वसीयत उत्तराधिकार के अधिकार को समाप्त कर देती है।
सारिका राजपूत ने रतलाम (म.प्र.) से पूछा है-.
मेरे माता पिता ने मरने से पहले अपनी सारी अर्जित संपत्ति की वसीयत मेरे नाम कर दी। उनका देहांत हो गया है अब मेरे दोनों भाई उस ज़मीन में अपना हिस्सा माँग रहे हैं। मेरा तलाक हो चुका है मैं अपने माता पिता के साथ रहती थी। वसीयत रजिस्टर्ड है तो क्या वसीयत के बाद भी उनको हिस्सा मिलेगा या नहीं।
समाधान-
किसी भी व्यक्ति की स्वअर्जित संपत्ति उस की स्वयं की संपत्ति होती है और उस व्यक्ति के जीते जी किसी भी व्यक्ति का उस में हिस्सा नहीं होता। यदि विवादित संपत्ति पुश्तैनी संपत्ति नहीं थी, अर्थात 17 जून 1956 के पूर्व उत्तराधिकार में आप के पिता या दादा को प्राप्त नहीं हुई थी तो वह आप के पिता के पूर्ण स्वामित्व की संपत्ति थी और उस में आप के भाइयों का कोई अधिकार नहीं था।
किसी भी व्यक्ति के देहान्त के उपरान्त उस की संपत्ति का दाय उस पर प्रभावी व्यक्तिगत विधि के अनुसार होता है। आप के पिता हिन्दू थे इस तरह यदि आप के पिता ने अपनी संपत्ति की वसीयत नहीं की होती तो उन की संपत्ति का दाय हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम से शासित होता तब आप के भाइयों का उस में अधिकार होता। आप के पिता पंजीकृत वसीयत से वह संपत्ति आप को वसीयत कर गए हैं तो अब उस संपत्ति की स्वामिनी आप हैं। आप के भाइयों का उस संपत्ति में हिस्से का दावा गलत है। यदि वे न्यायालय में दावा करते भी हैं तब भी वे असफल होंगे। आप रजिस्टर्ड वसीयत के आधार पर संपत्ति पर अपना स्वामित्व साबित कर सकती हैं।
हम चार बहनें फिर भी मेरे पिता अपने भाई के लड़के को गोद लेना चाहते हैं ।जबकि मेरी मम्मी और हम बहने नही चाहती तो हम क्या करें और क्या कानुन हमारे पक्ष में है
मेरा एक केस हे जिसमे एक आदमी 40 साल से जमीन अर्थात खेत की देख रेख कर रहा हे वहा खेती का कम भी उसने किया हे पर वो जमीन उसके चाचा की हे जो की मर चुके हे चाचा पर शादी शुदा थे और 40 साल बाद उनका बेटा जो की हक मागने आया है जबकि इतने सालो से उसने देखा ही नही ना की चाचा की बीमारी की हालात में वो आया सभी दवाई उसने करवाई जिसके पास जमीन हे और वो अब हक मांग रहा हे जमींन जो को देख रख कर रहा था उसके नाम करवानी हे कुछ निवारण बताइये