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भारत में परिजनों की इच्छा के विरुद्ध विशेष विवाह अधिनियम में विवाह करना आसान नहीं है।

rp_MARRIAGE-REGISTRAR-300x191.jpgसमस्या-

कृति गुप्ता ने कानपुर उत्तरप्रदेश से पूछा है-

मेरी उम्र 25 वर्ष है मैं हिन्दू परिवार से हूँ। मैं एक मुस्लिम लड़के से प्यार करती हूँ और उस से विवाह करना चाहती हूँ। उस की उम्र 28 वर्ष है। उस का परिवार तो इस विवाह के लिए तैयार है लेकिन मेरा परिवार तैयार नहीं है। हम दोनों कोर्ट मैरिज करना चाहते हैं। समस्या यह है कि 30 दिन का जो नोटिस घर भेजा जाता है उसे मैं घर में सभी को हमारे विवाह करने की सूचना मिल जाएगी। इस से मेरे परिवार वाले लड़के व उस के परिवार के साथ कुछ भी बुरा कर सकते हैं। कृपया सुझाव दें कि मैं कोर्ट मैरिज कैसे करूँ जिस से विवाह के पूर्व मेरे परिवार वालों को पता नहीं लगे।

समाधान-

भारत में कोर्ट मैरिज का तात्पर्य विशेष विवाह अधिनियम की धारा 5 के अन्तर्गत सम्पन्न होने वाले विवाह से है। इस अधिनियम के अन्तर्गत विवाह करने वाले स्त्री पुरुष किसी भी धर्म के धर्मावलंबी हो सकते है और यह भी हो सकता है कि वे किसी धर्म के धर्मावलंबी न हों। धर्म की दीवार तोड़ कर विवाह करने वालों के लिए यही सब से उपयुक्त और उचित रीति है। भिन्न धर्मों के स्त्री पुरुष अपने अपने धर्मों का त्याग न कर के उन के धर्मावलम्बी बने रह कर भी इस अधिनियम के अन्तर्गत विवाह संपन्न कर सकते हैं। इस विवाह के अन्तर्गत जिला विवाह अधिकारी जो कि आम तौर पर जिला कलेक्टर होता है विवाह को पंजीकृत कर प्रमाण पत्र जारी करता है।

इस अधिनियम के अंतर्गत विवाह हेतु इक्कीस वर्ष की आयु पूरी  कर चुका कोई भी लड़का तथा अठारह वर्ष की आयु पूरी कर चुकी  कोई भी लड़की निर्धारित प्रारूप में एक प्रार्थना-पत्र  [शपथ-पत्र  एवं आयु और निवास के प्रमाण सहित] निर्धारित शुल्क अदा करते हुए जिला विवाह  अधिकारी  के समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं। विवाह अधिकारी इस आवेदन को प्राप्त करने के बाद तीस दिन का समय देते हुए उस विवाह के सम्बन्ध में आपत्ति की अपेक्षा करते हुए नोटिस जारी करते हैं। यदि तीस दिन के अन्दर उस विवाह के खिलाफ कोई आपत्ति प्राप्त नहीं होती है तो विवाह अधिकारी संतुष्ट होने के उपरांत विवाह संपन्न कराते हैं। विवाह की इस प्रक्रिया के समय  विवाह के दोनों पक्षकारों और तीन गवाहों के हस्ताक्षर कराये  जाते हैं और विवाह प्रमाण-पत्र जारी कर दिया जाता है। इस विवाह की विधिक मान्यता के लिए यह भी आवश्यक है कि लड़का और लड़की प्रतिषिद्ध सम्बन्ध की कोटि में न आते हों, वे पागल या जड़ न हों तथा उनकी पहले से कोई जीवित पत्नी या पति न हो। यदि इस विवाह के नोटिस के बाद कोई आपत्ति प्राप्त होती है तो विवाह अधिकारी उस आपत्ति के निस्तारण के बाद ही विवाह की कार्यवाही संपन्न कराते हैं।

जिन मामलों में दोनों पक्षकारों के परिवारजन विवाह के विरुद्ध हों उन्हें  विवाह संपन्न हो सकने की अवधि के तीस दिन पहले जारी नोटिस से इस की जानकारी प्राप्त हो जाती है और यदि वे सामाजिक रूप से शक्ति संपन्न हैं तो किसी भी तरह से इस विवाह को होने से रोक सकते हैं। कई बार यह भी देखा गया है कि खुद विवाह अधिकारी के कार्यालय में कार्यरत साम्प्रदायिक विचार रखने वाले लोग उत्तेजना फैलाने का कारण बनते हैं और ऐसे विवाह को असंभव बना देते हैं। इस मामले में आप की शंका जायज और वास्तविक है। अन्तर्धार्मिक विवाह को ले कर तो समाज में साम्प्रदायिक उत्तेजना फैलाई जा कर उसे एक बड़े बलवे तक का रूप दिया जा सकता है।

इस अधिनियम में नोटिस का जारी किया जाना भारत की सामाजिक परिस्थितियों के कारण वयस्क स्त्री-पुरुष का अपनी इच्छा से विवाह करने के मार्ग में बाधा है। जब तमाम आपत्तियों के सम्बन्ध में सभी तरह के पुष्ट प्रमाण विवाह करने वाले स्त्री-पुरुष द्वारा विवाह अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किए जा चुके होते हैं। आम तौर पर यह अधिकारी जिला कलेक्टर होता है जो कि सब तरह से शक्ति संपन्न होता है, स्वयं अपने तरीके से दोनों के द्वारा प्रस्तुत की गयी जानकारी की गोपनीय रुप से पुष्टि कर सकता है, वैसी स्थिति में नोटिस के इस प्रावधान को इस अधिनियम से समाप्त किया जाना चाहिए। लेकिन किसी भी सामाजिक संगठन या राजनैतिक पार्टी ने इस मामले में कभी कोई आवाज नहीं उठाई है।

यदि आप दोनों विवाह करना चाहते हैं तो सब से बेहतर तरीका वही है जो धर्मेन्द्र और हेमा मालिनी ने किया। उन्हों ने मुस्लिम विधि के अन्तर्गत एक काजी के समक्ष जा कर निकाह किया और बाद में उस का पंजीयन करा लिया। यही काम सार्वदेशिक आर्य सभा के मंदिर में जा कर किया जा सकता है। इन दोनों विधियों में कम से कम एक पक्ष को धर्म परिवर्तन करना पड़ता है। देश में इन विधिक स्थितियों के अन्तर्गत स्वेच्छा से अपने परिजनों की इच्छा के विपरीत विवाह करने वाले स्त्री-पुरुषों को न चाहते हुए भी अपने धर्म परिवर्तित करने पड़ते हें। यही हमारे इस स्वतंत्र धर्मनिरपेक्ष देश की कहानी है।

इस कहानी के बीच हमारी आप को सलाह है कि आप इस तरह के फोरम के स्थान पर किसी स्थानीय भरोसेमंद अनुभवी वकील से सलाह करें। वह तमाम कानूनों की रोशनी में आप को कोई मार्ग सुझा सकता है जिस से आप विशेष विवाह अधिनियम में विवाह कर सकते हैं। इस सार्वजनिक मंच पर उस तरह की व्यक्तिगत सलाह देना उचित नहीं है उस से भी आप को हानि हो सकती है।