ यह भी लिख कर देना चाहिए कि पत्नी ने भरण पोषण के लिए दो न्यायालयों में अन्यत्र भी भरण पोषण के लिए आवेदन किया है। जब एक मुकदमे में भरण पोषण देने का आदेश हो जाए तो उस आदेश की प्रमाणित प्रतियाँ प्राप्त कर आवेदन के साथ अन्य दो मुकदमों में प्रस्तुत करें जिस से उस न्यायालय को यह ज्ञान हो जाए कि एक अन्य न्यायालय ने पहले ही भरण पोषण का आदेश पारित कर दिया है। वैसी स्थिति में वह न्यायालय इस बात पर विचार करेगा कि जब पत्नी को पहले मुकदमे में जो भरण पोषण दिलाया गया है वह पर्याप्त है अथवा नहीं है। यदि न्यायालय उसे पर्याप्त मानता है तो दूसरे और तीसरे मुकदमे में किसी तरह की भरण पोषण राशि नहीं दिलाएगा। लेकिन उसे लगता है कि यह अपर्याप्त है तो वह यह आदेश दे सकता है कि पहले न्यायालय द्वारा दिलाई गई राशि पर्याप्त नहीं होने से अप्रार्थी को यह आदेश दिया जाता है कि वह इतनी राशि प्रतिमाह और अदा करे। इस तरह तीन न्यायालयों में भरण पोषण की कार्यवाही होने पर भी आप को भरण पोषण की राशि पर्याप्त से अधिक नहीं देनी होगी। इस कारण से वह आप की चिन्ता का प्रमुख विषय नहीं होना चाहिए।
चूंकि आप की पत्नी एक लंबे समय से आप से अलग रही है और समाज के लोगों द्वारा ले आने के बाद भी सिर्फ एक रात रुक कर वापस चली गई है। उसे भी एक वर्ष से अधिक हो गया है। इस तरह उस का आप को सिर्फ इस कारण से अलग रखना कि आप माता-पिता से अलग रहें किसी तरह उचित नहीं है इस कारण से आप को न्यायालय से तलाक की डिक्री प्राप्त हो सकती है।
mery Salary net 13,000 PM hai.tu muje kitna bharan poshan dena padega ?