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भारत की अदालतों में तीन करोड़ दो लाख से अधिक मुकदमे लंबित

तीसरा खंबा को पूरे साल पाठकों का खूब समर्थन हासिल हुआ। इस के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद!
आगे भी तीसरा खंबा को ऐसा ही समर्थन पाठकों का मिलता रहेगा और पाठकों के सुझाव भी कि वे तीसरा खंबा को किस रूप में देखना चाहते हैं? क्या उन की अपेक्षाएँ हैं? जिस से तीसरा खंबा को पाठकों की जरूरत और आकांक्षाओं के अनुरूप बनाया जा सके।

सभी पाठकों को तीसरा खंबा की ओर से …
नव वर्ष पर हार्दिक शुभ कामनाएँ !

चलते चलते …
भारत की अदालतों में लम्बित मुकदमों और उन के निस्तारण के संबंध में सब से ताजे आंकड़े …..

  • भारत की अदालतों में  कुल तीन करोड़ दो लाख सत्तर हजार से अधिक मुकदमे लंबित हैं। लेकिन इन में राजस्व अदालतों, ट्रिबुनल. उपभोक्ता अदालतों, श्रम और सेवा अदालतों आदि के मुकदमे शामिल नहीं हैं 
  • सर्वोच्च न्यायालय में 1 नवंबर 2008 को 49,263 मुकदमे लंबित थे। 
  • उच्च न्यायालयों में 30 सितम्बर 2008 तक 30 लाख 81 हजार 53 दीवानी और 7,54,006 फौजदारी मुकदमे लंबित थे। 
  • निचली अदालतों में 30 सितम्बर 2008 तक कुल 74 लाख 92 हजार 840 दीवानी और 1,88,97,279 फौजदारी मुकदमे लंबित थे। 
  • सर्वोच्च न्यायालय ने 2006 में 56540, 2007 में 61489 और 2008 में 31.10.2008 तक 56540 मुकदमों का निस्तारण किया। 
  • उच्च न्यायालयों ने 2008 के पहले नौ माह में  11,98,510 मुकदमों का निस्तारण किया। 
  • निचली अदालतों ने 2008 के पहले नौ माह में 1,14,22,486 मुकदमों का निस्तारण किया।
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