मुस्लिम विधि में सभी संपत्तियाों पर उसी का अधिकार होता है वह जिस के नाम होती है।
समस्या-
अरशद ने नवाबगंज, सहारनपुर, उत्तरप्रदेश से पूछा है-
मेरे पिताजी के पास एक मकान है जो उन को मेरे दादा जी से विरासत में मिला था। मेरे पिताजी के पीछे एक आदमी पड़ा है जो उस मकान को खरीदना चाहता है वह पिताजी को दारू पिला देता है पिताजी भी मकान बेचने को तैयार हैं। हमारे घर वालों को क्या कदम उठाने चाहिए कि वे मकान न बेचें।
समाधान-
मुस्लिम विधि में सभी संपत्तियाँ वैयक्तिक होती हैं अर्थात संपत्ति पर उसी का अधिकार होता है जिस के वह नाम होती है। यह संपत्ति आप के पिता जी के नाम है तो उन की व्यक्तिगत संपत्ति है और उन्हें इसे बेचने का अधिकार है। वे इस संपत्ति को बेच सकते हैं।
इस संपत्ति को बेचने से रोकने का कोई कानूनी रास्ता नहीं है। कानून तरीके से न आप न आप का परिवार इस संपत्ति को बेचने से आप के पिता को नहीं रोक सकता है। यह आप और आप के परिवार पर निर्भर करेगा कि आप कैसे अपने पिता को इस काम को करने से रोक सकते हैं।
यदि आप या आप के परिवार के लोग उस संपत्ति को परिवार के किसी सदस्य या एक से अधिक सदस्यों के नाम हस्तांतरित करवा लें तो ही यह संपत्ति बिकने से रुक सकती है अन्यथा नहीं।
मेरे पिता जी को राज सरकार की तहफ से डेल्ही में एक इंडस्ट्रियल प्लॉट १९८३ में मिलता है और मेरे पिता जी उस में अपनी कंपनी चलते थे उनकी तबियत ख़राब होने के कारण २००१ में हम दो भाई इस कंपनी को चलने लगे और तब से मेरा भाई उस कंपनी का इनकम टैक्स अपने नाम से भरता था २००८ में मेरे पिता जी का दिहांत हो जाता है और २०१३ में हमें (वैट) लेने की जरुरत पड़ती है और मेरा भाई मेरे से और मेरी माता जी से (न.ओ.शी) लेकर अपने नाम पैर वैट लेता है २०१५ में हम में हममे मत भेद हो जाता है और में उस कंपनी में अपना हिस्सा लेने के लिए(जमींन में खास तोर पर)मज़बूरन कोर्ट में जाना पड़ता है पर कोर्ट में मेरा भाई दलील यह देता है की यह कंपनी २००१ से में चला रहा हु इनकम टेक्स भी में भरता हु मेरे पिता जी ने मुझको दिया है और इसलिए इस कंपनी में और न ही जमींन में कोई हिस्सा बनाता है क्या मुझे उस कंपनी में या कंपनी की जगह में हिसा मिल सकता है कृपया मार्ग दर्शन करे आंसर जरूर दे आप की मेहरवानी होगी एक पीड़ित deepak
क्या मुझे मेरी समस्या का समाधान मिल सकता है कृपया मार्ग दर्शन करे बुद्धिजीव.