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माँ की निर्वसीयती संपत्ति में अधिकार के लिए पुत्र को बँटवारे का वाद प्रस्तुत करना चाहिए।

समस्या-

छतरपुर, मध्यप्रदेश से जितेन्द्र गुप्ता ने पूछा है-

मेरी दादी के नाम पर दो मकान हैं।  उन में से एक मे मेरे छोटे चाचा रह्ते हैं और  एक में बडे चाचा।  मेरी दादी का देहान्त 2010 में हो गया था और वह सम्पति को नहीं बाँट गयी तो आप ये बताएँ कि उन मकान में मेरे पापा का नाम कैसे जुडेगा?

समाधान-
Joint propertyकिसी भी स्त्री की संपत्ति उस की निजि संपत्ति होती है। स्त्री की निर्वसीयती संपत्ति हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के उपबंधों के अनुसार उत्तराधिकार में जाती है। आप ने नहीं बताया कि दादी के देहान्त के समय आप के दादा जीवित थे या नहीं। आप ने यह भी नहीं बताया कि दादी की कुल कितनी संतानें (पुत्र और पुत्रियाँ) हैं। किसी भी स्त्री की संपत्ति उत्तराधिकार में सब से पहले उस के पति और पुत्र-पुत्रियों को प्राप्त होती है।  यदि किसी पुत्र या पुत्री की पहले मृत्यु हो चुकी हो तो उस मृत पुत्र पुत्री का हिस्सा उस के पुत्र पुत्रियों को प्राप्त होता है।

दि आप के दादी की मृत्यु के समय आप के दादा जीवित नहीं थे तो दादी की संपत्ति उन के पुत्र पुत्रियों में समान रूप से बँटेगी। यदि दादा जीवित होते तो एक समान हिस्सा उन्हें मिलता। इस कारण से किसी मकान में निवास करने के आधार पर निवासी उत्तराधिकारी को वह मकान नहीं मिलेगा। इस के लिए या तो सभी उत्तराधिकारी मिल बैठ कर बँटवारा करें और उसे लिख कर पंजीकृत कराएँ। यदि आपस में मिल बैठ कर कोई बँटवारा संपन्न नहीं होता है तो फिर आप के पिता को दादी की संपत्ति के बँटवारे के लिए दीवानी वाद न्यायालय में प्रस्तुत करना पड़ेगा। इस वाद में दादी के सभी उत्तराधिकारी विपक्षी पक्षकार होंगे।

स वाद में मध्यप्रदेश में प्रभावी न्यायशुल्क की दरों से नियत न्याय शुल्क या आप के पिता के हिस्से आने वाली संपत्ति के मू्ल्य के आधार पर न्याय शुल्क अदा करना पड़ेगा।

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