मिथ्या प्रकरणों के आधार का उपयोग करने में जल्दबाजी न करें।
समस्या-
रवि ने जयपुर, राजस्थान से समस्या भेजी है कि-
मेरी शादी जनवरी 2015 मे हुई थी, जुलाई 2016 में मुझे उसके प्रेम प्रसंग के बारे मे पता चला, जो शादी से पहले से ही था। लड़का उसकी भाभी का चचेरा भाई है। 9 अगस्त 2016 को लड़की के घर वाले लड़की को ले गये। 23 अगस्त 2016 को मेने अवैध संबंध के आधार तलाक का केस कर दिया। उसके कुछ दिन बाद मुझे पता चला कि लड़की वालों ने मुझपर और मेरे परिवार पर झूठा 498ए का दहेज का केस कर दिया है। 7 सितम्बर 2016 को पुलिस ने समझाइश को बुलाया, उस दिन दोनों परिवारों की पंचायत हुई, उस दिन 1150000 रुपये, 14 सितम्बर तक पंचो को देने की बात हुई तथा केस वापसी व तलाक की बात मौखिक रूप से तय हुई। 7 सितम्बर 2016 को एक स्टाम्प दहेज केस में कार्रवाई न करवाने बाबत दिया, हमने कुछ दिन बाद पंचो को रूपए दे दिए। इसके कुछ दिन बाद जिस पंच के पास रूपए जमा थे उसने लड़की वालो को पैसे दे दिए, और उसने लड़की के बाप से एक स्टाम्प लिखवा लिया कि इस 1150000 रूपए मैंने प्राप्त कर लिए हैं, जो परिवार, समाज कहेगा वो मेैं करुंगा। लड़की वालों ने उसके बाद झूठे 498ए, 406, व 125 के केस दर्ज करवा दिए। वो पंच गवाही देने को पुलिस स्टेशन नहीं आया। दहेज केस मे पुलिस ने मुझे मुलजिम बनाया। दहेज केस में मुझे जमानत मिल गई। उसके बाद लड़की वालों ने लड़की के द्वारा दिसम्बर 2016 के लास्ट वीक मे मेरे छोटे भाई पर बलात्कार (अक्टूबर 2015 में ) का झूठा केस व मेरी मम्मी, मुझ पर सबूत मिटने का झूठा केस कोर्ट के जरिये दर्ज करवा दिया। मार्च 2017 मे 376 केस को पुलिस झूठा केस मानकर कोर्ट मे अपनी जाँच रिपोर्ट दे दी। लड़की वालों की सभी को मुलजिम बनाने की 190 की एप्लीकेशन निरस्त कर दी।
१. क्या मैं 376 के झूठे केस के आधार पर तलाक पा सकता हूँ, तो उसका क्या प्रोसेस है? २. 125 का केस तो झूठा है क्युँकि हमने तो पहले ही 1150000 रूपए दे चुके हैं। तो इस में हमको क्या करना चाहिए, कैसे उन पंचो को अदालत मे बुलायें? ३. 376 case में मानहानि का क्या प्रोसेस है और इसके साथ और क्या क्या किया जा सकता है? इसमें ४. 498a मे 190 की एप्लीकेशन निरस्त होने का तलाक के केस में कोई यूज़ है क्या?
समाधान-
आप ने जारता के आधार पर विवाह विच्छेद का मुकदमा पत्नी के विरुद्ध किया है। विवाह के पूर्व क्या संबंध स्त्री के किसी पुरुष से थे इस से कोई फर्क नहीं पड़ता। यह तलाक का आधार नहीं हो सकता। जारता के लिए आप को प्रमाणित करना होगा कि विवाह के उपरान्त आप की पत्नी ने किसी अन्य पुरुष से यौन संबंध स्थापित किया है। इसे साबित करना आसान नहीं होता।
पहले 498ए में केवल पुलिस को शिकायत दर्ज हुई है, केस दर्ज नहीं हुआ होगा। उसी में आपने समझौता कर लिया। आप के रुपये दे देने के बाद लड़की और उस का पिता बदल गया। इस कारण उस ने दुबारा 498ए का केस दर्ज कराया हैं, वह अभी न्यायालय के पास लंबित है यह साबित नहीं हुआ है कि आप निर्दोष हैं। तीसरे उस ने आप के भाई पर 476 तथा आप व माँ पर सबूत छुपाने का केस लगाया है जिस में पुलिस ने अभी न्यायालय को अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की है। अभी आपकी पत्नी उसमें आपत्तियाँ कर सकती है कि पुलिस ने आप से मिल कर ठीक जाँच नहीं की। न्यायालय उस में सुनवाई कर के उसे दर्ज कर के आप के विरुद्ध समन जारी कर सकता है। इस कारण जब तक न्यायालय उस में पुलिस की अंतिम रिपोर्ट को मंजूर न कर ले तब तक अंतिम रूप से उसे झूठा केस नहीं कहा जा सकता।
यदि आप साबित कर देते हैं कि पत्नी पहले ही आजीवन भरण पोषण के लिए 11,50,000/- रुपए प्राप्त कर चुकी है तो धारा 125 दं.प्र.संहिता का प्रकरण खारिज हो सकता है। लेकिन उस के लिए आप को उस का लिखा एग्रीमेंट साबित करना होगा। गवाह (पंच) को न्यायालय में बुलाने के लिए न्यायालय को आवेदन दे कर समन भेज कर गवाह को अदालत में बुलाया जा सकता है। मुझे यह समझ नहीं आया कि आप ने कैसे पंच तय किए जो पुलिस में बयान तक देने नहीं आ सके।
यदि बलात्कार के केस में एफआर न्यायालय द्वारा मंजूर हो जाती है और 498ए में आप बरी हो जाते हैं तो यह विवाह विच्छेद के लिए एक नया आधार होगा। आप को चाहिए कि तब आप अपने वर्तमान विवाह विच्छेद के प्रकरण में संशोधन करवा कर इन नए आधारों को शामिल करें। या फिर एक नया विवाह विच्छेद आवेदन न्यायालय में प्रस्तुत करें। मान हानि के संबंध में भी जब तक किसी प्रकरण में अन्तिम रूप से सिद्ध न हो जाए कि आप के विरुद्ध की हुई रिपोर्ट मिथ्या थीं हमारी राय में कोई कार्यवाही करना उचित नहीं है। समय से पहले की गयी कार्यवाही कभी कभी खुद के गले भी पड़ जाती है।
गुरु जी, इस समस्या से काफी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई..
पत्रकार रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक का पिछला आलेख है:–.कम्बल और भोजन वितरण के साथ “अपंगता दिवस” संपन्न हुआ