राजस्थान की मीना जनजाति में तलाक
|समस्या-
रजत ने करौली, राजस्थान से पूछा है-
मैं मीना जाति से हूँ। मैं पत्नी से तलाक़ चाहता हूँ। हम दोनो सरकारी नौकरी मैं हैं। पत्नी का स्वभाव क्रूर प्रकृति का है, मेरी सास व साले का हमारे बीच दखल है। ये लोग दहेज का केस करने की धमकी देते हैं। पत्नी कई बार आत्महत्या का प्रयास कर चुकी है, जैसे चलती बाइक से कूद जाना, मेरी बिना सहमति व जानकारी के 4 बार गर्भपात करवा देना जिसके हॉस्पिटल के जाँच के पेपर मेरे पास हैं। इस कृत्य के लिए मैने लीगल नोटिस दिनांक 02 मई 2018 को भिजवाया था। लेकिन उसने रजिस्टर्ड डाक को डाकिये से लेने से इनकार कर दिया था। अब पिछले 6 महीने से मेरे 2 साल के पुत्र को पत्नी ने अपनी मां के पास छोड़ रखा हैं व खुद नौकरी करती है। बालक से मुझे जब भी मिलने गया तो पत्नी की मां छुपा देती है। पत्नी द्वारा साल भर पहले मुझे दहेज लेने का नोटिस दिया व उसके बाद नौकरी के लिए शपथ पत्र दिया कि विवाह के समय दहेज न तो लिया गया और न ही दिया गया। पत्नी से मुझे किसी भी स्थति में तलाक़ चाहिये। सामाजिक पंचायत के अलावा तलाक़ के लिए क्या सीधे कोर्ट में आवेदन किया जा सकता है?
समाधान-
आप मीना जाति से हैं जो कि राजस्थान में एक घोषित अनुसूचित जनजाति है। हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 2 के अनुसार आप की जाति पर यह अधिनियम प्रभावी होना चाहिए, किन्तु इसी धारा की उपधारा (2) में यह उपबंधित है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 366 के क्लॉज (25) में घोषित अनुसूचित जनजातियों पर इस अधिनियम का कोई उपबंध प्रभावी नहीं होगा। इस तरह हिन्दू विवाह अधिनियम आप के विवाह पर प्रभावी नहीं है। आप पर परंपरागत विधि ही प्रभावी होगी जो कि आप की जाति में निरन्तर तथा समान रूप से प्रचलित है।
आप की मीना जाति की परंपरागत विधि है कि विवाहित युगल के बीच विवाह विच्छेद केवल पंच पटेल ही स्वीकृत कर सकते हैं। इस कारण आप को अपने पंच पटेलों की पंचायत ही बुलानी होगी, उसी में तलाक संभव है अन्य किसी प्रकार से नहीं।
पंच पटेलों द्वारा तलाक स्वीकृत या अस्वीकृत कर देने के बाद आप पारिवारिक न्यायालय में जा कर घोषणा का वाद संस्थित कर सकते हैं कि अब आप दोनों वैवाहिक संबंध में नहीं रहे हैं, और इस आशय की डिक्री प्राप्त कर सकते हैं। यदि आप सीधे ही न्यायालय में आवेदन करेंगे तो वह क्षेत्राधिकार न होने के कारण निरस्त हो जाएगा।